सांची में प्रभुराम या मदनलाल, मुकाबला चौधरी बनाम चौधरी का

सांची में प्रभुराम या मदनलाल, मुकाबला चौधरी बनाम चौधरी का

भाजपा ने अनुसूचित जाति वोटों के लिए बिछाई बिसात

भोपाल। मध्यप्रदेश में आने वाले समय में 28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उसी में से एक सीट है रायसेन जिले की सांची। जिसमें फिलहाल भाजपा प्रत्याशी माने जा रहे हैं कांग्रेस से भाजपा में आए सिंधिया समर्थक एवं प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी। ये 15 महीने की पूर्व कमलनाथ सरकार में शिक्षा मंत्री रहे थे। वहीं सांची सीट पर मदन लाल चौधरी को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है। मदनलाल ग्राम हरदोट गैरतगंज निवासी एवं दो बार से जिला पंचायत सदस्य चुने गए हैं। इस सीट पर चौधरी बनाम चौधरी के बीच मुकाबला होना है। जिस सांची सीट पर कभी भाजपा-कांग्रेस की तरफ से दो दिग्गज नेताओं का आमना-सामना हुआ करता था, उनमें भाजपा से पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार और कांग्रेस से प्रभुराम चौधरी। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उनके समर्थक प्रभुराम चौधरी के भाजपा में जाने के बाद समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। अब उपचुनाव में जहां भाजपा से प्रभुराम चौधरी का नाम लगभग तय माना जा रहा है, तो वहीं कांग्रेस ने अपना पत्ता मदन चौधरी के नाम पर खोल दिया है। मदन चौधरी को जातिगत वोट के आधार पर उम्मीदवार बनाना माना जा रहा है। वैसे तो सांची सीट पर दर्जन भर से ज्यादा उम्मीदवार कांग्रेस की तरफ से आस लगाए बैठे थे उनमें संदीप मालवीय, प्रभात चावला, रुपेश तंतबार सहित अन्य नाम शामिल थे लेकिन उम्मीदवार मदन चौधरी को बनाया गया है। मिल रही जानकारी के अनुसार टिकट न मिलने से ये लोग नाराज चल रहे हैं, यदि पार्टी इन्हें साधने में सफल नहीं हुई, तो इसका नुकसान उठाना पड सकता है।फिलहाल आने वाले उपचुनाव में दो चौधरी के बीच में मुकाबला रहेगा और जिसमें से जीतेगा तो चौधरी ही। दो गुटों में बंटी भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उनके 22 समर्थकों ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था उसमें से ही एक थे सांची से प्रभुराम चौधरी। माना जा रहा है चौधरी के भाजपा में शामिल होने से सांची में भाजपा दो गुटों में बट चुकी है। एक गुट डॉ. गौरीशंकर शेजवार समर्थकों का तो वहीं दूसरा प्रभुराम चौधरी समर्थकों का। पिछले महीनों में ऐसा भी देखने को मिला है जब भाजपा के होर्डिंग बैनर में से प्रभुराम चौधरी गायब रहे थे, तो वही भाजपा नेता मुदित शेजवार के सोशल मीडिया पर किए गए ट्वीट भी चर्चाओं में रहे थे। सांची सीट से 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार प्रत्याशी रहे थे। वहीं कांग्रेस से प्रभुराम चौधरी उस चुनावी रणभूमि में चौधरी ने युवा नेता मुदित शेजवार को पटकनी देते हुए जीत हासिल की थी, जिसके बाद उन्हें प्रदेश की पूर्व कमलनाथ सरकार में शिक्षा मंत्री बनाया गया था। बरहाल अब उपचुनाव में अगर प्रभुराम चौधरी फिर एक बार चुनाव जीतते हैं तो पूर्व कैबिनेट मंत्री शेजवार के बेटे मुदित शेजवार का राजनीतिक भविष्य थोड़ा संकटमय देखा जा सकता है। वहीं दूसरी और अगर प्रभुराम चौधरी चुनाव हारे तो मुदित शेजवार को राजनीतिक भविष्य में थोड़ी उम्मीद जागती हुई दिखाई दे सकती हैं। अब आगे देखना यह होगा कि उपचुनाव सांची में दो गुटों में बंटी भाजपा किस कदर दिखाई देती है। सांची सीट का समीकरण अजा वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर कुल मतदाता 2 लाख 31 हजार हैं, जिनमें इस वर्ग के लगभग 50 हजार मतदाता हैं। इनमें बड़े प्रतिशत का झुकाव कांग्रेस से प्रभुराम के प्रत्याशी होने पर उनकी तरफ रहता है। लोधी, कि रार, मुस्लिम वोटों की भी अधिकता है जो हार-जीत तय करती है। यहां लोधी, किरार, ब्राम्हण, ठाकुर सहित मुस्लिम वोटों की भी अधिकता है जो चुनाव में हार-जीत तय करती है। भाजपाइयों ने देखे कई उतार चढ़ाव 15 साल लगातार भाजपा की सरकार में भाजपाइयों ने यहां बहुत परिवर्तन देखे। सबसे बड़ा बदलाव डॉ. प्रभुराम चौधरी के भाजपा में शामिल होने का रहा। वहीं सरकार के 15 साल डॉ. शेजवार के लिए भी बहुत उतार चढ़ाव वाले रहे। 1977 में पहली बार सांची से विधायक बनकर 27 साल की उम्र में ही डॉ. शेजवार संसदीय कार्य मंत्री बन गए थे उसके बाद पटवा सरकार में गृह मंत्री रहे और दिग्विजय सिंह सरकार में नेता प्रतिपक्ष बने। 2003 में उमा भारती की सरकार में कद्दावर मंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री बनने पर उमा भारती के साथ विरोध में खड़े होने की पहली कीमत तब मंत्री पद गंवाकर चुकाई थी तो बाद में उमा भारती की खिलाफत उनको 2008 के चुनाव में हार का कारण बनी। चुनावी गणित सांची विधानसभा रायसेन जिले की एक अनुसूचित जाति वर्ग की सीट है। यह सीट लोकसभा क्षेत्र विदिशा के अंतर्गत आती है। सांची विधानसभा सीट में कुल वोटरों की संख्या 234372 है। 2018 में कांग्रेस के प्रभुराम चौधरी ने बाजी पलट दी और जीत हासिल की। उन्हें 89567 वोट मिले हैं। जबकि मुदित शेजवार को 78754 वोट मिले। मालूम हो कि सांची विधानसभा क्षेत्र से 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के उम्मीदवार डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने कांग्रेस के डॉ. प्रभुराम चौधरी को चुनाव में हराया था। वहीं, 2008 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बीजेपी के डॉ. गौरीशंकर शेजवार पर जीत हासिल की थी। 1990 में स्व. सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व में भाजपा मैदान में उतरी और 4.36 फीसदी वोट बढ़ गए। तत्कालीन कांग्रेस की सरकार को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 1993 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव में उतरी तो 6.03 प्रतिशत मतदान बढ़ा और बीजेपी की पटवा सरकार हार गई थी। वहीं, 1998 में वोटिंग प्रतिशत 60.22 रहा था जो 1993 के बराबर ही था। उस वक्त दिग्विजय सिंह की सरकार बनी। लेकिन 2003 में उमा के नेतृत्व में भाजपा सामने आई और दिग्विजय सिंह की 10 साल की सरकार सत्ता से बाहर हो गई। उस वक्त भी 7.03 प्रतिशत वोट बढ़े थे। सांची सीट पर पिछले 10 चुनाव के परिणाम वर्ष                विधायक 1977 डॉ. गौरीशंकर शेजवार, जनसंघ 1980 डॉ. गौरीशंकर शेजवार, जनता पार्टी 1985 डॉ. प्रभुराम चौधरी, कांग्रेस 1990 डॉ. गौरीशंकर शेजवार, भाजपा 1993 डॉ. गौरीशंकर शेजवार,भाजपा 1998 डॉ. गौरीशंकर शेजवार, भाजपा 2003 डॉ. गौरीशंकर शेजवार: भाजपा 2008 डॉ. प्रभुराम चौधरी, कांग्रेस 2013 डॉ. गौरीशंकर शेजवार, भाजपा 2018 डॉ. प्रभुराम चौधरी, कांग्रेस