15 अगस्त से पहले साफ हो सकता है मोदी सरकार का रुख
नई दिल्ली: जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर इस बार स्वतंत्रता दिवस से पहले मोदी सरकार का रुख स्पष्ट हो सकता है। भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर 14 अगस्त को केंद्र सरकार जवाब दाखिल करेगी। देश मे लंबे समय से उठ रही जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग के मद्देनजर सरकार के रुख पर अब सभी की निगाहें हैं।
पीएम ने भी जताई है चिंता
बता दें कि पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद देश की बढ़ती आबादी पर चिंता जताई थी। डॉक्टर अग्रवाल ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा, ‘आपने 15 अगस्त 2019 के अवसर पर देश में जनसंख्या नियंत्रण की जो जरूरत बताई थी, अब उस संकल्प को पूरा करने का समय आ गया है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप आगामी संसद सत्र में इस संबंध में उचित विधेयक लाने पर विचार करें।’
दरअसल, भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की दाखिल याचिका पर बीते 10 जनवरी को ही सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय के साथ विधि एवं न्याय मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। मगर, छह महीने तक केंद्र सरकार ने जवाब नहीं दाखिल किया तो याचिकाकर्ता ने सवाल उठाए। याचिकाकर्ता ने साइलेंस इज ऐक्सेप्टेंस की बात कहते हुए कहा कि सरकार के जवाब न दाखिल करने का मतलब है कि वह इसे स्वीकार कर रही है।
बीते 13 जुलाई को सुनवाई के दौरान जब सुप्रीम कोर्ट ने फिर केंद्र सरकार से इस मसले पर जवाब-तलब किया तो सरकार ने कहा है कि उसे चार हफ्ते का वक्त चाहिए। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त तक समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए यह तिथि तय की है।
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने कहा, “14 अगस्त तक केंद्र सरकार को जनसंख्या नियंत्रण कानून पर जवाब दाखिल करना है। जवाब से ही पता चल जाएगा कि सरकार इस कानून पर क्या सोचती है? हम दो हमारे दो कानून के जरिए देश की करीब 50 फीसदी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।”
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक, वाजपेयी सरकार में जस्टिस वेंकट चलैया की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय संविधान समीक्षा आयोग गठित हुआ था। दो साल तक संविधान की समीक्षा के बाद वेंकटचलैया कमीशन ने संविधान में अनुच्छेद 47 ए जोड़ने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था। कमीशन ने यह भी कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण कानून मानवाधिकार या किसी अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन नहीं करता।
अश्विनी उपाध्याय ने आईएएनएस से कहा, “वेंकटचलैया कमीशन ने केंद्र सरकार को 31 मार्च 2002 को रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर आरटीआई, राईट टू फूड और राईट टू एजुकेशन, जैसे अहम कानून देश में आगे चलकर बने। मगर, जनसंख्या नियंत्रण कानून की सिफारिशों पर सरकारों ने ध्यान नहीं दिया।”
बीजेपी का वादा
बता दें कि पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में जिन वादों का जिक्र किया था, उसमें से तीन वादों को उसने सात महीने के अंदर ही पूरा कर दिया। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने, नागरिकता संशोधन बिल लाने और तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने का वादा किया था। इसके बाद पीएम मोदी ने राम मंदिर की भी नींव रख दी। इन चारों वादों को पूरा करने के बाद अब कहा जा रहा है कि मोदी सरकार जल्द ही समान नागरिक संहिता बिल और जनसंख्या नियंत्रण कानून पर भी काम शुरू करने जा रही है।
चीन की तर्ज पर भारत में बनेगा कानून?
बता दें कि दुनिया के कई विकासशील देशों में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू है। चीन में सिर्फ दो बच्चे पैदा करने की ही इजाजत है। भारत में फिलहाल जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कोई कानून नहीं है। सरकार सिर्फ लोगों से छोटा परिवार रखने की अपील करती है।