वन विभाग का दोहरा चेहरा या अंधा कानून इसे क्या कहेंगे !
प्रभारी रेंजर के अनेकों मामले सामने आने के बाद सीसीएफ की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
brijesh parmarउज्जैन । प्रदेश में वन विभाग का दोहरा चाल,चरित्र और चेहरा सामने आया है।शहडोल जिला अंतर्गत वन रक्षकों से 2 और 21 रूपए की वसूली के लिए सूचना पत्र दिए गए हैं।इसके विपरित उज्जैन वन मंडल में नियम विरूद्ध प्रभारी रेंजर के लाखों के घोटाले पर अधिकारियों की चुप्पी सवाल खडे कर रही है।
उज्जैन वन परिक्षेत्राधिकारी गयाप्रसाद मिश्रा के सेवानिवृत्ति के मात्र कुछ दिन शेष बचे हैं।उनके नाम प्रतिपूर्ति,बीड की जमीन,आरा मशीन,पौधारोपण,फर्जी बिलिंग,चौकीदारी की फर्जी वसूली,रिश्तेदारों और साथी कर्मचारियों के पुत्र के खाते में राशि आहरण,शासन को जीएसटी का फटका,सामग्री गायब होने के मामले सामने आने के बाद भी अधिकारी कार्रवाई करने और उन्हे सूचना पत्र तक देने को तैयार नहीं हैं।ये सभी मामले गहनतम गंभीरता लिए हुए हैं।समान प्रकृति के शिप्रा किनारे के पौधा रोपण के मामले में विभाग के अधिकारियों ने अन्य रेंजर को निलंबित किया है जबकि उसी मामले में संलग्न प्रभारी रेंजर मिश्रा को शुद्ध रूप से अधिकारी बचाने में लगे हुए हैं।वन विभाग के ही प्रदेश के शहडोल जिला अंतर्गत खन्नौधी और उमरिया के वन रक्षक बीट गार्ड को 2 रूपए और 21रूपए की वसूली के लिए वहां के वनमंडल अधिकारी ने सूचना पत्र जारी किया है।
ट्रेंचिंग ग्राउंड के पौधारोपण में नगर निगम को चूना
सीसीएफ के चहेते प्रभारी रेंजर के मामलों की फेहरिस्त में नगर निगम को चूना लगाने का मामला सामने आया है।जिसमें ट्रेन्चिंग ग्राउंड में नगर निगम की राशि से वर्ष 2019-2020 में वृक्षारोपण किया गया था।इसमें जमकर अनियमितता करते हुए मापदंडो का पालन नहीं किया गया।नगर निगम को जमकर हरे हरे सब्ज बाग दिखाये गए।निगम के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर अनियमितता से फर्जी कार्य करते हुए जमकर चूना लगाया गया है।इस कार्य के बिल में चौकीदारों के फर्जी नाम से फर्जी खाते में पैसा जमा करवाया गया और बाद में इसकी बंदरबांट की गई है। इसका भौतिक सत्यापन किए जाने पर सब साफ हो सकता है,लेकिन एसडीओ से लेकर वनमंडल अधिकारी तक सीसीएफ के चहेते होने पर कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।
यही नहीं सिंहस्थ में खरीदी गई सामग्री , पानी की टंकी , कूलर, फर्नीचर, रेस्टहाउस की सामग्री में भी जमकर गोलमाल किया गया है।इस गोलमाल से पर्दा उस समय उठा जब कम सामग्री खरीदने के बाद भी सूचना के अधिकार में ज्यादा का खुलासा हुआ साथ ही कई सामग्री गायब बताई गई।नियमानुसार सेवानिवृत्ति से पूर्व विभागीय एनओसी ली जाना होती है। विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भंडार प्रभारी के लेखा की जांच करें तो सामने आएगा कि इस डिप्टी रेंजर ने शासकीय सामग्री व्यक्तिगत उपयोग के लिए गायब कर दी है।इसी में विभागीय स्तर पर खरीदा गया लेपटाप जिसका भूगतान वन मंडल से प्रतिपूर्ति के रूप में किया गया है और सीसीटीवी कैमरा,डीवीआर सब गायब है।आरा मशीनों की रोस्टर जांच के नाम पर दिखावा करने की स्थिति भी साफ जांच में साफ हो सकती है।आरामशीनों के प्रतिमाह के तोहफे की बंदरबांट करने में इन्हे महारत हासिल है। इनके द्वारा प्रति माह 80 हजार से 1.5 लाख के डीजल के कथित बिल बनाकर भारित किये गए हैं।कार्ययोजना क्रियान्वयन के बिलों में डिप्टी रेंजर ने वर्ष 2019- 20 और 2020- 21 कि अवधि में फर्जी बिल फर्जी मजदूर के नाम पेमेंट ट्रेजरी से करवाया है। भौतिक सत्यापन होने की स्थिति में सबकुछ साफ होने की जानकारी विभागीय सूत्र दे रहे हैं। इस काम में वृक्षरोपण कार्य, डाबर डबरी निदाई फेंसिंग सीपीटी के काम मे फर्जी मजदूर रखे गए । शिप्रा किनारे के पौधारोपण में 30 लाख के चेक लेकर फर्जी भुगतान किया गया । मुख्य वन संरक्षक ने शिकायत में यह बात सामने आने पर भी आज तक कोई कार्यवाही नही की ,जबकि अन्य रेंजर को ऐसे ही मामले में निलंबित कर चार्ज शीट व विभागीय जांच भी की जा रही है।
इतने आरोपित मामलों के बाद भी प्रभारी रेंजर उज्जैन
पर कार्यवाही नही होना विभाग के अधिकारियों पर सवाल खडे कर रहा है। खास बात तो यह है कि विभागीय अधिकारी मामले में चुप्पी साथ कर अपने संलग्न होने की पुष्टि कर रहे हैं।