एक डोज में खत्म हो जाएगा एड्स, वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला इलाज 

एक डोज में खत्म हो जाएगा एड्स, वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला इलाज 

नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने सबसे घातक बिमारी कैंसर के बाद HIV/AIDS जैसी जानलेवा बीमारी का इलाज भी ढूंढ निकाला है। इजरायल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एक ऐसी वैक्सीन बनाई है, जिसकी मात्र एक ही खुराक से शरीर में HIV/AIDS वायरस को खत्म किया जा सकेगा। इस टीम को ऑस्ट्रेलिया और कनाडा की सरकारों का समर्थन है।

दुनिया में लगभग 3.79 करोड़ लोग एचआईवी संक्रमित 
पूरी दुनिया में लगभग 3.79 करोड़ लोग एचआईवी संक्रमण की चपेट में है ।2017 में इस बीमारी के चलते लगभग 8 लाख लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि जागरूकता के चलते इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या में कमी आ रही है लेकिन उसके बावजूद इस का भय बना हुआ है। लेकिन अब इजराइल के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने जीन एडिटिंग से एक वैक्सीन तैयार कर ली है जिससे एड्स का इलाज संभव होगा। यह रिसर्च इजराइल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी की द जॉर्ज एस वाइस फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज ने की है।

चूहों पर ये सफल एक्सपेरिमेंट 
वैज्ञानिकों ने चूहों पर ये एक्सपेरिमेंट किए थे। इसके तहत वे चूहों के इम्यून सिस्टम या प्रतिरोधक क्षमता को इस हद तक बढ़ाने में कामयाब हुए कि सिस्टम ने वायरस को नाकाम कर दिया और उसे शरीर से निकाल फेंका। इस प्रयोग के केंद्र में SOCS-3 नाम का जीन था। जब शरीर में एचआईवी जैसा गंभीर इन्फेक्शन होता है तो यह जीन बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है और आश्चर्यजनक तौर पर खुद इम्यून सिस्टम को बंद कर देता है। इस वजह से वायरस बिना रोकटोक फलता फूलता है।

हमारे इम्यून सिस्टम को नाकाम कर देता है एड्स वायरस 
जब वैज्ञानिकों ने आईएल-7 नाम के एक हॉर्मोन का लेवल बढ़ाया तो SOCS-3 जीन ने काम करना बंद कर दिया और चूहे ने धीरे-धीरे एचआईवी वायरस को शरीर से बाहर कर दिया। गौरतलब है कि एड्स वायरस की सबसे बड़ी खूबी है कि यह हमारे इम्यून सिस्टम को नाकाम कर देता है।

चूहे पर हुए ताजा प्रयोग के बाद उम्मीद जगी 
चूहे पर हुए ताजा प्रयोग के बाद वैज्ञानिकों के दिल में नए किस्म के इलाज की उम्मीद जगी है। उन्हें भरोसा है कि इस तरह से न केवल एचआईवी बल्कि हेपटाइटिस बी, सी और टीबी जैसे गंभीर इन्फेक्शन का भी इलाज हो सकेगा।

एचआईवी और हेपटाइटिस बी, सी के वायरस हमारे इम्यून सिस्टम को थका देते हैं 
टीम लीडर डॉ. मार्क पैलेग्रिनी का कहना है एचआईवी और हेपटाइटिस बी, सी के वायरस हमारे इम्यून सिस्टम को इतना थका देते हैं कि वह बजाय उनसे लड़ने के हथियार डाल देता है। हमारी अप्रोच यह थी कि किसी तरह इम्यून सिस्टम को थकाने वाले कारक की पहचान करके उससे जुड़े जीन में ऐसी फेरबदल की जाए कि प्रतिरोधक क्षमता फिर से काम करने लगे और इन्फेक्शन का मुकाबला करे। अब ऐसी दवाएं डिवेलप की जाएंगी जो SOCS-3 जैसे जीन्स पर कारगर हों और उनके काम करने के तरीके को बदल सके।

जानवरों और इंसानों पर अभी इसका परीक्षण किया जाना बाकी 
ब्रिटिश पत्रिका एड्स रिसर्च एंड थैरेपी के ताजा अंक में कहा गया है कि इजराइल के वैज्ञानिक इस इलाज का पेटेंट कराने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जानवरों और इंसानों पर अभी इसका परीक्षण किया जाना बाकी है।

पेप्टाइड नाम के प्रोटीन के छोटे रूप को विकसित किया 
ब्रिटिश पत्रिका में दावा किया गया है कि वैज्ञानिकों ने ऐसी प्रोटीन कोशिका विकसित की है, जो एड्स की कोशिकाओं के प्रभाव को खत्म करने में सक्षम है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस प्रक्रिया में शरीर में मौजूद स्वस्थ कोशिकाएं प्रभावित नहीं होंगी। शोधकर्ताओं ने पेप्टाइड नाम के प्रोटीन के छोटे रूप को विकसित किया है जो एड्स की कोशिकाओं के बढ़ने को रोकता है और साथ ही संक्रमित कोशिकाओं को खत्म करता है।

जानिए कैसे काम करती है वैक्सीन
वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई ये वैक्सीन कैसे काम करती है इस बारे में बताया गया कि, टाइप बी वाइट ब्लड सेल्स ही हमारे शरीर में वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ इम्यूनिटी बढ़ाते हैं। ये नसों के जरिए अलग-अलग अंगों में पहुंच जाते हैं। अब वैज्ञानिकों ने जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी CRISPR की मदद से इनमें बदलाव करना शुरू कर दिया है। इससे जैसे ही बदल चुके सेल्स से वायरस का सामना होता है, वैसे ही सेल्स उस पर हावी हो जाते हैं।

अगले कुछ सालों में AIDS और कैंसर का परमानेंट इलाज
वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई ये वैक्सीन CRISPR टेक्नोलॉजी से बनाया गया है। बता दें CRISPR एक जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी है, जिसकी मदद से वायरस, बैक्टीरिया या इंसानों के सेल्स को जेनेटिकली बदला जा सकता है। रिसर्चर्स का मानना है कि अगले कुछ सालों में AIDS और कैंसर का परमानेंट इलाज मार्केट में आ सकता है।