पिछले एक महीने में क्यों बढ़ीं बस्तर में हत्याएं? सुकमा में एक और गांववाले की हत्या

पिछले एक महीने में क्यों बढ़ीं बस्तर में हत्याएं? सुकमा में एक और गांववाले की हत्या

 रायपुर 
माओवादी प्रभावित क्षेत्र बस्तर में हाल में पुलिसकर्मियों और गांववालों की हत्या वहां पर काम करने वाले सीनियर पुलिस अधिकारी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। पिछले एक महीने के दौरान कुल 11 लोग मारे गए हैं। इनमें से 11 गांव वाले, 4 सुरक्षाकर्मी और एक फॉरेस्ट गार्ड हैं, जिन्हें माओवादियों ने बस्तर डिवीजन में मौत के घाट उतार दिया। बीजापुर में छह नागरिकों समेत दस लोगों की हत्या की गई।

बुधवार को सुकमा जिले के जगरगोंडा में 22 वर्षीय एक गांव वाले को मुखबिरी के संदेह में हत्या कर दी गई। इसी तरह, बीजापुर में मंगलवार को एक शख्स को मौत के घाट उतार दिया गया। उस क्षेत्र में तैनात पुलिस अधिकारियों ने कहा कि माओवादियों की तरफ से जा रही हत्याओं की कई सारी वजहें हैं। एक इंटेलिजेंस ऑफिसर ने बताया, “पिछले एक साल के दौरान माओवादियों के प्रति राज्य सरकार का नरम रुख रहा है। दूसरा, माओवादियों ने ऐसा महसूस किया है कि उन्हें पिछले कुछ वर्षों के दौरान सुरक्षाबलों की तरफ से किए गए इंटेलिजेंस आधारित ऑपरेशंस के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इंटेलिजेंस अधिकतर मुखबिर हैं, इसलिए उन्होंने कम संदेह पर भी बर्बरतापूर्वक हत्या का कैंपेन चला रहे हैं और उन्हें मौत के घाट उतार रहे हैं।”
 
बस्तर क्षेत्र के सात जिलों में से एक में तैनात एक आईपीएस ऑफिसर ने बताया कि नागरिकों की मौत पर लोगों के गुस्से का अब माओवादियों को कोई खौफ नहीं रह गया है। उन्होंने आगे बताया, “माओवादियों की तरफ से गांववालों में डर का माहौल पैदा किया जा रहा है ताकि उन्हें भर्ती करने में मदद मिल पाए। साल 2017-18 के दौरान भर्ती में काफी कमी आई थी। इसके अलावा, हत्या के पीछे अन्य जो कारण हैं वो है माओवादियों में अनुशासनहीनता, स्थानीय कैडर्स बिना सीनियर कैडर्स की मंजूरी के ही बड़ी तादाद में लोगों की हत्याएं कर रहे हैं।”