अयोध्या राम मंदिर: 2 सितंबर को बोर्ड बैठक, विकास शुल्क के अधिकतम छूट पर फैसला 

अयोध्या राम मंदिर: 2 सितंबर को बोर्ड बैठक, विकास शुल्क के अधिकतम छूट पर फैसला 

 अयोध्या 
रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के प्रस्तावित मंदिर सहित पूरे 70 एकड़ परिसर के ले-आउट के मानचित्र की स्वीकृति अयोध्या-फैजाबाद विकास प्राधिकरण बोर्ड (एएफडीए) के माध्यम से होगी। बताया गया कि 25 हजार वर्ग मीटर तक के क्षेत्रफल पर नक्शे की स्वीकृति देने का अधिकार उपाध्यक्ष को है लेकिन इससे ऊपर के क्षेत्रफल में नक्शे की स्वीकृति का अधिकार बोर्ड में निहित है। इसी के चलते बोर्ड की बैठक दो सितम्बर को बुलाई गई है।

इसकी पुष्टि वित्त एवं लेखाधिकारी व कार्यकारी सचिव पीके सिंह ने करते हुए बताया कि मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल की अध्यक्षता में विकास प्राधिकरण कार्यालय में ही पूर्वाह्न 11 बजे से होगी। बताया गया कि बोर्ड की हरीझंडी मिलने के बाद नक्शे से सम्बन्धित शुल्कों की गणना की जाएगी। बताया गया भवन उपविधि से सम्बन्धित समस्त शुल्कों में दो शुल्क जिनमें अंबार शुल्क एवं उप विभाजन शुल्क रामजन्मभूमि के नक्शे पर नहीं आरोपित होगा। 

बताया गया कि रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से यदि महज मंदिर परिसर का नक्शा पास कराया जाता तो उपविभाजन शुल्क लाजिमी होता लेकिन ट्रस्ट ने पूरे 70 एकड़ का नक्शा दाखिल किया है। ऐसी स्थिति में सम्पूर्ण क्षेत्रफल पर विकास शुल्क लिया जाएगा जो कि केवल एक बार ही देय होगा भले निर्माण कभी भी कराया जाए।

दूसरा यह कि रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट एक चैरिटेबल संस्था के रूप में आयकर विभाग में पंजीकृत है। ऐसी स्थिति में संस्था की ओर से कराए जा रहे ऐतिहासिक मंदिर के निर्माण में आरोपित होने वाले विकास शुल्क में अधिकतम 65 प्रतिशत छूट भी प्रदान किए जाने का प्रावधान है। अब प्राधिकरण बोर्ड संस्था को कितने प्रतिशत छूट प्रदान करने का निर्णय करता है।

यह बोर्ड के निर्णय के उपरांत ही पता चल सकेगा। फिलहाल नक्शा स्वीकृति के लिए संस्था को भवन उपविधि के अनुसार अंबार शुल्क भी नहीं अदा करना होगा। बताया गया कि अंबार शुल्क उन प्लाटों पर आरोपित किया जाता है जिनमें कि निर्माण सामग्री के रखरखाव के लिए सार्वजनिक स्थानों सड़क इत्यादि का उपयोग किया जाता है।

संस्था को देना होगा एक प्रतिशत लेबर सेस
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से 70 एकड़ के सम्पूर्ण परिसर का नक्शा स्वीकृत कराने के कारण बड़ा लाभ यह हुआ कि सर्किल रेट का दस प्रतिशत उप विभाजन शुल्क नहीं अदा करना होगा। फिर भी नक्शे की स्वीकृति के लिए लेबर सेस का भुगतान अनिवार्य है। विकास प्राधिकरण के कार्यकारी सचिव पीके सिंह बताते है कि यह शुल्क कुल निर्माण लागत का एक प्रतिशत होता है और यह श्रम विभाग को चला जाता है।

एएसआई को छोड़कर बोर्ड में ही हो जाएगी सबकी अनापत्ति
अयोध्या। एएफडीए की ओर से किसी भवन का नक्शा स्वीकृत कराने से पहले जिन विभागों के अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है, वह सभी विभाग के अधिकारी प्राधिकरण बोर्ड के पदेन सदस्य हैं। ऐसी स्थिति में विकास प्राधिकरण बोर्ड की ओर  और से नक्शा स्वीकृति के साथ ही सम्बन्धित विभागों के अनापत्ति स्वत: हो जाएगी। यद्यपि कि एएसआई का मामला केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय के अन्तर्गत विधिक प्रक्रिया में है।