200 कर्मचारियो को नौकरी से निकालकर शुरू किया नई भर्ती
धरने पर बैठे मजदूर, विधायक भी आए साथ
सतना । जेपी भिलाई के बाबुपुर सीमेन्ट प्लांट में मजदूरों ने कामकाज ठप कर दिया। हठधर्मिता पर उतारू प्रबंधन की ईंट से ईंट बजा देने के हौसले के साथ अड़े मजदूरों की प्रबंधन और प्रशासन ने भले ही सुनवाई नही की, लेकिन विधायक उनके साथ मोर्चे पर आ डटे। सुबह से शुरू हुए हंगामे के बीच दोपहर बाद हालांकि एसडीएम और तहसीलदार भी आये और कंपनी प्रबंधन के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया लेकिन बातचीत बेनतीजा ही रही।
विधायक भी मजदूरों के साथ धरने पर बैठे
जेपी भिलाई के बाबुपुर सीमेंट प्लांट में कार्यरत लगभग 200 कर्मचारियो को कंपनी ने नौकरी से हटा दिया है। लॉक डाउन के बाद खुली फैक्ट्री में कामकाज तेजी से चल रहा था और मजदूरों की मानें तो क्षमता से अधिक काम भी लिया जा रहा था। बावजूद इसके प्रबंधन ने 200 लोगो को बाहर कर दिया और उनके स्थान पर नए लोगों की भर्ती शुरू कर दी। मजदूरों ने इस पर ऐतराज जताया और उन्हें नौकरी से बाहर किये जाने का कारण पूछा तो कोई जवाब भी नही दिया गया। पिछले दिनों भी इसी बात को लेकर हंगामा हुआ था लेकिन अब मंगलवार को मजदूर एटक के बैनर तले सेमरिया गेट के सामने धरने पर बैठ गए। मजदूरों के आंदोलन को समर्थन देने सतना से कांग्रेस के विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा भी धरना स्थल पर पहुंच गए और खुद भी उनके साथ धरने पर बैठ गए।
सभी हुए एकजुट, ठप हो गया प्लांट में काम
उधर बाहर धरना शुरू होने की खबर अंदर पहुंची तो मजदूर एकजुट हो गए और अपने साथियों के हक की लड़ाई में सहभागिता करने उन्होंने प्लांट का काम बंद कर दिया। हालांकि प्रबंधन ने सेमरिया गेट पर धरना शुरू होने की जानकारी मिलने पर फैक्ट्री के चित्रकूट गेट से ट्रांसपोर्टेशन का काम शुरू करा दिया लेकिन इसकी भनक आंदोलनकारियों को लगी तो वे चित्रकूट गेट पर भी जा पहुंचे और उसे भी बंद कर दिया।
7 घंटे बाद टूटी नींद, लेकिन वार्ता बेनतीजा
मजदूरों और उनके साथ विधायक के धरने पर बैठने के लगभग 7 घंटे बाद जेपी सीमेंट प्रबंधन और सतना जिला प्रशासन की नींद टूटी। कंपनी ने राकेश शुक्ला और गोस्वामी को भेजा तो प्रशासन की नुमाइंदगी करने एसडीएम पीएस त्रिपाठी , तहसीलदार मानवेन्द्र सिंह और फोर्स के साथ कोलगवां कोतवाल मोहित सक्सेना धरना स्थल पहुंचे। तीनो पक्षों के बीच लगभग 1 घंटे तक चर्चा हुई लेकिन कोई नतीजा कुछ नही निकला। एटक के प्रतिनिधि ,मजदूर और विधायक सिर्फ एक शर्त पर अड़े थे कि जब तक मजदूरों को काम पर वापस नही लिया जाएगा तब तक धरना खत्म नही होगा।
रात में भी चलता रहा धरना
प्रबंधन–प्रशासन और मजदूरों के बीच हुई चर्चा के बेनतीजा खत्म होने के बाद भी धरना चलता ही रहा। विधायक भी धरना स्थल से नही उठे और मजदूरों के साथ बैठे रहे। विधायक ने कहा धरना तब ही खत्म होगा जब मजदूरों को उनका हक नही मिलेगा , उन्हें काम पर वापस नही लिया जाएगा। उनके साथ धरना स्थल पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता पंडित गणेश त्रिवेदी, सेवादल के शहर अध्यक्ष बाड़मेर सिंह,एटक के जिला सचिव अरुण तिवारी, संजीव अग्रवाल समेत सतना सीमेंट स्टील फाउंड्री तथा खदान कामगार यूनियन के सैकड़ो कार्यकर्ता मौजूद रहे।
जेपी भिलाई सीमेंट प्लांट बाबुपुर में मजदूरों को नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ धरने पर विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा भी बैठे।
श्रमिकों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं: सिद्धार्थ
सतना के कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा डब्बू ने कहा है कि उद्योगपतियों के सामने सत्ता और प्रशासन दोनो सरेंडर हैं। प्रदेश में गरीब मजदूरों की सुनवाई न होना दुर्भग्यपूर्ण है। डब्बू ने कहा कोरोना काल की विपरीत परिस्थितियों में एक ओर जहां देश और प्रदेश की सरकार ने गरीबों व श्रमिकों पूरा आश्वासन दिया है कि आप की रोजी रोटी और रोजगार का कोई भी संकट आपके सामने पैदा नहीं होने दिया जाएगा ।जबकि वास्तविकता इसके उलट है। मजबूरी में ऐसी विपरीत परिस्थिति में एक ओर जहां व्यक्ति अपनी जान जोखिम में डालकर अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए इस महामारी के दौर में भी काम करने के लिए मजबूर है तो वहीं दूसरी तरफ इन उद्योगपतियों के दबाव व प्रभाव में प्रशासन व सत्ता इनके सामने नतमस्तक है। विधायक ने कहा कि सतना जिले में जहां लोकल गरीब जनता के लिए आय का प्रमुख स्रोत फैक्ट्रियों पर ही निर्भर है ऐसी परिस्थितियों में फैक्ट्रियों द्वारा कोरोनावायरस की आड़ लेकर महामारी के दौरान मजदूरों की के साथ ऐसा अन्याय बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बिना किसी कारण के मजदूरों को उनके काम से अलग कर उनको भूखों मरने के लिए मजबूर करने का काम फैक्ट्रियों द्वारा किया जाता है तो हम अंतिम समय तक इसका विरोध करेंगे। डब्बू ने कहा कि 23 मार्च से जेपी भिलाई प्लांट बाबूपुर द्वारा 200 श्रमिकों को जो फैक्ट्री में मैकेनिकल,वेल्डर,फिटर वह सिविल में कार्यरत है उन्हें बिना किसी कारण के निकाल दिया गया। जबकि फैक्ट्री में उत्पादन पूरी क्षमता के अनुसार हो रहा है। ऐसी परिस्थितियों में इन श्रमिकों को निकाला जाना न्याय संगत नहीं है। हम फैक्ट्री प्रबंधन और प्रशासन से यही उम्मीद रखते हैं कि इन श्रमिकों को इनकी योग्यता अनुसार काम दिया जाए ऐसा ना होने की स्थिति में फैक्ट्री को इसके परिणाम भुगतने होंगे।