पुलिस-प्रशासन ने की तैयारी... 2 लाख 64 हजार मतदाता तय करेंगे विधायक
भोपाल। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा करते ही इंदौर जिले की सांवेर में भी चुनावी बिगुल बज चुका है। मुकाबला कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू और भाजपा के तुलसी सिलावट के बीच हो रहा है, लेकिन एक ओर जहां पूरी सरकार चुनाव लड़ रही है, वहीं कांग्रेस भी अपनी संभावनाओं को खोजने में लगी हुई है। कांग्रेस ने जहां हर-हर महादेव... घर-घर महादेव अभियान चलाया, वहीं भाजपा ने हर-हर नर्मदे अभियान चलाकर सभी लोगों की प्यास बुझाने और नर्मदा को सांवेर तक लाने का ऐलान कर बड़ी तादाद में वोट अपने कब्जे में कर लिए। इसके अलावा शिवराज-सिंधिया की मौजूदगी में बड़ा जमावड़ा भी किया गया। कुल मिलाकर यहां मुकाबला रोचक बन गया है।

सभी की निगाहें सांवेर उपचुनाव पर इसलिए भी लगी हैं, क्योंकि सभी 28 सीटों में से यह इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां से सिंधिया के सिपहसालार तुलसी सिलावट मैदान में हैं, जो लंबे से इसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं। सत्ता के तख्तापलट के बाद सिलावट भी कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए और मंत्री बन गए तो उधर कांग्रेस में भी यही स्थिति रही। भाजपा में शामिल हुए गुड्डू फिर से कांग्रेस में आ गए और उन्हें पार्टी ने सांवेर से टिकट भी दे दिया है। अपनी चुनावी रणनीति और कम समय में ही चुनाव जीतने का कीर्तिमान गुड्डू के खाते में दर्ज है। पूर्व में भी वे सांवेर से अचानक खड़े किए गए और मात्र 15 दिन में उन्होंने चुनाव जीत लिया था। इसी तरह का करिश्मा वे अन्य सीटों पर भी कर चुके हैं। यही कारण है कि भाजपा सांवेर के उपचुनाव को कमजोर नहीं आंक रही है और पूरी ताकत झोंक दी है। यही कारण है कि विजयवर्गीय खेमे के प्रमुख रमेश मेंदोला को चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है और सांवेर के पूर्व विधायक राजेश सोनकर को भी प्रभारी बनाया गया है। वहीं पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में भीड़भरा आयोजन भी हुआ, जिसमें पिछले चुनाव की तुलना में तीन से चार गुना से अधिक मतों से सिलावट को जिताने के दावे भी किए गए। जानकारों का मानना है कि मुकाबला आसान नहीं है और रोचक रहेगा। अब ये तो सांवेर के 2.64 लाख मतदाता तय करेंगे कि वे किसे अपना विधायक चुनते हैं।
तुलसी नहीं सिंधिया चुनाव लड़ रहे हैं सांवेर से
सांवेर से चुनाव लड़ रहे मंत्री तुलसीराम सिलावट न केवल सिंधिया के चहेते हैं, बल्कि बगावत के लिए विधायकों को जुटाने और सरकार बनाने में भी सिलावट ने अहम भूमिका निभाई। जब सरकार बनी तो तुलसी सिलावट को उपमुख्यमंत्री बनाने तक का प्रस्ताव सिंधिया ने दिया, लेकिन बात जमी नहीं। मुख्यमंत्री ने भी इसे प्रतिष्ठा की सीट मानते हुए सिलावट को किसी भी हालत में चुनाव जिताने की तैयारी कर ली है। सांवेर क्षेत्र में जहां रमेश मेंदोला जैसे चुनावी रणनीतिकार को लगाया गया है, वहीं मुख्यमंत्री ने भी खुद सांवेर क्षेत्र में घोषणाओं के अंबार लगाकर सिलावट की राह आसान बनाने का प्रयास किया है। सिंधिया भी यहां की स्थिति को लेकर लगातार संपर्क में हैं।