भोपाल, मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी अपनी नई कार्यकारिणी के गठन को लेकर लगातार असमंजस की स्थिति में फंसती जा रही है। नए प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के कार्यकाल लगभग 9 माह पूर्णता की ओर है किंतु उन्होंने अभी तक अपनी नई टीम का गठन नहीं किया है। वर्तमान में प्रदेश भाजपा संगठन की जो कार्यकारिणी काम कर रही है वह लगभग 4 साल पुरानी है। तात्कालिन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान द्वारा गठित की गई है। इसके बाद भी सांसद राकेश सिंह लगभग डेढ़ साल तक प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभालते रहे किंतु उन्होंने भी अपनी नई कार्यकारिणी का गठन नहीं किया और पुराने कार्यकारिणी को ही जस के तस रखा। संगठन के नए सिरे से विस्तार के अभाव में पिछले 1 साल से भाजपा के कार्यसमिति की बैठक भी नहीं हो पाई है। इससे स्पष्ट है कि भाजपा में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है।
कई फैक्टर सक्रिय
संगठन में कई फैक्टरो के सक्रिय होने के कारण प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा अनिर्णय की स्थिति में है। उनके सामने ना सिर्फ कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए सिंधिया समर्थकों को संगठन में एडजेस्ट करने की चुनौती है बल्कि प्रदेश भाजपा के अलग-अलग छत्रपो के समर्थकों को भी स्थान देने की मजबूरी है। संगठन में महत्वपूर्ण स्थान पाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समर्थक सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। यही हाल केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के समर्थकों का भी है उनके द्वारा लगातार संगठन में स्थान पाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इस बीच किन्ही कारणों से मंत्रिमंडल में स्थान बनाने में सफल रहे कुछ विधायक भी संगठन में महत्वपूर्ण पद पाकर काम करने की इच्छा जता चुके हैं। उपचुनाव को दृष्टिगत रखते हुए भी संगठन में कई नेताओं को समायोजित करने का दबाव भी लगातार कायम है। संघ के कुछ करीबी समझे जाने वाले पार्टी नेताओं के साथ ही शिवराज सरकार के लिए सत्ता से बाहर रहकर लगातार मैदानी जमावट करने वाले नेताओं को भी नजर अंदाज नहीं करने की बड़ी मजबूरी है।
संभवत यही कारण है कि कार्यकारिणी की सूची को अंतिम रूप देने में लगातार देरी हो रही है। यह भी माना जा रहा है कि नए पदाधिकारी बनाने को लेकर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत ने प्रदेश के सभी बड़े नेताओं के साथ ही संघ के स्थानीय पदाधिकारियों से भी चर्चा की है और उसी के आधार पर एक सूची भी तैयार किया गया है। प्रदेश कार्यकारिणी की अंतिम सूची तैयार कर इस पर राष्ट्रीय अध्यक्ष की मुहर भी जरूरी है। यह भी माना जा रहा है कि उप चुनाव की तिथि घोषित होने के पहले ही इस पर सभी कसरत पूरी कर ली जाएगी और शीघ्र ही प्रदेश भाजपा की नई कार्यकारिणी अस्तित्व में आएगा।
बसपा हुई आगे
मध्य प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा के उपचुनाव को बहुजन समाज पार्टी बहुत गंभीरता से ले रही है। पार्टी ने सभी 27 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा पहले ही कर दी है किंतु यह माना जा रहा है कि उनका फोकस उन चुनाव क्षेत्रों में होगा जहां बसपा पिछले 2-3 चुनाव में किसी भी दल के हार जीत को प्रभावित करने के लायक वोट कबाड़ने में सफल रही है और पार्टी का पर्याप्त जनाधार है। इस दृष्टि से पार्टी का पूरा ध्यान ग्वालियर चंबल की 16 सीटों पर केंद्रित हो सकता है। यही कारण है कि पार्टी की ओर से 8 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गई है और उपचुनाव की दृष्टि से तैयारियों पर बढ़त हासिल कर ली है। जबकि भाजपा की ओर से अभी तक सिर्फ यही कहा गया है उसकी कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व विधायकों को प्रत्याशी बनाया जाएगा किंतु इसकी अधिकृत घोषणा अभी तक नहीं की गई है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है।उनका फोकस उपचुनाव के बाद फिर से मध्य प्रदेश की सत्ता में काबिज होने पर है। इसके लिए कम से कम 23 से 24 सीट जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पार्टी द्वारा प्रत्याशी चयन को लेकर पूरी तरह से सतर्कता बरती जा रही है।
स्थानीय कार्यकर्ताओं के फीडबैक के साथ ही मैदानी चुनावी सर्वे के आधार पर प्रत्याशी चयन किया जा सकता है। पार्टी कुछ ऐसे नेताओं पर भी दांव लगा सकती है जो भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं या जिनके शामिल होने के संकेत मिल रहे हैं। उनके क्षेत्र में जनाधार का आकलन करने के बाद ही पार्टी कुछ निर्णय की स्थिति में पहुंचेगी। अलग-अलग क्षेत्रों में चुनावी तैयारियों पर नजर डालें तो पता चलता है कि भाजपा अभी से जोरदार तैयारियां शुरू कर चुकी है जबकि कांग्रेस और बसपा इसमें पिछड़ ती हुई दिख रही है। यह भी माना जा रहा है कि उप चुनाव की तिथि आने के बाद इसमें कुछ तेजी आ सकती है।
किसान कर्ज माफी पर केंद्रित
पिछले विधानसभा चुनाव की तरह कांग्रेस इस उपचुनाव में किसान कर्ज माफी को ही चुनावी मुद्दा बनाना चाहती है। इस बात के स्पष्ट संकेत पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने दे दिया है। उन्होंने अपने शासनकाल में कर्ज मुक्त हुए 26 लाख किसानों की विधानसभा वार सूची तैयार की है जो प्रत्येक विधानसभा चुनाव के प्रभारी और चुनाव प्रचार अभियान में झोंके जा रहे कार्यकर्ताओं तक पहुंचाई जा रही है, ताकि क्षेत्र के मतदाताओं को यह बताया जा सके कि पार्टी ने जो वचन दिया था उसे पूरा किया गया। वही भाजपा द्वारा कर्ज माफी नहीं करने को लेकर जो दुष्प्रचार किया जा रहा है उसका करारा जवाब दिया जा सके। इससे स्पष्ट है की किसान कर्ज माफी एक बार फिर बड़ा चुनावी मुद्दा बनने वाला है साथ ही कांग्रेस बिकाऊ और टिकाऊ के नारे को भी बुलंद करने जा रही है ताकि पार्टी की सरकार को बीच मझधार में छोड़ कर दलबदल करने वालों को बेनकाब किया जा सके। ऐसी दशा में आने वाले दिनों में उपचुनाव की दिलचस्प तस्वीर मध्यप्रदेश में दिखाई दे सकती है।