खंभे पर नहीं चढ पातीं महिलाएं, इसलिए नहीं होती भर्ती, हाईकोर्ट ने कहा पहले लें टेस्ट

खंभे पर नहीं चढ पातीं महिलाएं, इसलिए नहीं होती भर्ती, हाईकोर्ट ने कहा पहले लें टेस्ट
हैदराबाद, तेलंगाना की बिजली कंपनियां अपने यहां लाइनमैन या कहें कि लाइन विमिन के तौर पर महिलाओं को नौकरी नहीं देना चाहतीं। उनका मानना हैं कि महिलाएं खंभे पर नहीं चढ़ सकतीं। लेकिन यह तर्क हाईकोर्ट के गले नहीं उतरा और कोर्ट ने बिजली कंपनियों से कहा है कि महिलाओं के लिए खंभे पर चढ़ने का टेस्‍ट रखकर उनकी काबलियत परखें। असल में दो महिलाओं ने बिजली कंपनी के फैसलों के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी। उस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस राघवेंद्र सिंह चौहान और जस्टिस बी विजयसेन रेड्डी की बेंच ने हैरानी जताई कि एक ओर जब सशस्‍त्र सेनाओं ने महिलाओं के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं वहीं बिजली कंपनियां केवल 'महिला' होने के नाम पर यह भेदभाव कैसे कर सकती हैं। कोर्ट: दो हफ्ते में लें परीक्षा कोर्ट ने आदेश दिया कि महबूबाबाद की वी भारती और सिद्दिपेट की बी शिरिशा के लिए खंभे पर चढ़ने की परीक्षा का आयोजन किया जाए। यह परीक्षा दो हफ्तों के भीतर की जानी है। भारती का कहना है, 'पुरुषों की तरह ही मैंने भी अपने काम के लिए कड़ी ट्रेनिंग की है। तैयारी के लिए मैंने अपने दोनों बच्‍चों को गांव में छोड़ा और वारंगल में रह रही हूं।' पहले दिया था 33 पर्सेंट आरक्षण हैरानी की बात यह है कि शुरू में इन्‍हीं पावर कंपनियों ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण के साथ नौकरी की पेशकश की थी। लेकिन बाद में उन्‍होंने अपना फैसला बदल लिया। महिलाओं के वकील एस सत्‍यम रेड्डी ने अदालत को बताया कि बिजली कंपनी ने साल 2018 में 1,500 और 2019 में 2,500 महिलाओं के लिए पोस्‍ट निकाली थीं। साल 2018 में तो महिलाओं के लिए 33 पर्सेंट आरक्षण की भी व्‍यवस्‍था थी जिसे 2019 में हटा दिया गया।