दो दर्जन फार्मेसी कॉलेजों पर अस्तित्व का संकट नहीं हुआ एक भी एडमीशन

दो दर्जन फार्मेसी कॉलेजों पर अस्तित्व का संकट नहीं हुआ एक भी एडमीशन

40 कॉलेजों में 25 फीसद से कम, दस हजार सीटें अभी तक खाली

भोपाल । प्रदेश के निजी फॉर्मेसी कॉलेजों में इस बार प्रवेश की स्थिति बेहद खराब हो गई है। दो दर्जन निजी फार्मेसी कॉलेजों में एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया है। जबकि 40 कॉलेजों में कुल सीटों के मुकाबले 25 फीसद विद्यार्थियों ने भी प्रवेश नहीं लिया है। अब तक दो दौर की काउंसिलिंग हो चुकी है। अब आखिरी दौर की प्रवेश प्रक्रिया आयोजित की जा रही है। कम प्रवेश से कॉलेज संचालित करने पर भी संकट खड़ा हो गया है। तकनीकी शिक्षा विभाग ने बीफार्मा और डीफार्मा के 215 कॉलेजों में प्रवेश देने लिए काउंसिलिंग अगस्त में शुरू कर दी थी। करीब साढ़े 17 हजार सीटों पर प्रवेश देने के लिए विभाग तीन चरण में काउंसिलिंग करा रहा है। इस बार विभाग ने करीब डेढ़ दर्जन फार्मेसी कॉलेजों को काउंसिलिंग में शामिल नहीं किया है। इससे बीफार्मा और डीफार्मा की एक हजार सीटों की कटौती हो गई है। दो दौर की काउंसिलिंग होने के बाद अब तक सिर्फ साढ़े सात हजार सीटें भर सकी हैं। जबकि दस हजार सीटें खाली हैं। दूसरे दौर में कॉलेजों का आवंटन 26 अक्टूबर को विभाग करेगा, जिसके बाद आवंटित कॉलेज में प्रवेश लिया जा सकेगा। नए फार्मेसी कॉलेजों पर है रोक ऑल इंडिया काउंसिल फ़ॉर टेक्निकल एजुकेशन ने प्रदेश समेत देशभर में फार्मेसी के नए निजी कॉलेजों को मान्यता देने पर रोक लगा रखी है। यह रोक पांच साल तक लागू रहेगी। इसकी वजह यही है कि निजी कॉलेज मान्यता तो ले रहे थे, लेकिन गुणवत्ता पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा था। साथ ही देशभर में बड़ी संख्या में सीटें भी खाली रह रही थी।