...तो इस सत्र में पढा नहीं पाएंगे डॉ. फिरोज खान

...तो इस सत्र में पढा नहीं पाएंगे डॉ. फिरोज खान
वाराणसी, बीएचयू में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर चल रहा धरना समाप्त हो गया, लेकिन विरोध अभी भी जारी है। विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों में परीक्षाओं का दौर शुरू हो गया है। संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में भी दो दिसम्बर से परीक्षाए आरंभ होंगी। ऐसे में डॉ. फिरोज अब इस सत्र में नहीं पढ़ा पाएंगे। चर्चा रही कि डॉ. फिरोज परिसर में एक अधिकारी के घर पर ठहरे है। प्रशासन ने उनकी सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए हैं। हालांकि इस संदर्भ में विवि के किसी अधिकारी ने कोई बयान नहीं दिया। उधर संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के छा़त्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार कर विरोध जताया। संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में डॉ. फिरोज की नियुक्ति को महामना के आदर्शों के विपरीत बताते हुए छात्रों ने सात नवंबर को कुलपति आवास के सामने धरना शुरू कर दिया था। शनिवार की सुबह डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति के विरोध में छात्रों ने परिसर में कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया। जिसके चलते संकाय खुलने के बाद भी कक्षाओं में सन्नाटा पसरा रहा। परीक्षा की तैयारी में जुटे शिक्षक  संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में दो दिसंबर से सेमेस्टर परीक्षाएं होंगी। संकाय बंद रहने की वजह से परीक्षा तैयारी भी बाधित रही। संकाय खुलने के दूसरे दिन शनिवार को सुबह से शिक्षक व्यस्त रहे। कक्षाएं तो नहीं चलीं, लेकिन शोध छात्र संकाय पहुंचे। संकाय प्रमुख के साथ ही शिक्षक भी अपने-अपने विभाग में पहुंचे और परीक्षा की तैयारी चलती रही। साहित्य के विभागाध्यक्ष ने इस बाबत किसी भी प्रकार की टिप्पणी से इनकार कर दिया। अन्य शिक्षकों ने भी इस मुद्दे पर मौन साध लिया है। हालांकि परीक्षा की इन तैयारियो में डॉ. फिरोज शामिल नहीं थे। ज्वाइंट एक्शन कमेटी से जुड़े बीएचयू के छात्रों और बुद्धिजीवियों ने संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय में डॉ. फ़िरोज़ खान की नियुक्ति के समर्थन में शनिवार को मार्च निकाला। मार्च लंका गेट से अस्सी तक गया। यहां पर आयोजित सभा में छात्रों में वक्ताओं ने कहा कि जब तक फ़िरोज़ खान बीएचयू में पढ़ाना शुरू नहीं कर देते तब तक आंदोलन जारी रहेगा। वक्ताओं न कहा कि काशी से दुनिया में यह संदेश जाना चाहिए कि यह देश, उसके विश्वविद्यालय, उसका समाज, उसकी राजनीति संविधान पर आधारित है। उन्होंने संकीर्ण आधार पर नियुक्ति का विरोध करने की आलोचना की। कहा कि समाज में नफरत और कुंठा के लिए कोई जगह नहीं है। बीएचयू के छात्रों को यह बताना होगा कि उनकी सोच इतनी संकीर्ण नहीं है। बीएचयू में जेएनयू के एजेंटों ने कराया हंगामा : महामंडलेश्वर यतेंद्रानंद जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यतेन्द्रानंद महाराज ने कहा है कि बीएचयू में जो हाल ही में हंगामा हुआ है, उसके पीछे जेएनयू के एजेंटों का हाथ है। अन्यथा बीएचयू की कभी भी इस तरह की संस्कृति नहीं रही है। महामंडलेश्वर सहारनपुर में दून वैली स्कूल और संस्कृत भारती की ओर से शनिवार को आयोजित प्रांतीय संस्कृत सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर आए थे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि संस्कृत भाषा भारत की देववाणी है। यह परमात्मा द्वारा प्रदत्त सृष्टि की भाषा है। संस्कृत की ओर आज दुनिया कदम बढ़ा रही है। अन्य देशों से पहले भारत को इसमें आगे बढ़ना चाहिए, तभी संस्कृत और देश का सम्मान रह पाएगा। इसी उद्देश्य के लिए प्रांतीय संस्कृत सम्मेलन में चिंतन किया गया है। उन्होंने मांग की कि संस्कृत को रोजगार से जोड़ा जाए।