वन विभाग के टीपी कांड में अब तक जांच के नाम गोलमाल

वन विभाग के टीपी कांड में अब तक जांच के नाम गोलमाल

एक साल होने को आया मात्र रेजर एवं वन रक्षक निलंबित किए गए

brijesh parmar उज्जैन। उज्जैन वन वृत्त के शाजापुर, आगर, एवं उज्जैन जिले में हुए टीपी कांड को एक वर्ष होने को आया लेकिन अब तक वास्तविकता कोसो दूर है। मामले को किस तरह राजस्व विभाग की आंख में धूल छोंक कर अंजाम दिया गया यह स्थिति अब भी फाईलों में कैद है। जांच के नाम पर गोलमाल ही चल रहा है। तीन जिलों में हुए टीपी कांड में प्रारंभिक रूप से भोपाल से जांच का दबाव आने पर वन संरक्षक ने आगर के वन रक्षक को निलंबित कर दिया था। मामला मिडिया में तुल पकडने की स्थिति में इसके काफी समय पश्चात सेवानिवृत्ति के मात्र कुछ दिन पहले शाजापुर जिले की कालापीपल एवं आगर जिले के आगर रेजर को निलंबित किया गया।इसके बाद चल रही जांच भी सवालों के घेरे में की जा रही है।जांच में राजस्व विभाग की और से न तो शाजापुर न ही आगर और न ही उज्जैन जिले से किसी अधिकारी को शामिल किया गया है। मामले में संभागीय उडनदस्ता एवं शाजापुर एवं आगर के जिम्मेदार अधिकारियों को भी अब तक कोई कार्रवाई न करते हुए सीधे तौर पर बख्श दिया गया है।टीपी कांड का खुलासा इंदौर जिले में हुआ था। जहां शाजापुर जिले की अवैध फर्जी टीपी पकड में आने के बाद तत्कालीन अधिकारी ने मुख्यालय तक इस मामले को पहुंचाया था।इसके बाद मुख्यालय से वन वृत्त उज्जैन को जांच मिलने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।मिडिया में मामले के खुलासे के बाद विभागीय स्तर पर दबाव के चलते पहले वन रक्षक और बाद में संबंधित रेंजर को निलंबित किया जाना अधिकारियों की मजबूरी हो गई थी। जांच में राजस्व अधिकारी हों तो खुलासा हो- वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि अवैध टीपी कांड में सर्वाधिक नुकसान राजस्व विभाग को पहुंचा है।राजस्व क्षेत्र की लकड़ी को अवैध तौर पर कटवाया गया है। यहां तक की टीपी के लिए राजस्व विभाग की अनुमति को भी दाव पर लगाकर लकड़कट्टो ने इसे मिलीभगत के साथ अंजाम दिया है।वन विभाग की जांच में राजस्व विभाग का अपा पता ही नहीं है ऐसे में जांच पर सीधे तौर पर ही सवाल खड़ा हो रहा है। शाजापुर एवं आगर के शेष अधिकारी निश्चितं टीपी कांड का केंद्र शाजापुर रहा है।शाजापुर जिले के अंतर्गत ही आगर जिले का वन विभाग आज भी संचालित होता है।इसी के चलते शाजापुर जिले में पदस्थ रेंजर को आगर का प्रभार दिया गया।आगर के वन रक्षक और रेंजर के निलंबन के साथ शेष जिम्मेदार अफसरान विभाग में चल रहे जांच नाम के कछुए से निश्चिंत होकर अपने काम को अंजाम दे रहे हैं जबकि मामले टीपी की अनुमति में इनकी जिम्मेदारी भी पुरी तरह से सामने आ रही है। वन रक्षक एवं रेंजर को निलंबित किया जा चुका है।बहुत ज्यादा कुछ नहीं है।भोपाल भेजा जा चुका है।आप अगर जांच के बिंदु एवं अन्य जानकारी चाहते हैं तो परसों कार्यालय आ जाएं। अजय यादव ,वन संरक्षक वृत्त,उज्जैन