jay prakash rai
टीकमगढ़, शासकीय राजेन्द्र अस्पताल में अव्यवस्थाओं के कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है और सबसे बड़ी बात यह है कि रात हो या दिन में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए दवा भी अस्पताल से मुहैया कराई जाती है। लेकिन मरीजों को उस दवा का फायदा नहीं होता है जिसके कारण मरीजों की सेहत दिन प्रतिदिन गिरती जाती है और अगर मरीज के परिजन डॉक्टर से यह बात करते है कि मरीज को आराम नहीं मिल रहा है तो डॉक्टर गुर्राते हुये कहते है कि क्या झासी या ग्वालियर के लिए रेफर कर दूँ अभी मेरे सोने का टाइम है और किसी ट्रेनिंग वाले डॉक्टर को अपनी सीट पर बैठा देते है और डॉक्टर अपने ड्यूटी रूम में जाकर सो जाते है। मरीज रोते है डॉक्टर सोते है।
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अस्पताल की बद से बत्तर व्यवस्थाओं के कारण नगर में बीमार व्यक्तियों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ता है जिसकी वजह से नगर के लोगों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है कि अस्पताल से मिलने की औषधि इतनी घटिया किस्म की होती है कि उनसे मरीजों को कई दिन खाने के बाद भी लाभ नहीं मिलता तब कहीं जाकर मरीज प्राइवेट अस्पतालों में अपने को दिखाने और जांच कराने की सलाह देते है डॉक्टर कहते है कि अगर आराम नहीं मिल रहा है तो कहीं दूसरी जगह दिखाओं गरीब आदमी के लिये तो यह बड़ी समस्या बनी हुई है जिसके घर में पर्याप्त मात्रा में सुविधाये न होने की वजह से निजी अस्पतालों में वह कैसे अपना इलाज करा सकता है।
जिन गरीबों को अपना पेट भरने के लाले पड़ते है वह अपना इलाज प्राइवेट अस्पतालों में भला कैसे करवा पायेगे उनके लिए यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। और सरकारी अस्पताल में डॉक्टर केवल राउन्ड लगाकर दवा लिखने के बाद चले जाते है और जब दोबारा मरीज बुलाने जाते तो कहते है कि तुम बाहर दिखाओं।
भले ही सरकार गरीबों के हित की स्वास्थ्य सम्बन्धी व्यवस्था बनाये लेकिन वर्षो से जमे डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग को कमाई का जरिया बनाये हुये है। सरकार के द्वारा हर ग्रामीण क्षेत्र एवं शहरी क्षेत्र में शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खोले गये इनका मूल उद्देश्य यह है कि इनको ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाये मिल सके लेकिन कई स्थान ऐसे है जिले के जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हफ्ते में एक या देा दिन मुश्किल से खोले जाते है और शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य न खुलने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पडता है जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों की चांदी कटने लगती है।
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जो किसी बीमारी से पीडि़त हो उनका तुरन्त उपचार हो सके लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में चाहे बल्देवगढ़ हो या खरगापुर, बड़ागांव, देरी, और पृथ्वीपुर इनके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भले ही शासन के द्वारा शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खोले गये हो लेकिन यह हफ्ते में एक या देा दिन चपरासी खोलता है सफाई करके फिर बंद कर देता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ डॉक्टर अपने घर पर ही मरीजों को देखते है और उनसे मनमानी फीस वसूलते है।
क्या कहते है अधिकारी
जब इस मामले में सीएमएचओ डॉ.वर्षा राय से बात की तो उन्होने कहा कि मैं स्वयं जाकर डॉक्टरों की ड्यूटी चैक करूँगी कि डॉक्टर कहीं लापरवाही तो नहीं कर रहे है और अगर ड्यूटी पर डॉक्टर लापरवाही बरतते पाये जाते है तो उनके विरूद्ध कार्यवाही होगी।