brijesh parmar
उज्जैन । भारतीय लोकतन्त्र के इतिहास का काला दिन 25 जून 1975 जिस रात 12 बजे पूरे देश मे आपातकाल लागू किया गया , जिसमे सम्पूर्ण भारत से लगभग 1,78,700 लोग गिरफ्तार हुए उनका दोष सिर्फ इतना था की वो लोकतन्त्र के पेरोकर थे इसमें लगभग 672 पत्रकार भी शामिल थे , समूचा देश मानो कारागार में तब्दील हो गया था ये बात लोकतंत्र सेनानी संघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष तपन भोमिक ने उज्जैन मे आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कही !
तपन भोमिक अल्प प्रबास पर उज्जैन पहुँचे यहाँ श्री भोमिक ने लोकतन्त्र सेनानियों की सम्मान निधि बंद करने के सरकार के फैसले के विरोध मे पत्रकार वार्ता ली , श्री भौमिक ने इस दौरान कहा की भारत मे आपातकाल लगाना देश के लोकतान्त्रिक ईतिहास मे लोकतन्त्र को धत्ता बताता हुआ सबसे दुर्दांत निर्णय था जिसमे देशवासियों के सामाजिक , आर्थिक सहित मौलिक अधिकारों पर भी प्रतिबंध लगाने का अफलातूनी आदेश तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी द्वारा प्रतिपादित किया गया था ! श्री भौमिक ने कहा की ये एक ऐसा निर्णय था जिसके अंतर्गत सरकार किसी को भी उठा कर कारगर मे ठूंस सकती थी और उसकी सुनवाई पर भी रोक थी !
श्री भौमिक ने कहा की मध्यप्रदेश मे वर्ष 2008 मे ऐसे ही आंदोलनकारियों को चिन्हित किया गया जिनहोने उस तुगलकी निर्णय के विरोध मे एक निर्णायक जंग लड़ी थी , तात्कालिन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐसे लोकतन्त्र के रक्षकों को ना सिर्फ लोकतन्त्र सेनानियों का दर्जा दिया अपितु मासिक सहायता के रूप मे एक निश्चित सम्मान निधि देना भी तय किया था ! परंतु वर्तमान मे प्रदेश की काँग्रेस सरकार के मुखिया श्री कमलनाथ ने इस सम्मान निधि पर सत्यापन के नाम पर रोक लगाकर लोकतन्त्र को शर्मसार करने वाले उस कालखंड की पुनरावृत्ति की है ! श्री भौमिक ने कहा की ये अधिनियम है जिसे एकदम बंद नहीं किया जा सकता है इसलिए सरकार जांच के नाम पर इस योजना को उलझाकर उन हजारों लोकतन्त्र के रक्षकों को अपमानित करने का कार्य कर रही है साथ ही इस जांच के नाम पर पूरे प्रदेश को दिग्भ्रमित कर रही है , श्री भोमिक ने कहा की अगर सरकार इसका भौतिक सत्यापन करवाना चाहती है तो वो सम्मननिधि जारी रखते हुए भी करवा सकती है परंतु सरकार दुर्भावना से ग्रसित हो जांच के नाम पर इसे बंद करना चाहती है , जो हम होने नहीं देंगे ! पूर्व मे भी कई प्रान्तों मे इस योजना को सरकार द्वारा बंद करने का प्रयास किया गया है परंतु कोर्ट की लताड़ के बाद पुनः योजना चालू करना पड़ी है श्री भोमिक ने प्रदेश की काँग्रेस सरकार को चेताते हुए कहा की अगर मध्यप्रदेश मे ऐसा कोई आलोकतांत्रिक कदम उठाया गया तो हजारों लोकतन्त्र सेनानी लामबंद होकर लोकतान्त्रिक अधिकारों की लड़ाई सड़कों पर भी लड़ने मे गुरेज नहीं करेंगे ! श्री भौमिक ने राजस्थान की गेहलोत सरकार एवं उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार का उदाहरण देते हुए कहा की मे वर्तमान सरकार को याद दिलाना चाहता हूँ की पूर्व मे भी जिन राज्य सरकारों ने मिसबंदियों की पेंशन बंद करने का कार्य किया है वो सरकारे लंबे समय तक टिक नहीं पायी है !
पत्रकार वार्ता के दौरान लोकतन्त्र सेनानी संघ के जिलाध्यक्ष नरेंद्र सांखला , जगदीश अग्रवाल , भानुप्रताप पँवार , कैलाश कुशवाह , नरेंद्र कछवाय सहित कई मिसाबंदी उपस्थित थे ।