सेवाधाम, जहाँ मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है

सेवाधाम, जहाँ मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है

बिना किसी जाती-धर्म-सम्प्रदाय-बीमारी भेद के बच्चों से बुजुर्गो की सेवा

इन्दौर एयरपोर्ट से 75 और उज्जैन से 15 किलोमीटर दूर गंभीर बांध और ढाई हजार वर्ष प्राचीन

brijesh parmar उज्जैन। श्री बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर के समीप पंचक्रोशी मार्ग पर 32 वर्षो से सेवाधाम आश्रम अंकित ग्राम द्वारा मानवता की सेवा बिना किसी जाति-धर्म, सम्प्रदाय और बीमारी भेद के साथ की जा रही है, यहाँ आज जन्मजात बच्चों से लेकर 100 वर्ष तक के बुजुर्गो का सात सौ सदस्यीय परिवार सम्पूर्ण हिन्दुस्तान को समेटे हुए है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, उत्तरप्रदेश, असम, झारखण्ड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, बंगाल से लेकर केरल तमिलनाडु आदि राज्यों से अनेक पीडित यहाँ आने के पहले अत्यन्त ही दैयनिय स्थिति में होते है, इनमें शारीरिक मानसिक दिव्यांग के साथ केंसर, टी.बी., एच.आई.वी. और अनेक संक्रामक बीमारियों से ग्रसितों के साथ कई तो ऐसे होते है जिनके सडे घावों में कुलबुलाते कीडों और शरीर से आने वाली दुर्गंध के कारण उनके पास एक पल भी पास खडें रहना मुश्किल होता है। ऐसे मानव की सेवा के माध्यम से यह आश्रम 26 जनवरी 2021 को 33 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। संस्थाध्यक्ष डाॅ. वेदप्रताप वैदिक सक्रिय रूप से सेवाधाम से जुड़े हुए हैै। आपका कहना है- हमें पैसा नही व्यक्ति चाहिए। लोग यहां आए कार्य को देखें और मन में विश्वास जागृत होने पर इस सेवा कार्य से जुड़े जो मालवा में आपने आप में एक अनोखा सेवा प्रकल्प हैैै। आपके शब्दों में सेवाधाम मंदिर, मस्जिद, गिरजे और गुरूद्धारें से अधिक पवित्र हैं। आश्रम जहाँ 32 वर्ष पूर्व दुर्गम पहुॅच मार्ग के साथ उबड़-खाबड बंजर निर्जन भूमि जहाॅ जंगली झाडियों खाईयों के साथ भयावह जानवरों का बसेरा था, दूर-दूर से पीने का पानी लाने के साथ ही अंधियारी रातो में एक पल भी रूकना मुश्किल था वहाॅ आज प्राकृतिक सौंदर्य से आच्छादित सम्पूर्ण परिसर चैबीसौं घंटे चल रहे मानवता की सेवा रूपी यज्ञ की सकारात्मक ऊर्जा से तीर्थ क्षेत्र बन गया है, यहाँ देश विदेश से अनेक सेवाभावी आकर सेवा यज्ञ में अपने द्रव्य की आहुति देकर जीवन सार्थक कर रहे है। ‘‘अनादि प्राचीन सिंहस्थ नगरी उज्जैयनी में हिन्दुस्तान के विविध राज्यों से अनेक लोग आते है और अपने विक्षिप्त, दिव्यांग, अशक्त निशक्त बुजुर्गो और बच्चों को मंदिरों की पौढियों के समीप, क्षिप्रा किनारे, रेल्वे एवं बस स्टेशन के पास भगवान भरोसे छोड जाते है, पश्चात रेलवे-जिला पुलिस एवं प्रशासन, अस्पतालो, समाजसेवियों और संस्थाओं के माध्यम से आश्रम पहुचाए जाते है जिन्हे आश्रम में आने के बाद पुर्नजन्म मिलता है जो समाज की मुख्यधारा से जुडकर एक वृह्द परिवार का हिस्सा बन जाते है।‘‘

देवगुरू और परमात्मा की अनंत कृपा ही हमारा सहारा

सेवाधाम के संस्थापक सुधीर भाई बताते है कि जब 1989 में 14 बीघा भूमि खरीदकर आश्रम को दान में दी उस समय कभी स्वप्न में भी यह नही सोचा था कि यहाॅ इतना विशाल मानवता की सेवा का तीर्थ खडा हो जाएगा। 14 वर्षो तक आश्रम ने खूब संघर्ष किया, अनेको बार एक समय का भोजन था तो दूसरे समय का नही था। दो से दस प्रतिशत तक इसी उज्जैन में अनेक लोगों से ब्याज पर पैसा लिया। लाखों का कर्ज फ्रीगंज का एक प्रसिद्ध ज्वेलर पत्नी कांता के लाखों रूपये के गहने लेकर भाग गया जिन्हें आश्रम के लिए गिरवी रखा गया था लेकिन हिम्मत नही छोडी। एक मात्र पुत्र अंकित की मृत्यु, इकलौती बहन की पति के क्रूर हाथों हत्या और पिता का निधन भी इन्हे सेवा संकल्प पथ से नही डिगा पाया। देवगुरू के रूप में परमहंस स्वामी श्री रणछोदासजी महाराज और पद्भूषण आचार्य श्रीमद् विजयरत्न सुन्दर सुरीश्वर जी महाराजा की अनंत कृपा और उपकारों से आश्रम को नवजीवन मिला 12 वर्षो का अन्न त्याग संकल्प की पूर्णाहुति तक आश्रम का नवनिर्माण हुआ। आपका कहना है वे कुछ नहीं करते आश्रम को संचालन करने की ताकत और हिम्मत उनमंे नहीं है, इसका संचालन देवगुरू और परमात्मा की अनंत कृपा और उपकारों से ही हो रहा है।

200 से अधिक पीडित शोषित विक्षिप्त गर्भवती माताओं और उनके बच्चों को मिल रहा संरक्षण

सेवाधाम आश्रम द्वारा जिला पुलीस/प्रशासन के माध्यम से सड़कों पर घूमती अज्ञात-पीडित शोषित गर्भवती माताओं को अपनाकर सुरक्षित प्रसव के बाद उनके बच्चों को भी संरक्षण दिया जाता जो सम्मानपूर्वक जीवन निर्वाह करती है इनमें 50 से अधिक बलात्कार की शिकार भी सम्मिलित है जिनमें कई नाबालिग माॅं भी होती है।

दिव्यांग बच्चों को मिलते षिक्षा संस्कार

सेवाधाम आश्रम में संचालित श्रीरामकृष्ण बालगृह एवं माॅं शारदा बालिकागृह में प्रदेश और विभिन्न राज्यों की बाल कल्याण समितियों द्वारा बोद्धिक और शारीरिक दिव्यांग बच्चों को जो अन्य संस्थाओं के लिए अस्वीकार्य होते हैं। शिक्षा संस्कार के साथ बेहतर जीवन देने का प्रयास किया जाता है। वर्तमान में 140 से अधिक बच्चे यहां सेवा प्राप्त कर रहे है जिनका मानिटरिंग महिला बाल विकास विभाग, बाल कल्याण समितियां और हाईकोर्ट द्वारा परिदर्शक के रूप में नियुक्त अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा निरन्तर किया जाता है। कांता भाभी के साथ मोनिका, गौरी गोयल और सेवा समर्पित कार्यकर्ताओं द्वारा चैबीसों घण्टे ध्यान रखा जाता हैं।

150 बुजुर्गों को मिल रहा घर परिवार

आश्रम में हिन्दुस्तान के विभिन्न राज्यों के बुजुर्गों को जो घर-परिवार से तिरस्कृत-बहिष्कृत और बीमार मरणासन्न विक्षिप्त स्थिति में यहां आते है। सेवा के साथ सम्मान जनक जीवन और पारिवारिक वातावरण प्राप्त हो रहा हैं। आश्रम के बच्चे अपने दादा-दादी नाना-नानी के समान उनकी सेवा में तत्पर रहते है और परस्पर खुशियां बांटते है।

300 से अधिक महिलाओं का मायका है सेवाधाम

आश्रम में सड़कों पर घुमती पीड़ित शोषित गर्भवती माताओं के साथ ही परिवार द्वारा परत्यिक्त, विधवा, बीमार, विक्षिप्त महिलाऐं जिनमें कुछ ऐसी भी है जिनके साथ उनके बच्चे होते है आकर नवजीवन प्राप्त कर सेवा में सहयोगी बनती है। कांता भाभी, मालती देसाई, संगीता खान उनका इस प्रकार ध्यान रखती है जेसे यह उनका अपना मायका हो। 200 से अधिक पीड़ित-षोशित-विक्षिप्त गर्भवती माताओं और उनके बच्चों को मिला संरक्षण आश्रम द्वारा जिला पुलिस एवं प्रशासन के माध्यम से सभी आवश्यक जांचों के बाद अनुशंसा द्वारा सड़क पर घूमती अज्ञात पीड़ित शोषित गर्भवती माताओं को अपनाकर सुरक्षित प्रसव के बाद उनके बच्चों को संरक्षण दिया जाता है जो सम्मानपूर्वक जीवन निर्वाह करती है।

निराष होकर आत्महत्या मत करना चले आओ भाई के घर

सुधीर भाई बताते है अनेक बार अल सुबह से देर रात्रि में जीवन से निराश घर परिवार से परेशान अनेक भाई बहनों और बुजुर्गों माताओं के फोन आते है जिनके मन में आत्महत्या के विचार होते है उनसे बात कर समस्या का समाधान कर उन्हें कहते है-आत्महत्या मत करना और भाई का घर अपना घर समझकर यहां आ जाना। ऐसे कई स्त्री पुरूष बुजुर्गों को यहां नवजीवन मिला जो यहां की दिनचर्या का हिस्सा हो जाते है।
व्यसन मुक्ति केन्द्र भी बन गया यह आश्रम
समाज में व्याप्त व्यसन से सम्पूर्ण परिवार को मानसिक तनाव झेलने पड़ते है एवं उन्ही का ही मुख्य कारण है ‘‘एडिक्टिव पर्सनालिटी डिसआॅर्डर’’। आश्रम में अनेक व्यसनी आए और अपने जीवन में सुधार ला रहे है। इसी कारण आश्रम व्यसन मुक्ति केन्द्र के रूप में उभर रहा है। यहां बच्चें, युवा एवं बुजुर्ग नशे से पीड़ित होकर आते है आश्रम के प्राकृतिक वातावरण, प्रतिदिन की दिनचर्या एवं काउंसलिंग के माध्यम से अनेक व्यसनियों को मुक्ति मिली एवं वह अपना स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे है। प्रेम, विश्वास और आत्मीयता ही आश्रम में जीवन परिवर्तन की कहानी हैं।
परस्पर सेवा से कर रहे जीवन सार्थक
दिव्यांग बने सषक्त, बढ़े स्वावलम्बन की ओर । बने एक दूसरे के सहयोगी, जीवन में आई नई भोर ।। समाज से ठुकराए व सेवाधाम ने अपनाए ऐसे अनेक आश्रमवासी जो पर सेवा एवं दैनिक दिनचर्या में अपनी सेवाऐं देकर जीवन सार्थक कर रहे है। आश्रमवासी परस्पर सेवा का ध्येय मन में लिए सेवा पथ पर चल रही है। परस्पर सेवा पर निर्भर बिस्तरग्रस्त अनेक बच्चों एवं बुजुर्गों की सेवा आश्रम में निवासरत युवा स्त्री-पुरूष कर रहे हैं। अनेक मानसिक रोगी ठीक होकर अपना जीवन यापन आश्रम को परिवार मानकर कर रहे है, वहीं सैकड़ों ठीक होकर पूनर्वसित हुए।
धर्मानुसार अंतिम संस्कार
आश्रम में निवासरतों का अंतिम समय में स्वास्थ्य का पूर्ण ध्यान रखा जाता है एवं मृत्यु उपरांत धर्मानुसार अंतिम संस्कार किया जाता है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों के लोग यहां निवासरत है। संस्था द्वारा 3000 धर्मानुसार अंतिम संस्कार किये जा चुके है।
8000 से अधिक पीड़ितों को मिला आश्रय
सेवाधाम आश्रम में 8000 से अधिक पीडितों को अपनाकर उनके पुर्नवसन, स्वावलंबन के साथ ही पर्यावरण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। आश्रम के परोक्ष समाजसेवी मास्टर अंकित सुधीर भाई गोयल की पावन स्मृति में प्रतिवर्षानुसार आयोजित होने वाले 10 दिवसीय वर्षा मंगल महोत्सव के अंतर्गत पंचक्रोशी मार्ग एवं आश्रम के आसपास हरे-भरे वृक्ष एवं लताऐं दिखाई देती है।
महावीर भोजनषाला में बनता षुद्ध सात्विक एवं पौश्टिक भोजन
वर्तमान में 700 आश्रमवासियों का एक वृहद परिवार है। महावीर भोजनशाला में प्रतिदिन दो समय की चाय-नाश्ता, दो समय का भोजन, फलाहार, खिचड़ी, ज्यूस आदि के माध्यम से सभी को शुद्ध सात्विक एवं पौष्टिक भोजन मिलता हैं
अनुभवी समर्पित चिकित्सकों की टीम करती उपचार
आश्रम में 24 घण्टे अनुभवी एवं समर्पित चिकत्सकों एवं परिचारिकाओं द्वारा देखभाल एवं सेवा-सुश्रुषा कर प्राथमिक चिकित्सा की जा रही है। इन्दौर के डाॅ. बी.डी. खण्डेलवाल 24 घण्टे आश्रम के सम्पर्क में रहकर अपनी निस्वार्थ सेवाऐं प्रदत्त कर रहे है। आश्रम में 24 घण्टे एम्बूलैंस की सुविधा है। समय-समय पर शासकीय जिला चिकित्सालय, एम.वाय. हास्पिटल, इन्दौर की चिकित्सा सुविधाऐं भी ली जाती है।
गोवंष और वन्यजीवों का संरक्षण का केन्द्र है सेवाधाम
आश्रम द्वारा संचालित सेवाधाम गौशाला नियमित रूप से संचालित हो रही है एवं वर्तमान समय में 120 से अधिक देशी गौवंश का संरक्षण हो रहा है जिनमें से 8-10 गायें दुधारू है जिनका दुध दिव्यांग बच्चों के हितार्थ उपयोग किया जाता हैं। गौशाला में गायों का संरक्षण एवं नस्ल संरक्षण को ही प्राथमिकता दी हैं। अनेक गायों को घायल अवस्था में नगर निगम एवं अन्य द्वारा सेवा हेतु पहंुचाया जाता हैं। आश्रम परिसर में मा. अंकित के हाथों रोपित पुराणों में वर्णित त्रिवेणी है जहां प्रतिदिन गो-भोजन के साथ अनेक प्रकार के वन्य जीवों हेतु भोजन प्रदान किया जाता है। आश्रम परिसर में सैकड़ों पशु-पक्षियों एवं अन्य जीवों का रैन - बसेरा भी हैं।
वनवासियों की सेवा में सेवाधाम
भूत-प्रेम और अंधविश्वास के कारण वनवासी क्षेत्रों में वर्षों से बेड़ियों में जकड़े अनेक आदिवासी, मनोरोगी युवा ओर बहनों को सेवाधाम द्वारा मुक्त कर समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास किया गया एवं उन्हें परिवार में पुनर्वसित भी किया।
सुबह 5 बजे से होती प्रतिदिन की षुरूआत
आश्रम में प्रतिदिन की शुरूआत 5 बजे से गुरूदेव का स्मरण कर होती है। प्रतिदिन प्रातःकाल सैर हेतु सुधीर भाई के साथ नन्हे-मुन्हें बच्चे, युवा एवं बुजुर्ग बिल्वकेश्वर मंदिर सैर हेतु जाते है एवं दैनिक नित्यकर्म पश्चात प्रार्थना, योग, ध्यान एवं श्रम करते हैं। सुबह का नाश्ता-दो समय की चाय और स्वादिष्ट भोजन ठीक समय मिलता है। रात 10 बजे तक सम्पूर्ण आश्रमवासी विश्राम करने चले जाते है।