SC के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने बुलाई कॉलेजियम की बैठक
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों ने सीजेआई एसए बोबड़े द्वारा गुरुवार को शीर्ष अदालत में नियुक्ति के लिए संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा के लिए बुलाई गई कॉलेजियम की बैठक पर आपत्ति जताई है। उनका तर्क है कि चूंकि भारत के राष्ट्रपति द्वारा नए सीजेआई की नियुक्ति के आदेश जारी हो चुके हैं ऐसे में कार्यवाहक सीजेआई के लिए किसी भी नाम की सिफारिश करना अनुचित है। मालूम हो कि 6 अप्रैल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वरिष्ठ न्यायाधीश एन वी रमना को आधिकारीक रूप से सुप्रीम कोर्ट का अगला सीजेआई नियुक्त किया था। वह 24 अप्रैल से सीजेआई बोबड़े के रिटायर होने के बाद अपना पद संभालेंगे।
यह भी पता चला है कि अधिसूचना जारी होने से पहले ही कॉलेजियम की बैठक निर्धारित कर दी गई थी और बैठक पर आपत्ति जताने के बावजूद सीजेआई बोबड़े ने अपना निर्णय नहीं बदला। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति में 5 जज होते हैं। इस बार कॉलेजियम की बैठक में सीजेआई बोबड़े और न्यायाधीश रमना के अलावा जस्टिस रोहिंटन नरीमन, यू यू ललित और ए एम खानविलकर शामिल होंगे। महाराष्ट्र वसूली केस में CBI जांच होगी या नहीं? अनिल देशमुख की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई वहीं, इस पूरे मामले पर पूर्व सीजेआई आर एम लोढ़ा ने कहा कि, 'ऐसा कोई नियम नहीं है कि निवर्तमान सीजेआई अपने कार्यकाल के अंत में सिफारिशें नहीं कर सकता, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह अपने सहयोगियों को कैसे विश्वास में लेता है।'
ऐसा माना जा रहा है कि जस्टिस बोबड़े सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए जस्टिस अकील कुरैशी और त्रिपुरा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नामों की सिफारिश करना चाहते हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट में कम से कम 6 जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया अभी होनी बाकी है। कॉलेजियम की बैठक पर गतिरोध ने उस चर्चा को अबरुद्ध कर दिया है जिसके जरिए अन्य संभावित उम्मीवारों के नामों पर चर्चा हो सकती थी जैसे कि कर्नाटक हाई कोर्ट की जज बी.वी नागरत्न जो यदि निक्तुत होतीं तो वह पहली महिला सीजेआई बनतीं। सूत्रों का कहना है कि कुछ सदस्य जस्टिस कुरैशी के नाम की सिफारिश का विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें सरकार के प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है, जैसा कि उनके त्रिपुरा हाई कोर्ट में बतौर मुख्य न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति के दौरान हुआ था।
जबकि अन्य सदस्यों का कहना है कि कॉलेजियम को इसका निर्णय सरकार पर छोड़ देना चाहिए। आपको बता दें कि साल 2019 में कॉलेजियम द्वारा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कुरैशी के नाम की सिफारिश पर आपत्ति जताने के बाद उन्हें त्रिपुरा का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वहीं, वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में 5 न्यायाधीशों की कमी है, जबकि सीजेआई बोबड़े के सुप्रीम कोर्ट में 14 महीने के कार्यकाल में सरकार के पास किसी के नाम की सिफारिश नहीं की गई है।