बड़वानी। यह अंजड की अश्विनी भामरे हैं, जो समाज की परंपरा को निभाते हुए विवाह से पहले निकाले जाने वाले चल समारोह में घुड़सवारी कर रही हैं। घोड़े, हाथी और बग्घी पर तो दूल्हों की बारातें निकलते तो बहुत देखी होंगी, लेकिन ऐसा कम ही होता है, जब दुल्हन घोड़े पर बैठकर मुख्य मार्ग पर निकले। अंजड में मंगलवार को मराठा समाज की परंपरा के अनुसार जब दुल्हन बनी अश्विनी घोड़े पर बैठकर घरातियों के संग निकली तो देखने वाले देखते रह गए। बेटी अश्विनी के माता-पिता ने यह रस्म बखूबी निभाई। सजी-संवरी और हाथ में तलवार लेकर दुल्हन को लोगों ने जब घोड़े पर बैठे देखा तो भीड़ लग गई। अश्विनी भामरे जो कि पहले 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद ब्यूटी पार्लर चला रही है, उनका विवाह 29 जनवरी को तय हुआ।
अंजड के एक मध्य वर्गीय परिवार में पली बढ़ी अश्विनी के पिता पेशे से ट्रक ड्राइवर है, जैसे ही दुल्हन घोड़े पर सवार होकर शहर में निकली किसी ने लक्ष्मी बाई कहा तो कोई बाजीराव मस्तानी का फिल्मी सीन याद करने लगा। पिता विठ्ठल और मां अलका ने बताया कि सभी समाज में बेटों को घोड़े पर बैठाने की रस्म होती है, हमारे परिवार कि यह चाह थी कि हमारी बिटिया का हम चल समारोह निकाले और विवाह के समय दुल्हन घोड़े पर बैठकर निकले साथ ही, बेटियों को भी बेंटो कि तरह दर्जा समाज में मिलना चाहिए। बीती रात दुल्हन बनी अश्विनी के बाना समारोह में परिवारजनों के साथ-साथ रिश्तेदार भी उसी तरह नाच रहे थे, जैसे दूल्हे के प्रोसेशन में नाचते हैं।