बाघ के शिकार का आरोपी राजू मरकाम को धरती खा गई या आसमान निगल गया?

बाघ के शिकार का आरोपी राजू मरकाम को धरती खा गई या आसमान निगल गया?

मुकेश के कथन में कई पुलिस कर्मीयों व मुखबीरो के भी नाम

rafi ahmad ansari बालाघाट। वन विभाग के बालाघाट वनपरिक्षेत्र सामान्य के अंतर्गत आने वाले ग्राम कुर्थीटोला में 24 जनवरी 2019 को बाघ का शिकार हुआ था। जिसमें वन विभाग के द्वारा नौ आरोपियों को नामजद आरोपी बनाया था जिसमें एक आरोपी को छोडकर 8 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जो माननीय न्यायालय के द्वारा जमानत याचिका पर रिहा कर दिया गया है लेकिन एक आरोपी राजकुमार उर्फ राजू मरकाम वल्द अमरसिंह निवासी हर्रानाला (बिठली) को वन विभाग के द्वारा अभी तक गिरफ्तार नही किया गया है। इसमें वन विभाग का कहना है कि फरार आरोपी राजकुमार उर्फ राजू मरकाम पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पर है। उसकी फरारी को लेकर चालान न्यायालय में पेश कर दिया गया है। जहां से माननीय न्यायालय के द्वारा राजकुमार उर्फ राजू के खिलाफ अनेक गिरफ्तारी वांरट जारी किया जा चुका है किंतु अभी तक उसकी गिरफ्तारी न हो पाना, वन विभाग के लिये चुनौती बनी हुई है और पुलिस के लिये भी यह शर्मिंदगी की बात भी है। जबकि पूर्व में यह राजकुमार उर्फ राजू की गिरफ्तारी को लेकर वनमंडलाधिकारी और मुख्य वनसरंक्षक के द्वारा पुलिस अधिक्षक और पुलिस महानिरिक्षक को अपने अपने स्तर पर पत्राचार भी किया जा चुका है। बावजूद इसके पुलिस अधिकारी के द्वारा फरार वांरटी आरोपी राजकुमार उर्फ राजू को न्यायालय के हवाले ना करवाना, चर्चा का विषय बना हुआ है। उसकी गिरफ्तारी को लेकर सहा. जिला अभियोंजन अधिकारी बैहर के द्वारा भी पुलिस के अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। साथ ही साथ माननीय उच्च न्यायालय से उसकी अग्रीम जमानत याचिका भी खारिज हो चुकी है। वन विभाग के द्वारा माननीय न्यायालय बैहर में जो चालान पेश किया गया है, उसकी जानकारी आरटीआई के जरिये प्राप्त की गई तो उसमें चौकाने वाले तथ्य आयें, जिसमें पुलिस विभाग के कार्यरत कई पुलिस कर्मीयों के नाम है। जिनमें नरेश उईके, जो नक्सल उन्मूलन में कार्यरत है, उसके भी नाम का उल्लेख आरोपी मुकेश मर्सकोले के द्वारा किया गया है। इसी प्रकार पुलिस के लिये काम करने वाले उसमे जिन लोगो के नाम का उल्लेख है, नरेश उईके के अलावा नेवारे और एक गोपनीय काम करने वाले अद्यन विश्वकर्मा के नाम का भी उल्लेख है। इसके अलावा जो सूचना प्राप्त हुई है इस प्रकरण में जानपुर निवासी तिजू तांडया, सतौना निवासी छोंटू पुषाम का भी नाम आ रहा है। साथ ही साथ पूर्व में बाघ और अन्य वनप्राणियों के शिकार के मामले में और भी जिन लोगो का नाम आ रहा है उनमें मुख्य रूप से विपिन खलको भी है। सुत्रो के अनुसार माननीय न्यायालय के द्वारा यदि इस प्रकरण की जांंच अपनी देखरेख में उच्च स्तर पर करवाती है तो चौकाने वाले व्यक्तियों का भी नाम आ सकता है। यहां यह भी बता देना आवश्यक होगा कि उक्त घटना दिनांक से बालाघाट जिले में वनप्राणियों के शिकार से संबधित कोई घटना प्रकाश में नही आई है। जानकारो का कहना है कि पुलिस विभाग के कर्मचारियों के द्वारा ही नक्सल उन्मूलन में कार्यरत अपने अपने मुखबीरो के माध्यम से वन्य प्राणियों का शिकार करवाया करते थे और उन्हे यह आश्वास्त किया जाता था कि यदि तुम लोगो के द्वारा वन्यप्राणियों के अंग जैसे चमडा आदि को पकडवाया जाता है तो पुलिस विभाग में नौकरी लग जायेगी। जिसके लालच में आकर कुर्थीटोला के प्रकरण में गिरफ्तार किये गये सभी आरोपी बाघ के शिकार और उसके चमडे के ब्रिकी की योजना में शामिल रहे। जो मुकेश मर्सकोले के द्वारा दिये गये बयान में उल्लेख है कि फरार राजकुमार उर्फ राजू मरकाम और नरेंश उईके के द्वारा उन्हे आश्वास्त किया जाता था कि इस कृत्य को करने से नौकरी लग जायेगी। जिसके चलते बेरोजगार, भोले भाले आदिवासी युवक उक्त कृत्य करने को मजबूर होते थे।