सपाक्स की रैली पर प्रषासन ने लगाई रोक

सपाक्स की रैली पर प्रषासन ने लगाई रोक

प्रेस काॅन्फ्रंेस कर सपाक्स नेताओं ने जताई आपत्ति

तीनों विधानसभा में सपाक्स ऊतारेगी प्रत्याशी

nadeem khan पन्ना। एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में शुरू हुआ आंदोलन अब राजनैतिक आंदोलन बन चुका है। अपनी मांगों के समर्थन में समान्य पिछड़ा वर्ग एंव अल्पसंख्यक समुदाय के संगठन समाक्स ने अपनी राजनैतिक उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आज शहर में विषाल रैली का आयोजन किया था। इसके लिए विधिवत प्रषासन से अनुमति भी ली गई थी, लेकिन अंतिम समय में सुरक्षा कारणों के चलते प्रषासन ने अनुमति को निरस्त कर दिया। प्रषासन की इस कार्यवाही से सपाक्स नेताओं में खासा आक्रोष नजर आया। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव नजदीक आते है सभी पार्टीयां अपने अपने प्रत्याशी ऊतारने लगी है। जिले की पवई व गुनौर विधानसभा में तो कई राजनैतिक पार्टीयों ने अपने प्रत्याशी की टिकट घोषित कर मैदान में ऊतार दिया है, वही सपाक्स भी अब चुनावी मैदान में ऊतर चुकी है। आज सपाक्स द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेस में तीनो विधानसभा में चुनाव लडने का ऐलान किया। ज्ञात हो कि आज जिला मुख्यालय में सपाक्स ने बैठक और रैली का आयोजन के लिए 5 दिन पूर्व ही इसकी अनुमति के लिए प्रषासन को आवेदन दे दिया गया था। लेकिन कार्यक्रम के 1 घंटे पहले ही प्रशासन ने अनुमति देने से मना कर दिया। जबकि पूर्व में कार्यक्रम की अनुमति देने की बात कही गई थी। जिससे सपाक्स के लोग परेशान हो गए और एक जगह एकत्र होकर बैठक की। रैली निकालने में असमर्थ रहे नेताओं में इसकी नाराजगी साफ देखी गई। सपाक्स के संभागीय अध्यक्ष नरेंद्र दुबे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रशासन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के इशारे पर अनुमति निरस्त करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सपाक्स की आवाज दबाने की कोषिष की जा रही है। जिला अध्यक्ष प्रमोद पाठक ने कहा कि प्रशासन ने पहले अनुमति देने की बात कही थी और ऐेनवक्त पर हमारी अनुमति निरस्त कर दी। जिसकी शिकायत निर्वाचन आयोग से करेंगे। भले ही सपाक्स की रैली नहीं निकल पाई हो, पर जिस तरीके से सपाक्स में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। उससे पन्ना का राजनीतिक समीकरण बिगड़ सकता है। समाज के पदाधिकारियों ने जिले की तीनों सीटें जीतने का दावा किया है। सपाक्स ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन भी दिया। जिसमें एट्रोसिटी एक्ट 2016 और 2018 के अमेंडमेंट वापस लेने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने इस धारा को जमानती बनाने और अग्रिम जमानत देने नौकरी पेशा लोगों और राजनेताओं को इस एक्ट के लाभ से दूर रखने और हिंदू धर्म छोड़कर दूसरे धर्मों में गए लोगों को इसका लाभ न देने की मांगों को लेकर ज्ञापन भी दिया। इस दौरान जिले भर से आये सपाक्स के कार्यकर्ता उपस्थित रहे। अनुपति निरस्त करने पर बवाल पूरे मामले में प्रषासन की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आचार संहिता के नाम पर किसी संगठन को अपने कार्यक्रम करने से रोकना कहां तक सही है, इसे लेकर नये सिरे से बहस हो रही है। जिला प्रषासन द्वारा सपाक्स की रैली को किन परिस्थितियों में निरस्त किया गया, यह साफ नहीं हो सका है। लेकिन राजनैतिक हल्कों में इसकी खासी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। सपाक्स इस मामले को लेकर चुनाव आयोग में षिकायत करने भी जा रहा है। ऐसे में प्रषासन के लिए मुष्किलें खड़ी हो सकती हैं।