भोपाल, भले ही आधी आबादी याने महिलाओं को आगे लाने के लिए राजनीतिक दल बड़े-बड़े वादे कर रहे है लेकिन हकीकत यही है कि महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने में भाजपा, कांग्रेस सहित अन्य दलों की भी ज्यादा रुचि नहीं है। प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर चुनाव में उतरे 355 उम्मीदवारों में से केवल 22 ही महिला उम्मीदवार है। भाजपा और कांग्रेस ने केवल तीन-तीन स्थानों पर महिलाओं को मौका दिया है वहीं बसपा ने एक भी महिला को मौका नहीं दिया है। बारह विधानसभा सीटों पर एक भी महिला चुनाव मैदान में नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी ने इस बार कुल 28 सीटों में से जिन तीन स्थानों पर महिलाओं को मौका दिया है उनमें डबरा से महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी ,भांडेर में रक्षा संतराम सिरौनिया और नेपानगर में सुमित्रा कास्डेकर को चुनाव मैदान में उतारा है। इन सभी के सामने कांग्रेस ने पुरुष उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है।
कांग्रेस ने केवल तीन स्थानों पर महिला उम्मीदवारों को तवज्जो दी है। इसमें सुरखी से पारुल साहू, अशोकनगर से आशा दोहरेऔर मलहरा से रामसिया भारती को उम्मीदवार बनाया है। बसपा ने सभी 28 सीटों पर पुरुषों को ही चुनाव लड़ने का मौका दिया है। एक भी महिला को उन्होंने उम्मीदवार नहीं बनाया है। जिस मेहगांव विधानसभा सीट पर सर्वाधिक 38 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है वहां भाजपा, कांग्रेस और बसपा ने एक भी महिला उम्मीदवार को मौका नहीं दिया है।
भाजपा-कांग्रेस के अलावा छत्तीसगढ़ विकास गंगा राष्टÑीय पार्टी से अनूपपुर में अनिता पनिका, दलित विकास पार्टी भारत की सीट पर अनूपपुर से चंद्रवती कौल, सुमावली में आजाद समाज पार्टी कांशीराम से ममता, ग्वालियर से पीपुल्स पार्टी आॅफ इंडिया डेमोक्रेटिक से चीना बेगम,करेरा से राष्टÑीय शोषित समाज पार्टी से राजकुमारी प्रजापति को उम्मीदवार बनाया है। वहीं कुछ महिलाएं निर्दलीय भी चुनाव लड़ रही है इनमें अनूपपुर से गुंजन और एडवोके ट दीपा सिंह,जौरा में रजनी शाक्य, दिमनी में राजश्री शर्मा और सरिता देवी, ग्वालियर पूर्व से मीनाक्षी जैन, डबरा में प्रीति जाटव, मुंगावली से सावित्री लोधी, ग्वालियर पूर्व से केशकाली जाटव,मलहरा से दयावती यादव, सांची से भूरी बाई सहित कुल 22 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। कुल सोलह विधानसभा सीटों से ही महिला उम्मीदवार इस बार चुनाव मैदान में है।