इतिहास का पुनरीक्षण मौजूदा समय की आवश्यकता

इतिहास का पुनरीक्षण मौजूदा समय की आवश्यकता

शहीद समरसता मिशन के संस्थापकमोहन नारायण ने बताई जरूरत

जनजातीय गौरव दिवस के बहाने भगवान बिरसा को कर रहे थे

भोपाल। इतिहास पुनरीक्षण मौजूदा समय की जरूरत है। यह कहना है कि शहीद समरसता मिशन के संस्थापक मोहन नारायण का। वह जनताजीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जा रही भगवान बिरसा की जयंती पर हुई संगोष्ठी में बोल रहे थे। विश्व संवाद केंद्र में यह कार्यक्रम वनवासी कल्याण परिषद मध्य क्षेत्र की भोपल महानगर इकाई द्वारा आयोजित किया गया था। सुहाग सिंह मुजालदा की अध्यक्षता में हुए इस समारोह में संगठन के प्रांतीय महामंत्री योगीराज प्रमुख रूप से उपस्थित थे। अपने उद्बोधन में मोहन नारायण ने इतिहास के पुनरीक्षण तथा पुर्नलेखन की जरूरत पर बल देते हुए आरोप लगाया कि एक विशेष मानसिकता के कारण देश की सनातन सभ्यता को अक्षुण्य बनाए रखने वाले आत्मबलिदानियों को इसमें स्थान नहीं दिया गया। क्योंकि देश की आजादी के बाद इतिहास उनके द्वारा लिखे गए, जिनकी नीति, नियत और नियम भारत की गरिमा के प्रतिकूल थे। लिहाजा जनजातीय समाज के ही नहीं राष्ट्र की व्यवस्था और संस्कृति के संरक्षक रहे दूसरे नायकों के संदर्भ में भी ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती है। जबकि राष्ट्र अनादिकाल से है और इसकी संस्कृति ही मुख्य पहचान है। यही वजह है कि इतिहासकारों ने यह तो पढ़ाया कि अकबर महान था, लेकिन उसने 1564 में अकबर से लोहा लेने वाली गोड़ रानी दुर्गावती को नारी सशक्तीकरण के प्रतीक के तौर पर स्थान देने की जरूरत नहीं समझी है। इसलिये यदि नया इतिहास लिखने की जरूरत पड़े तो, परहेज नहीं करना चाहिये। इससे पहले उन्होंने देश के सभी प्रमुख आदिवासी नायकों का जिक्र किया। इस अवसर पर वरिष्ठ प्रचारक गोपालजी येवतीकर, प्रांतीय उपाध्यक्ष गेंदालाल पाल, नगरीय कार्य प्रमुख कमल प्रेमचंदानी, कल्याण आश्रम व्यवस्था प्रमुख प्रकाश काले, युवा कार्य प्रमुख वैभव सुरंगे, प्रांत संगठनमंत्री लक्ष्मीनारायण बामने, महिला प्रमुख सुरभि अत्राम प्रमुख रूप से मौजूद थे।