राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारक प्राधिकरण ने निर्यात करने की मंजूरी दी
नई दिल्ली। यूरोप ने भारत से पैरासिटामोल बनाने के लिए 1,000 टन सक्रिय औषधि सामग्री (एपीआइ) की मांग की है। इस दवा का इस्तेमाल सामान्य तौर पर बदन दर्द व बुखार में किया जाता है।
फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (फार्मेक्सिल) के अध्यक्ष दिनेश दुआ ने बताया कि राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारक प्राधिकरण (एनपीपीए) ने यूरोप को एपीआइ निर्यात करने की मंजूरी दे दी है। अब इस बारे में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) व विदेश मंत्रालय को फैसला लेना है।
सरकार ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए 17 अप्रैल को पैरासिटामोल से बनी दवाओं के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया था। हालांकि, पैरासिटामोल में इस्तेमाल होने वाली एपीआइ के निर्यात पर रोक बरकरार है। इसके निर्यात के लिए डीजीएफटी से अनुमति लेनी होती है।
दुआ ने कहा कि यूरोप को हर महीने औसतन 1,000 टन एपीआइ की जरूरत होती है। कोरोना संकट से पहले एक समय ऐसा था जब भारत महीने में लगभग 1,400 टन एपीआइ का निर्यात करता था। उन्होंने कहा कि देश में एपीआइ की पर्याप्त उपलब्धता है। हमारी हर महीने की खपत सिर्फ 2,000 टन है। हमारी उत्पादन क्षमता लगभग 6,200 टन प्रति माह की है।
आपको बता दें कि यूरोप में कोरोना वायरस ने कहर मचा रखा है। पूरे यूरोप में इसके 1520412 मामले हैं। इनमें से 6 मई को ही 26439 नए मामले सामने आए हैं। यहां पर अब तक 146055 मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें से 1953 मौत केवल 6 मई को ही हुई हैं। यहां पर अब तक 588493 मरीज ठीक हुए हैं और यहां 785864 कुल एक्टिव मामले हैं। यूरोप में जिस देश में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं उसमें स्पेन है जहां अब तक 253682 मामलों के अलावा 25857 मौत हो चुकी हैं। दूसरे नंबर पर इटली और तीसरे नंबर पर ब्रिटेन है। चौथे नंबर पर इस लिस्ट में फ्रांस और पांचवें नंबर पर जर्मनी है।