नई दिल्ली। कोरोना संकट से जल्द निजात न मिलने की संभावनाओं को देखते हुए अब बच्चों की पढ़ाई और उनके भविष्य पर पड़ने वाले प्रभावों से निपटने को लेकर तेजी से काम शुरु हो गया है। इसके तहत विश्वविद्यालय से लेकर स्कूल स्तर के सभी कोर्सो को छोटा करने की तैयारी है। जिसे मौजूदा स्थिति में करीब 30 से 40 फीसद तक कम करने का प्रस्ताव है। हालांकि इस पर कोई भी अंतिम निर्णय तात्कालिक परिस्थितियों को देखते हुए लिया जाएगा।
फिलहाल इसका जिम्मा यूजीसी और एनसीईआरटी को सौंपा गया है। जिन्होंने अपने स्तर पर काम भी शुरु कर दिया है। साथ ही कोर्स के पाठ्यक्रम को इस तरह से तैयार किया जा रहा है, जो चार से पांच महीने में पूरा हो जाए। बता दें कि देश भर में स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से ही शुरू हो जाता है। जबकि कोरोना संकट के चलते 18 मार्च के बाद से स्कूल बंद पड़े है। यहां तक बोर्ड की परीक्षाएं भी रूकी पड़ी है।
दो महीने लेट शुरू होगी पढाई
केंद्रीय विद्यालय संगठन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए स्कूलों में सितंबर से पहले पढ़ाई शुरू होने में मुश्किल ही है। यह इसलिए भी है, क्योंकि जब तक सुरक्षा के कोई पुख्ता बंदोबस्त या फिर इसके संक्रमण का खतरा खत्म नहीं हो जाता है, तब तक किसी भी स्कूल के लिए बच्चों को बुलाना खतरे से खाली नहीं होगा। हालांकि इस बीच दसवीं और बारहवीं के छात्रों को सुरक्षा के सख्त बंदोबस्त के बीच पढ़ाने की एक योजना पर जरूर काम किया जा रहा है, लेकिन कोई भी कदम सरकार के निर्णय के बाद ही लिया जाएगा। इस सभी छात्रों की बोर्ड की परीक्षाओं को देखते हुए इसे दिशा में विचार चल रहा है।
जेईई और नीट की परीक्षा 12वीं के कोर्स पर होगी
मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कोरोना संकट के चलते नए शैक्षणिक सत्र में 12वीं का जो कोर्स तय होगा, उसी के आधार पर जेईई और नीट की 2020-21 की परीक्षाएं भी होगी। इसे लेकर भी छात्रों के नुकसान को कम करने में जुटी मंत्रालय की उच्च स्तरीय कमेटी ने मंथन किया है। गौरतलब है कि जेईई और नीट की परीक्षाएं पूरी तरह से 12वीं की पाठ्यक्रम पर ही आधारित होती है। ऐसे में बच्चों को जो पढ़ाया ही नहीं जाएगा, उसकी परीक्षाएं कैसे ली जाएगी।