उज्जैन में बना देश का पहला बाल हितैषी न्यायालय

उज्जैन में बना देश का पहला बाल हितैषी न्यायालय
brijesh parmar उज्जैन । मंगलवार को शहर के जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में बने देश के पहले बाल हितैषी न्यायालय (चाईल्ड फ्रेंडली कोर्ट) का लोकार्पण कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मप्र उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर के पोर्टफोलियो न्यायाधीपति श्री रोहित आर्या थे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद के सदस्य श्री प्रताप मेहता और मण्डल अभिभाषक संघ के अध्यक्ष श्री अशोक यादव थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री एसकेपी कुलकर्णी ने की। लोकार्पण के पश्चात अतिथियों द्वारा बाल हितैषी न्यायालय परिसर का अवलोकन किया गया। कार्यक्रम में चाईल्ड फ्रेंडली कोर्ट की संकल्पना के बारे में बताया गया कि किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का मूल्यांकन इस बात पर निर्भर करता है कि वह अबोध बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा देश के सभी राज्यों में बाल हितैषी न्यायालय बनाये जाने का आदेश पारित किया गया है। उज्जैन में बाल हितैषी न्यायालय 21 लाख रुपये की लागत से बना है। उल्लेखनीय है कि यह देश का पहला बाल हितैषी न्यायालय है। न्यायालय में गवाही देने के लिये पेश होने वाले बच्चों को बिलकुल पारिवारिक माहौल दिया जायेगा, ताकि वे बिना किसी डर के अपना बयान दे सकें। न्यायालय में एक एक्यूस्ड बॉक्स भी बनाया गया है। इसके अन्दर आरोपी को बैठाया जायेगा। इस बॉक्स के चारों ओर काली फिल्म की परत चढ़ाई गई है, ताकि बच्चा आरोपी को देख न सके। न्यायालय में सुरक्षा की दृष्टि से जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं। बच्चों को यहां बिलकुल घर जैसा वातावरण मिल सके, इसके लिये बच्चों के मनोरंजन हेतु खिलौने भी रखे गये हैं। इस न्यायालय को किशोर वर्ग और बाल्यवर्ग के बच्चों के अनुकूल बनाया गया है। कार्यक्रम में स्वागत भाषण श्री प्रताप मेहता ने दिया। उन्होंने कहा कि आज उज्जैन शहर को बहुत बड़ी सौगात मिली है। इस न्यायालय में न्यायाधीश द्वारा अनौपचारिक तरीके से पीड़ित बच्चों और उनके माता-पिता का बयान आम चर्चा के तौर पर लिया जायेगा, ताकि एक भयमुक्त माहौल में वे बिना किसी हिचकिचाहट और मानसिक दबाव के अपना बयान दे सकें। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति श्री आर्या ने कहा कि आज उन्हें न्यायालय का लोकार्पण करते हुए एक मिश्रित अनुभूति हो रही है, क्योंकि जिन पीड़ित बच्चों के लिये यह न्यायालय बनाया गया है, उस उम्र में बच्चे खेलते-कूदते हैं। बच्चों के साथ दुर्व्यवहार या होने वाले अन्य अपराध सामाजिक कुरीतियों का परिणाम हैं। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। हमारे देश में सबसे अधिक जनसंख्या छोटे बच्चों की है। इनके संरक्षण और विकास के लिये समाज में समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाने चाहिये। आर्टिकल 15(3) के तहत बच्चों का यह मौलिक अधिकार है कि उन्हें सभी मूलभूत सुविधाएं और शिक्षा उपलब्ध करवाई जाये। बच्चों के शोषण, दुर्व्यवहार और तस्करी को रोकने के लिये युद्धस्तर पर प्रयास करने होंगे। ये हम सबका दायित्व है कि समस्त अधिवक्ता और न्यायाधीश पॉक्सो अधिनियम से सम्बन्धित समस्त पहलुओं को अच्छी तरह से समझें और उन्हें आत्मसात करें, ताकि पीड़ित बच्चों को न्याय मिल सके। गरीब और फुटपाथ पर जीवन यापन करने वाले बच्चे अपराधियों के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। इसके अलावा सामान्य और बड़े घरों में भी बच्चों के साथ शारीरिक, मानसिक और लैंगिक दुर्व्यवहार होता है। ये बच्चे किसी को कुछ बता भी नहीं पाते। इससे उनके कोमल मन पर बहुत बुरा असर होता है। ऐसे पीड़ित बच्चों को न्याय मिल सके, यह हम सभी के लिये एक चुनौतीभरा काम होगा। चाईल्ड फ्रेंडली कोर्ट में बच्चों के काउंसलर्स को विशेष ट्रेनिंग दी जाये। इस तरह के प्रकरणों में न्यायाधीशों को पीड़ित बच्चों के साथ बिलकुल अपने बच्चे की तरह व्यवहार करना चाहिये और उनकी पीड़ा को महसूस करना चाहिये। ऐसे मामलों में संवेदनशीलता बहुत जरूरी है। नवनिर्मित कोर्ट के लिये श्री आर्या ने सबको अपनी ओर से शुभकामनाएं दीं। जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री कुलकर्णी ने कहा कि न्याय को अन्त:करण से महसूस किया जाता है। न्याय कानूनी प्रक्रिया के तहत दिया जाता है। न्यायालय में अभियुक्त पीड़ित और गवाह तीनों के साथ न्याय किया जाता है। चाईल्ड फ्रेंडली कोर्ट में पीड़ित बच्चों को बिलकुल घर जैसा माहौल मिलेगा। यह न्यायालय आज से ही प्रारम्भ होकर क्रियाशील हो जायेगा। इसके अलावा श्री कुलकर्णी ने कहा कि लम्बित प्रकरणों के शीघ्र निपटारे के लिये मीडिएशन की पद्धति को अधिक से अधिक अपनाना चाहिये। विशेषकर सिविल अपील के प्रकरणों में। इसके अलावा धारा 138 के मामलों में भी मध्यस्थता कर प्रकरणों को सुलझाया जा सकता है। अधिवक्ताओं द्वारा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री आर्या को भगवान महाकालेश्वर का चित्र स्मृतिचिन्ह स्वरूप भेंट किया गया। इस दौरान डॉ.प्रकाश चौबे सचिव मण्डल अभिभाषक संघ उज्जैन, श्री भगतसिंह चावड़ा उपाध्यक्ष मण्डल अभिभाषक संघ, श्री राजेश जोशी और अन्य अधिवक्तागण मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन कोर्ट मैनेजर श्रीमती अन्नदा पद्मावत ने किया और आभार प्रदर्शन श्रीमती तृप्ति पाण्डेय ने किया।