विकास प्राधिकरण योजना शर्तों के पालन में कालोनाईजर जैसे हाल में
brijesh parmar
उज्जैन। पश्चिमी मध्यप्रदेश के उज्जैन संभाग के तीन विकास प्राधिकरण के शहर उज्जैन, देवास और रतलाम स्मार्ट सिटी योजना में शामिल हैं। इनमें प्राधिकरण योजना शर्तों का पालन नहीं करवा पा रहा है। आवास योजनाओं की प्रमुख शर्त का पालन न होने से यह स्थिति बन रही है।रहवासी मकानों का व्यवसायिक उपयोग होने से योजनाओं में यह संकट खड़ा हुआ है।
उज्जैन संभाग अंतर्गत तीन शहरों में व्यवस्थित आवासीय स्थिति बनाने और विभिन्न श्रेणी के आवास पर्यावरण युक्त स्थिति में उपलब्ध करवाना विकास प्राधिकरण की परिकलपना को साकार रूप देना था।जिन नागरिकों ने इन शहरों में विकासप्राधिकरण की योजनाओं में आवास खरीदे थे अब वे अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है कि आवासीय योजनाओं में रहवासी उपयोग की प्रमुख शर्त को दरकिनार कर इन आवासों का व्यवसायिक उपयोग शुरू हो चुका है।वर्तमान में तीनों ही विकास प्राधिकरण पर प्रशासन अध्यक्ष के रूप में काबिज है। उज्जैन में संभागायुक्त आनंद कुमार शर्मा,रतलाम में कलेक्टर रूचिका चौहान,देवास में चंद्रमोलि शुक्ला अध्यक्ष पदेन अध्यक्ष हैं।
उज्जैन विकास प्राधिकरण की स्थापना 1977 में तत्कालीन संभागायुक्त संतोष कुमार शर्मा के कार्यकाल में हुई ।स्थापना के साथ ही सबसे पहली रहवासी योजना ऋषिनगर को अमल में लाया गया।इसमें विभिन्न श्रेणी के आवासीय मकान बनाकर 99वर्षों की लीज पर रहवासी उपयोग की शर्त पर 1979 से आवंटित कर उपभेक्ताओं को उपलब्ध करवाए गए।कालोनी में व्यवसायिक गतिविधि के लिए शापिंग काम्पलेक्स का निर्माण कर दुकानें भी व्यवसायिक शर्तों के साथ दी गई।कुछ वर्षों तक तो यह रहवासी क्षेत्र स्मार्ट रूप से अमल में आया लेकिन अब कालोनी के रहवासी मकानों का उपयोग व्यवसायिक किया जाने लगा है।कई मकानों में केरोसीन से भट्टी संचालन कर मशीन से सेंव नमकीन निर्माण के कारखाने संचालित करते हुए प्रदुषण फैलाया जा रहा है।गोदाम के रूप में रहवासी मकानों का उपयोग किया जा रहा है। रहवासी मकानों में किराना के साथ ही अन्य वस्तुओं के विक्रय की दुकानें संचालित की जा रही है।इससे रहवासी क्षेत्र में न्यूसेंस बढता जा रहा है।कभी शांत कहे जाने वाला रहवासी क्षेत्र अब स्मार्ट होने वाले शहर में अपनी पहचान खोता जा रहा है।यहां के शापिंग काम्पलेक्स के व्यवसायियों पर भी रहवासी क्षेत्र में व्यवसायिक गतिविधि होने से प्रभाव पड़ रहा है। विकास प्राधिकरण की उदासीनता के चलते शर्तों का उल्लंघन बढ़ता जा रहा है।
देवास विकास प्राधिकरण की स्थापना सन 1979 में हुई थी।इसकी सबसे पहली आवासीय योजना जय नगर सिविल लाईन क्षेत्र में अमल में आई। इसके साथ ही विजय नगर आवासीय योजना को अमल में लाया गया ।ये आवासीय मकान लीज पर रहवासी की शर्त के साथ आवंटित किए गए।भाड़ा क्रय पद्धति के आधार पर इनका आवंटन किया गया।दोनों ही योजनाओं के वर्तमान हाल यह हैं कि करीब 30 फीसदी आवासीय मकानों में शाप/गोदाम/कारखाने संचालित किए जाने लगे हैं।जबकि क्षेत्र में ही शापिंग काम्पलेक्स के योजना अमल के समय से ही वजूद में हैं।
रतलाम विकास विकासप्राधिकरण की स्थापना सन 2010 में की गई।सबसे पहली आवासीय योजना माही विहार के नाम से ग्राम बिरियाखेडी में अमल में लाई गई।यहां 30 वर्षों की लीज पर भाड़ा क्रय पद्धति के आधार पर भूखंड आवंटित किए गए।रहवासी शर्तों के अनुबंध किया गया।यहां भी 20 प्रतिशत से अधिक मकानों में निर्माण के समय ही दुकानें बना ली गई।इनका उपयोग दुकानों/ गोदाम/कारखाने के रूप में किया जा रहा है। आवासीय मकानों के व्यवसायिक उपयोग के कारण इन कालोनियों में न्यूसेंस की स्थिति के साथ ही आपराधिक गतिविधियों की स्थिति बन गई है।
ऐसी स्थिति सामने आने पर उज्जैन में हमने सीईओ को आवासीय क्षेत्र की कालोनियों के व्यवसायिक उपयोग की स्थिति का सर्वे के निर्देश दिए हैं।सर्वे रिपोर्ट आने के बाद अगली कार्रवाई तय करेंगे।
आनंद कुमार शर्मा,संभागायुक्त सह पदेन अध्यक्ष विकास प्राधिकरण,उज्जैन