भोपाल। मध्य प्रदेश में उपचुनाव के सियासी रण में प्रत्याशी प्रतिद्वंदी बन कर एक दूसरे को मात देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वहीं, प्रतिद्वंद्वियों के बीच में रिश्ता होने के साथ ही दिलचस्प जोडिय़ां भी मैदान में उतरी हैं। उपचुनाव के मैदान में एक दूसरे के सामने दोस्त प्रतिद्वंदी बन कर खड़े हैं, तो कहीं पर समधी और समधन एक दूसरे के विरोधी बन कर चुनाव में उतरे हैं। दूसरी तरफ कभी एक साथ जीत के लिए मेहनत करने वाले अब एक दूसरे के प्रतिद्वंदी बनकर जीत की जुगत में जुटे हैं।
ग्वालियर क्षेत्र की डबरा विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भाजपा से इमरती देवी मैदान में हैं, तो वहीं कांग्रेस से सुरेश राजे जीत के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। रिश्तों की डोर के बीच अब सियासी डगर में समधी और समधन आमने-सामने हैं। ग्वालियर की मेहगांव सीट पर भाजपा से ओपीएस भदौरिया तो कांग्रेस से हेमंत कटारे अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। भदौरिया और कटारे अच्छे दोस्त माने जाते रहे हैं। दोस्ती के चलते दोनों ही एक दूसरे की राजनीति के कभी आड़े नहीं आए, लेकिन अब सियासी समीकरण पूरी तरह से बदल चुके हैं। ओपीएस भदौरिया सिंधिया के साथ जाकर भाजपा के उम्मीदवार बन गए। दोनों दोस्त अब प्रतिद्वंद्वी बनकर एक दूसरे के सामने जीत के लिए ताल ठोक रहे हैं।
इनके सुधरे संबंध
गोहद सीट से भाजपा उम्मीदवार रणवीर जाटव और लाल सिंह आर्य अब एक साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इन दोनों नेताओं के बीच तकरार चर्चा का विषय हुआ करती थी। भाजपा के पूर्व मंत्री और भाजपा उम्मीदवार रणवीर जाटव हाथों में हाथ डालकर एक दूसरे के साथ प्रचार के दौरान घूम रहे हैं, लेकिन इससे पहले रणवीर जाटव ने लाल सिंह आर्य को पिता की हत्या का आरोपी बताया था। भाजपा नेता लाल सिंह आर्य मामले में बरी हो गए। अब समीकरण बदलने के साथ ही रणवीर जाटव कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए। एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाने वाले जाटव और आर्य को उपचुनाव के लिए प्रचार में साथ आना पड़ा। अब दोनों दुश्मन दोस्त बन कर एक दूसरे के साथ प्रचार में साथ घूम रहे हैं।
यहां अपने ही आमने-सामने
हाटपिपलिया विधानसभा सीट से मनोज चौधरी अब भाजपा खेमे में हैं। कांग्रेस से मैदान में उतरे राजवीर सिंह बघेल और मनोज चौधरी 2018 के चुनाव में एक साथ एक ही पार्टी से थे, लेकिन अब दोनों ही प्रतिद्वंद्वी बनकर एक दूसरे के खिलाफ मैदान में खड़े हैं। ग्वालियर सीट से प्रद्युम्न सिंह तोमर और कांग्रेस उम्मीदवार सुनील शर्मा भी सिंधिया के खेमे के ही रहे हैं। दोनों के गुरु तो एक रहे और अब दोनों ही भाजपा और कांग्रेस से मैदान में उतरकर दो-दो हाथ करने सामने खड़े हैं।