अप्रूवल के बाद भी भारत में कोरोना वैक्‍सीन की पर्याप्‍त डोज उपलब्‍ध कराना चुनौती

अप्रूवल के बाद भी भारत में कोरोना वैक्‍सीन की पर्याप्‍त डोज उपलब्‍ध कराना चुनौती
नई दिल्ली, कोरोना वायरस की कोई वैक्‍सीन अप्रूव होने के बाद भी उसकी पर्याप्‍त डोज उपलब्‍ध कराना सरकारों के लिए बड़ी चुनौती है। भारत में टीकाकरण की योजना बनाई जा रही है और इसमें राज्‍यों से भी इनपुट्स मांगे गए हैं। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि सरकार जुलाई 2021 तक 40-50 करोड़ डोज हासिल करने की उम्‍मीद कर रही है। इससे 20-25 करोड़ लोगों को टीका लग जाएगा। यानी सरकारी अनुमान के हिसाब से जुलाई तक केवल 20% आबादी को ही वैक्‍सीन मिल पाएगी। भारत की वर्तमान जनसंख्‍या 130 करोड़ बताई जाती है। भारत में तीन वैक्‍सीन इंसानों पर ट्रायल के 2/3 दौर में हैं। हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार वैक्‍सीन के भंडारण और टीकाकरण की प्रक्रिया को लेकर फ्रेमवर्क तैयार करने के अंतिम चरण में है। कैसे आप तक पहुंचेगी वैक्‍सीन? हर्षवर्धन ने बताया कि वैक्‍सीन एक बार डेटा वैलिडेट हो जाए तो वैक्‍सीन को अप्रूवल मिलने में देरी का कोइ तुक नहीं है। उन्‍होंने कहा कि नीति आयोग के डॉ वीके पॉल की अगुवाई में एक हाई लेवल कमिटी पूरा प्‍लान बना रही है। किस देश की वैक्‍सीन कब उपलब्‍ध होगी, फार्मा कंपनियों से उनकी वैक्‍सीन के बारे में जानकारी लेना और भारत में पर्याप्‍त टीके मुहैया कराना इस कमिटी का जिम्‍मा होगा। इन्‍वेंट्री और सप्‍लाई चेन मैनेजमेंट के लिए भी इंतजाम किए जा रहे हैं। वैक्‍सीन के कंसाइनमेंट्स की रियल टाइम ट्रैकिंग होगी और ब्‍लैक-मार्केटिंग नहीं होने दी जाएगी। केंद्र सरकार वैक्‍सीन हासिल करने के बाद राज्‍यों को डोज भेजेगी। राज्‍यों को वैक्‍सीन की स्‍टोरेज और टीकाकरण का इंतजाम करना होगा। किसको पहले लगेगा कोरोना का टीका? स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के अनुसार, वैक्‍सीन 2021 की तीसरी तिमाही से ही उपलब्‍ध हो पाएगी। उन्‍होंने बताया कि राज्‍यों से ऐसे लोगों की लिस्‍ट मांगी गई है जिन्‍हें पहले टीका लगाया जाएगा। हर्षवर्धन ने कहा कि शुरुआती डोज डॉक्‍टर्स, नर्सेज, पैरामेडिक्‍स जैसे हेल्‍थकेयर वर्कर्स को मिलेगी। वैक्‍सीन केंद्र सरकार हासिल करेगी इसलिए राज्‍यों से कहा गया है कि वे वैक्‍सीन निर्माताओं से कोई डील न करें। भारत में वैक्‍सीन का क्‍या है स्‍टेटस? देश में तीन वैक्‍सीन ऐसी हैं जो फेज 2/3 ट्रायल से गुजर रही हैं। अभी तक इनके नतीजे उम्‍मीद जगाने वाले रहे हैं। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने ऑक्‍सफर्ड-अस्‍त्राजेनेका की वैक्‍सीन में पार्टनरशिप की है। कंपनी देश में उनके टीके 'कोविशील्‍ड' का ट्रायल कर रही है। इसके अलावा भारत बायोटेक ने Covaxin नाम से टीका तैयार किया है। जायडस कैडिला ने ZyCov-D नाम से वैक्‍सीन बनाई है। भारत उस GAVI गठबंधन का भी हिस्‍सा है जो कम और मध्‍य आय वाले 92 देशों को वैक्‍सीन मुहैया कराने के लिए बनाया गया है। विदेशी टीकों पर सरकार का क्‍या रुख? सरकार ने कहा है कि विदेश में डेवलप हो रहीं वैक्‍सीन सभी तरह के सेफ्टी पैरामीटर्स पर खरी उतरने के बाद ही भारत आएंगी। हर्षवर्धन ने कहा कि बाहर से आने वाली वैक्‍सीन सुरक्षित और असरदार हैं या नहीं, यह सुनिश्चित करने के बाद ही लोगों को दी जाएगी। उन्‍होंने यह भी साफ किया है रूसी वैक्‍सीन Sputnik V को लेकर सरकार ने कोई फैसला अबतक नहीं किया है।