हेमाद्री स्नान, श्रावणी उपाकर्म संस्कार संपन्न
घरों तथा मठ मंदिर एवं अपने स्थानों में रहकर गूगल मीट एप के माध्यम से मनाया गया 'श्रावणी पर्व'
श्रावणी पर्व पर हेमाद्री दस विधि पंचगव्य स्नान कर ब्राह्मण जनो ने जनेऊ धारण की
brijesh parmar
उज्जैन।कोरोना संक्रमण के कारण इस बार ब्राम्हणजन शिप्रा तट पर एकत्रित नहीं हुए और रक्षाबंधन पर्व पर उज्जैन सहित अन्य स्थानों के ब्राम्हणों ने हाईटेक आनलाईन यज्ञोपवित धारण,हेमाद्री स्नान,श्रावणी उपाकर्म संस्कार में हिस्सा लिया। घरों,मठ,मंदिरों में रहकर गूगल मीट एप के माध्यम से इसमें हिस्सेदारी की और श्रावणी पर्व मनाया गया।श्रावणी पर्व पर हेमाद्री दस विधि पंचगव्य स्नान कर विप्रजनों ने जनेऊ धारण की।
अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के तत्वाधान में सोमवार को 'श्रावणी पर्व' जिला प्रशासन द्वारा प्रतीकात्मक सीमित मात्रा में प्रतिबंधात्मक अनुमति प्राप्त होने की स्थिति के तहत विप्र जनों ने अपने-अपने घरों में रहकर गूगल मीट एप के माध्यम से आयोजित किया गया । रामघाट एवं सिद्धवट घाट से आचार्यों द्वारा ऑनलाइन डिजिटल वर्चुअल मंत्रोच्चार के साथ ब्राम्हण जनों को जोड़कर यज्ञोपवीत संस्कार कराया ।
सीधा प्रसारण फेसबुक पर तथा ऑनलाइन लिंक के माध्यम से संपन्न कराया गया। बड़ी संख्या में ब्राह्मण जनों ने आनलाइन वर्चुअल डिजिटल के माध्यम से अपने अपने घरों में तथा अपने अपने तीर्थ स्थानों में बैठकर उक्त संस्कार संपन्न किया । अभा ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष पंडित सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि श्रावणी ब्राह्मणों का सबसे बड़ा पर्व है।
इस बार यह पर्व आचार्य पंडित द्वारकेश व्यास के नेतृत्व में ऑनलाइन डिजिटल वर्चुअल लिंक के माध्यम से सिद्धवट मंदिर तीर्थ पर प्रातः 10:00 बजे से तथा आचार्य पंडित , पंडित राम शुक्ल तथा कपूर शुक्ल के आचार्य तत्व में रामघाट उज्जैन पर प्रातः 8:00 से ऑनलाइन डिजिटल वर्चुअल लिंक के गूगल मीट एप के माध्यम से रामघाट तीर्थ से सीधे मनाया गया उक्त दोनों ही तीर्थ स्थानों पर कोराना महामारी एवं लॉकडाउन के प्रतिबंधात्मक जिला प्रशासन के आदेश के कारण प्रतीकात्मक रूप से आचार्यों के सानिध्य में विधि प्रारंभ की गई। जिसमें सभी सामाजिक बंधुओं को हेमाद्रि,दसबिधि ,पंचगव्य स्नान, कर विधि-विधान से पूजन एवं श्रावणी पर्व की ऋचाएं पूरी कराई गई।
इसके लिए सभी लोग अपने घरों में प्रातः ठीक 8:00 बजे से रामघाट से लाइव तथा प्रातः 10 बजे से सिद्धवट मंदिर तीर्थ से गूगल मीट एप प्लेटफॉर्म पर जुड़ें। आचार्य पंडित द्वारकेश व्यास एवं आचार्य पंडित राम शुक्ल पंडित आचार्य कपूर शुक्ल तथा गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज के आचार्य उमाकांत इलू गुरु शुक्ल द्वारा पर्व के महत्व और विधान की जानकारी के साथ पूजन दसविधि भस्म,मृत्तिका, गोबर, पंचगव्य, गोरज, सप्तधान्य, फल,सर्बोषधि, कुशा, स्वर्ण ये दस बस्तुओं से स्नान कराया गया।
यज्ञोपवीत धारण कार्यक्रम में हिमाद्री स्नान एवं नूतन यज्ञोपवित भगवान सप्त ऋषि का पूजन कर धारण की गई।