बिना स्वीकृति के पहाडिय़ों पर ब्लास्टिंग, प्रशासन को नहीं देते जानकारी

बिना स्वीकृति के पहाडिय़ों पर ब्लास्टिंग, प्रशासन को नहीं देते जानकारी
jp rai टीकमगढ़, जिले भर में पचासों की तादात में क्रेशर चलाये जा रहे है लेकिन वर्षो से इन क्रेशर संचालकों ने प्रशासन को यह जानकारी नहीं दी है कितनी विस्फोटक सामग्री रखते है और उसकी सुरक्षा के क्या साधन है किसी स्थिति में अगर इन विस्फोटक पदार्थो में किसी तरह का विस्फोट हो जाता है तो उसके लिए क्रेशर संचालकों ने क्या व्यवस्था की है और कितनी मात्रा में विस्फोटक सामग्री रखी गई है। क्या इसकी जानकारी प्रशासन को नहीं दी जाती है और तोड़ी जा रही पहाडिय़ा क्या किसी विशेषज्ञ की निगरानी में तोड़़ी जाती है या फिर गरीब मजदूरों को लगाकर उन्ही से ब्लास्टिंग करवाई जाती है जबकि ब्लास्टिंग करने वाले जो भी व्यक्ति ब्लास्टिंग करते है वो प्रशिक्षित होते है कि कितनी क्वानटिटी लगानी है लेकिन क्रेशर संचालको के द्वारा केवल अनुमान के आधार पर अप्रशिक्षित गरीब मजदूरों के द्वारा यह ब्लास्टिंग करवाई जाती है और न ही इनका बीमा होता है और न ही किसी तरह की घटना घटने के बाद के्रशर संचालक इनकी मदद तक नहीं करते। कई वर्षो से क्रेशर संचालको द्वारा न तो शासन को यह जानकारी दी जाती है कि वह कितनी ब्लास्टिंग सामग्री रखे है और उनके उपयोग करने की क्या विधि है देा हजार दस में इन्ही लापरवाही के कारण पृथ्वीपुर और निवाड़ी में पटाखे बनाने वाली फैक्टी में भारी विस्फोट हुआ था जिसमें तीन लोगों की मौत और तकरीबन छह लोग घायल हो गये थे और यह ग्यारह लोगों को लगभग इसमें भारी नुकसान हुआ था। शासन के द्वारा की जा रही लापरवाही जिसके कारण कभी भी घट सकती है कोई बहुत बड़ी घटना आखिर ऐसी क्या वजह है कि घटना होने के बाद ही प्रशासन क्यों जगता है। जबकि विस्फोटक सामग्री एवं ज्वलनशील सामग्री रियाशी क्षेत्र में नहीं रखी जा सकती इसकी दूरी कम से कम शहर से छह से सात किलोमीटर दूरी पर इनका भण्डारण होना चाहिए। क्रेशर संचालकों द्वारा भारी ब्लास्टिंग की जाती है पहाडिय़ों को तोडऩे के लिए और ब्लास्टिंग करवाते समय गरीब मजदूरों द्वारा ही यह ब्लास्टिंग करवाई जाती है और क्रेशर संचालक न तो इसकी सूचना देते है प्रशासन को और न ही यह बताते है कि कितना ब्लास्ट कितनी मात्रा ब्लास्टिंग की जायेगी। यह एक प्रशासन के लिए प्रश्र चिन्ह बना हुआ है और हैरान करने वाली बात तो यह है कि जिला प्रशासन भी बेखबर है कि कितनी सामग्री कितनी बारूद और कितनी ब्लास्टिंग का सामान क्रेशर संचालको द्वारा कितनी मात्रा रखी गई है इसकी भी जानकारी क्रे शर संचालक प्रशासन को नहीं देते है। क्रेशर संचालको की नादरशाही के चलते सारे नियमों को ताक में रखकर क्रेशर संचालक चला रहे है क्रेशर मशीने। क्रेशर संचालक न तो राजस्व के नियमों का पालन करते है और न ही वन विभाग के नियमों का पालन करते है और कितनी जमीन उन्हें स्वीकृति की गई है। और कितनीभूमि उन्हें लीज पर दी गई है। उससे अधिक राजस्व भूमि पर उत्खनन कर डालते है। दरअसल क्रेशर संचालक नियमेां को ताक में रखकर क्रेशर संचालित करके खूब मलाई छान रहे है। और जिला प्रशासन बेखबर है। आखिर क्यों नहीं इनसे जानकारी नहीं ली जाती है कि जितनी जमीन की लीज निर्धारित की गई है उतनी ही जमीन का उत्खनन करना चाहिए। उससे अधिक और आस-पास की भूमि पर भी अवैध तरीके से उत्खनन किया जाता है। और विस्फोटक सामग्री रखने के कारण आस-पास की जमीनें बंजर तो ही रही है साथ ही कभी भी किसी तरह की विस्फोटक सामग्री रखने के कारण घट सकती है कोई घटना अभी तक कई वर्षो से क्रेशर संचालक अपनी मनमानी करते आ रहे है। और राजस्व विभाग के द्वारा यह नहीं पूछां गया है कि जब ब्लास्टिंग करते है तो उसकी जानकारी क्या जिला प्रशासन को देते है कि वह ब्लास्टिंग सामग्री कितनी उपयोग कर चुके है और कितनी रखे हुये है और जिन गोदामों में ब्लास्टिंग की सामग्री रखते है क्या वास्तव में वह सुरक्षित जगह है या फिर नियम विरूद्ध तरीके से विस्फोटक सामग्री को रखा जाता है। यह एक बड़ा प्रश्र बना हुआ है जिला प्रशासन के लिए।