86 देशों के साथ 31 लाख वित्तीय खातों के बारे में जानकारी साझा की गई
नई दिल्ली। काले धन के खिलाफ लड़ाई में सरकार को एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच कालेधन की सूचना संधि के स्वत: आदान-प्रदान की नई व्यवस्था के तहत अपने नागरिकों के स्विस बैंक खातों की दूसरी सूची स्विट्जरलैंड सरकार से हासिल हो गई है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है। स्विटजरलैंड ने कहा कि 86 देशों के साथ 31 लाख वित्तीय खातों के बारे में जानकारी साझा की गई। बता दें कि इससे पहले स्विटजरलैंड ने सितंबर 2019 में भारत समेत 75 देशों के साथ जानकारी साझा की थी। काले धन से लडऩे की दिशा में एक बड़े कदम के तौर पर भारत को स्विस बैंक में उसके नागरिकों की जानकारी दी थी।
स्विटजरलैंड ने कहा है कि 86 देशों के साथ 31 लाख वित्तीय खातों के बारे में जानकारी साझा की गई है। भारत उन 86 देशों में शामिल है, जिनके साथ स्विट्जरलैंड के संघीय कर प्रशासन (एफटीए) ने इस साल एईओआई (सूचना का स्वचालित विनिमय) पर वैश्विक मानकों के ढांचे के भीतर वित्तीय खातों की जानकारी का आदान-प्रदान किया है।
एफटीए ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि भारत को एईओआई के तहत सितंबर 2019 में स्विट्जरलैंड से विवरण का पहला सेट मिला था, जब इसमें 75 देश शामिल थे। इस साल सूचना के आदान-प्रदान में लगभग 3.1 मिलियन (31 लाख) वित्तीय खाते शामिल थे। हालांकि वक्तव्य में स्पष्ट रूप से भारत का नाम नहीं था। अधिकारियों ने बताया कि भारत उन प्रमुख देशों में से है, जिनके साथ स्विट्जरलैंड ने स्विस बैंकों के ग्राहकों और विभिन्न अन्य वित्तीय संस्थानों के वित्तीय खातों के बारे में विवरण साझा किया है।
100 से अधिक भारतीयों और संस्थाओं की सूचना
अधिकारियों ने आगे कहा कि इस वर्ष 86 देशों के साथ स्विट्जरलैंड की ओर से तीन मिलियन से अधिक वित्तीय खातों के बारे में जानकारी के समग्र आदान-प्रदान में एक बड़ी संख्या भारतीय नागरिकों और संस्थाओं से संबंधित है। अधिकारियों ने कहा कि स्विस अधिकारियों ने पिछले एक साल में 100 से अधिक भारतीय नागरिकों और संस्थाओं के बारे में जानकारी साझा की है। ये मामले ज्यादातर पुराने खातों से संबंधित हैं, जो 2018 से पहले बंद हो सकते हैं, जिसके लिए स्विट्जरलैंड ने भारत के साथ आपसी प्रशासनिक सहायता के एक पुराने ढांचे के तहत विवरण साझा किया है। क्योंकि भारतीय अधिकारियों ने उन खाताधारकों द्वारा कर-संबंधी गलत कामों के प्रथम दृष्टया सबूत प्रदान किए थे। एईओआई केवल उन खातों पर लागू होता है जो 2018 के दौरान सक्रिय या बंद थे।
कुछ मामले इनसे भी है संबंधित
इनमें से कुछ मामले भारतीयों द्वारा विभिन्न विदेशी न्यायालयों जैसे पनामा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स और केमैन आइलैंड्स में स्थापित संस्थाओं से संबंधित हैं, जबकि व्यक्तियों में ज्यादातर व्यापारी और कुछ राजनेता और तत्कालीन रॉयल्स के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्य भी शामिल हैं। हालांकि, अधिकारियों ने भारतीयों द्वारा रखे गए खातों में मौजूद खातों की सही संख्या या संपत्ति के बारे में विवरण साझा करने से इनकार कर दिया। स्विस अधिकारियों द्वारा साझा की गई जानकारी में पहचान, खाता और वित्तीय जानकारी शामिल है, जैसे नाम, पता, निवास स्थान और कर पहचान संख्या, साथ ही रिपोर्टिंग वित्तीय संस्थान, खाता शेष और पूंजी आय से संबंधित जानकारी है।
मौजूदा खातों की संख्या और जमा धनराशि का ब्यौरा देने से इनकार
अधिकारियों ने हालांकि गोपनीयता का हवाला देते हुए भारतीयों के मौजूदा खातों की संख्या या इनमें जमा धनराशि के बारे में ब्यौरा देने से इनकार किया। स्विस अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी में पहचान, खाता और वित्तीय जानकारी शामिल है।
इन जानकारी से कर अधिकारियों को यह पता करने में मदद मिलेगी कि क्या करदाताओं ने कर रिटर्न में अपने वित्तीय खातों के बारे में सही जानकारी दी है।
इस तरह का अगला आदान-प्रदान सितंबर 2021 में होगा। स्विट्जरलैंड का पहला ऐसा आदान-प्रदान सितंबर 2018 के अंत में हुआ और इसमें 36 देश शामिल थे। उस समय भारत इस सूची में शामिल नहीं था।
इस समय लगभग 8,500 वित्तीय संस्थान (बैंक, ट्रस्ट, बीमाकर्ता, आदि) एफटीए के साथ पंजीकृत हैं। ये संस्थाएं आंकड़े जमा करके एफटीए को देती हैं।