श्याम जाटव
देशभर में एक तरफ राफेल और सिख दंगों का मुद्दा गरमाया हुआ है वहीं एक बात सामने आने लगी की भाजपा मप्र में करीब 13 सांसद को टिकट नहीं देगी। इस मामले में पार्टी ने मंथन भी कर लिया। विधानसभा चुनाव में हारे सांसदों पर दांव लगाने के मूड़ में नहीं है। ऐसी स्थिति में नए लोगों के नाम पर विचार संभव है।
नीमच। मप्र विधानसभा चुनाव में भाजपा ने हार के बाद लोकसभा चुनाव पर फोकस कर दिया। 4 महीने बाद होने वाले आम लोकसभा चुनाव है इसी बात को ध्यान में रखते हुए पार्टी जीतने वाले उम्मीदवार को ही मैदान में उतारेगी। माना जा रहा है कि कई वर्तमान सांसदों के टिकट काट सकती हैं।
2 सांसद विस चुनाव जीते
जानकारी के अनुसार वर्तमान में 29 में से भाजपा के पास 26 और 3 सीटें कांग्रेस के पास है। अभी हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शाजापुर-देवास से सांसद मनोहर ऊंटवाल को आगर, खजुराहो के सांसद नागेंद्रसिंह को नागौद व मुरैना के सांसद अनूप मिश्रा को भितरवार से टिकट दिया था। ऊंटवाल व नागेंद्रसिंह ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। वहीं मिश्रा चुनाव हार गए।
विधायकों पर दांव नहीं
विधानसभा में भाजपा के केवल 109 विधायक है और ऐसे में पार्टी किसी विधायक को लोकसभा चुनाव लड़ाकरं अपनी सीटें कम कराना नहीं चाहेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा के लिए 2019 का चुनाव करो या मरो जैसी स्थिति वाला हो गया है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा हैं कि कांग्रेस की तीन राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में 15 साल बाद वापसी करना।
13 सांसदों के टिकट खतरें में
अंदरखाने की चर्चा है कि वर्तमान में भाजपा विधानसभा चुनाव के बाद फृूंक-फूंक कर कदम रख रही है और अगामी लोकसभा चुनाव में किसी भी प्रकार की रिस्क नहीं लेना चाहती है। इसी बात को ध्यान में रखकर 26 में से 13 सांसदों को टिकट दे सकती। वहीं जो सांसद पहली या चौथी बार जीते है उनके नाम पर शायद ही पार्टी विचार करें। इस बार पार्र्टी किसी भी प्रकार का रिस्क लेने को तैयार नहीं है और इसी वजह से जीतने वाले उम्मीदवार पर ही भरोसा किया जाएगा।
पहली बार के सांसद से नाराजगी
मंदसौर-नीमच संसदीय क्षेत्र के सांसद सुधीर गुप्ता है। गुप्ता पहली बार सांसद बने है। अपनी अमेरिकन स्टाईल वाली छवि से जनता के बीच उभर नहीं पाएं और इसी वजह से दोबारा मौका मिलना दूर की कोड़ी है। सांसद गुप्ता को जिस प्रकार से कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ. संपस्वरूप जाजू ने रेल व पासपोर्ट वाले मुद्दे पर घेरा उससे उनकी बहुत किरकिरी हुई। इन्होंने सांसद निधि वितरण करने में काफी कंजूसी बरती है जिससे भी नगर पंचायत व ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि खफा है। गुप्ता ने सबसे ज्यादा रूचि एंबुलेंस व पानी के टेंकर देने में दिखाई हैं। हालांकि सांसद गुप्ता का कहना है कि क्षेत्र में काफी विकास किया और संसदीय क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा ने परचम लहराया है।
इन्हेें मिल सकता है मौका
मंदसौर कृषि उपज मंडी अध्यक्ष व किसान नेता बंशीलाल गुर्जर, रतलाम विधायक चेतन्य कश्यप व पूर्व सांसद स्व. डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे के बेटे सुरेंद्र पांडे के नाम पर मुहर लग सकती है। सुरेंद्र के पिता 8 बार लोकसभा के सदस्य रहे है और सुरेंद्र भी संसदीय क्षेत्र में सक्रिय है। वहीं गुर्जर पिछले लोकसभा चुनाव में टिकट के दावेदार थे लेकिन आरएसएस के दखल की वजह से दौड़ से बाहर हो गए। विधायक कश्यप को प्रदेश मे सरकार नहीं बनने का मलाल है उन्हें भरपूर आस थी सत्ता आई तो मंत्री बनना तय था। अब लोकसभा में मौका नहीं मिला तो राज्यसभा मे भी जा सकते है।