नई दिल्ली। हाल ही में पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है। असम, पंडुचेरी को छोड़कर बीजेपी को सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल से उम्मीद थी, लेकिन यहां पूरी ताकत झोंकने के बाद भी बीजेपी सत्ता की सीढ़ी नहीं चढ़ पायी। हालांकि, यह बात अलग है कि यहां बीजेपी ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए न सिर्फ मजबूत विपक्ष के रूप में दमदार उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रही, बल्कि चिरप्रतिद्वंद्वी कांग्रेस और लेफ्ट को धूल चटा दी। आंकड़ों पर गौर करें तो बीजेपी को पिछले दो साल में बड़ा नुकसान हुआ है। वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव के बाद की बात करें ताे बीजेपी कई राज्यों में पिछड़ गई है।
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दो सालों में गवाए ये राज्य
2019 के लोकसभा चुनाव में दूसरी लगातार प्रचंड बहुमत से केंद्र की सत्ता में लौटने वाली बीजेपी का ग्राफ गिरता जा रहा है। वर्ष 2019 में ही 7 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए, लेकिन इनमें से बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ। जिन सात राज्यों (आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड) में चुनाव हुए, उनमें बीजेपी ने न सिर्फ ताकत झोंकी, बल्कि पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा। हालांकि, सात में से हरियाणा, सिक्किम और मध्यप्रदेश में बीजेपी ने सियासी रणनीति और ताकत के दम पर सत्ता हथिया ली, लेकिन वर्ष 2019 के बाद से बीजेपी के हाथों से राज्यों का जनादेश फिसल रहा है।
यही वजह है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद अब तक 10 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी नीत एनडीए को सिर्फ चार राज्यों में जनाधार मिल सका। अब अब पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में बीजेपी को पराजय का स्वाद चखना पड़ा।
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ऐसे घटता गया कद
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी, लेकिन ये भी उसके हाथ से फिसल गए हालांकि, महाराष्ट्र में बीजेपी पुराने साथी शिवसेना का साथ बरकरार नहीं रख सकी, जिससे उसे सत्ता से दूर होना पड़ा। उधर, हरियाणा में बीजेपी को वर्ष 2014 में हुए चुनाव में पूर्ण बहुमत मिला था, लेकिन 2019 में वो बहुमत से दूर रह गई थी। हालांकि, यहां बीजेपी ने सियासी रणनीति के तहत जेजेपी का साथ लेने पर मजबूर होना पड़ा।
उधर, आंध्र प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली थी, जबकि 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने वहां सिर्फ 4 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी। इधर, ओडिशा में बीजेपी को 23 सीटें मिलीं, जबकि पिछले चुनावों में सिर्फ 10 सीटों पर कब्जा कर पायी थी। अरुणाचल प्रदेश में में विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 60 में से 41 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि इसके पहले वाले चुनाव में बीजेपनी सिर्फ 11 सीटें ही जीत सकी थी।
बीजेपी को पूर्व के राज्यों में भी निराशा हाथ लगी। सिक्किम में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली। हालांकि, चुनाव के कुछ महीनों बाद सिक्किम में 25 सालों तक शासन करने वाली सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के 10 विधायक रातोंरात पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए।
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यहां घट गईं सीटें
दरअसल, महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 105 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन इससे पहले वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 122 सीटें ही हासिल हो सकीं। यहां सत्तारुढ़ पार्टी को 17 सीटें गंवानी पड़ी। यही हाल हरियाणा में हुआ। हरियाणा में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 90 में सिर्फ 40 सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि 2014 के चुनाव में बीजेपी के पास 47 सीटें आई थीं। हरियाणा में सरकार बनाने के बीजेपी को जननायक जनता पार्टी से गठबंधन करना पड़ा। यही हाल झारखंड में हुआ। यहां हुए चुनाव में बीजेपी 25 सीटों पर सिमट गई थी, जो 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में हासिल सीटों से 12 सीटें कम हैं। सबसे बड़ी बात यह रही कि वर्ष 2019 में झारखंड और महाराष्ट्र से बीजेपी पूरी तरह सत्ता से दूर हो गई।
फिर भी नहीं रुकी नाराजगी
वर्ष 2019 के बाद वर्ष 2020 की बात करें तो बीजेपी को फिर झटका लगा। इस साल बीजेपी को एक बार फिर दिल्ली में जनता ने दरकिनार कर दिया। गई। यहां आम आदमी पार्टी ने अपने पिछले प्रदर्शन के रिकार्ड को ध्वस्त करते हुए एकतरफा जीत हासिल की और बीजेपी की उम्मीदों पर पानी फिर गया। हालांकि, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे तीन बड़े राज्यों में सत्ता गंवाने के बाद बीजेपी ने सियासी रणनीति के तहत मध्यप्रदेश में सत्ता हथियाने में सफल रही।
वोट शेयर भी फिसला
राज्यों के सत्ता गंवाने के साथ ही बीजेपी का वोट शेयर भी फिसलता दिख रहा है। वर्ष 2019 में ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए केंद्र में वापसी करने वाली बीजेपी विधानसभा चुनावों में जनता से दूर होती गई। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में नजर डालें तो पिछले आम चुनाव के मुकाबले बीजेपी का वोट शेयर फिसल गया है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बंगाल से 40.25 फीसदी मत हासिल हुए थे, लेकिन, 2021 मे हुए विधानसभा चुनाव में वोट शेयर घटकर 38.1 फीसदी रह गया है।
यही हाल दक्षिण के प्रमुख राज्य तमिलनाडु में देखने को मिला। यहां आम चुनाव में 3.66 फीसदी वोट शेयर हासिल करने वाली बीजेपी को विधानसभा चुनाव में सिर्फ 2.62 वोट ही मिल सके। उधर, असम में भी बीजेपी का वोट शेयर कम हुआ है। हालांकि, यहां पार्टी वापसी करने में कामयाब रही, लेकिन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मिले 36.05 प्रतिशत वोट के मुकाबले हालिया विधानसभा चुनाव में 33.21 प्रतिशत लोगों का समर्थन ही मिल सका। यहां पार्टी को सत्ता में वापसी के बावजूद 3 फीसदी से अधिक वोटों का नुकसान हुआ।
उधर, दक्षिण के एक अन्य राज्य केरल में भी बीजेपी का वोट शेयर कम हो गया, जबकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान केरल में बीजेपी को 12.93 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन वर्ष 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में सिर्फ 11.30 फीसदी वोट मिल सके।
हिंदी पट्टी में भी नुकसान
बीजेपी की लोकप्रियता का ग्राह हिंदी पट्टी में भी गिरता जा रहा है। खासकर बिहार में बीजेपी को सीटें बढ़ने के बावजूद वोट शेयर कम हुआ। यहां वर्ष 2019 मे हुए आम चुनाव में सत्तारुढ़ बीजेपी को 23.57 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी सिर्फ 19.46 फीसदी वोट ही हासिल कर सकी। पार्टी को सबसे बड़ा झटका दिल्ली में लगा। यहां आम चुनाव में मिले 55.56 फीसदी वोट के बजाय विधानसभा चुनाव में बीजेपी सिर्फ 38.51 फीसदी वोट ही हासिल कर पायी।
महाराष्ट्र में भी बीजेपी का वोट प्रतिशत कम हुआ। यहां पिछले आम चुनाव में बीजेपी को 27.59 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी यह आंकड़ा भी बरकरार नहीं रख पायी। पार्टी को सिर्फ 25.75 फीसदी वोट मिले। हालांक, यहां बीजेपी सत्ता से भी बाहर हो गई। बीजेपी की मुश्किलें यहीं कम नहीं हुईं। हरियाणा में भी बीजेपी को तगड़ा नुकसान हुआ। यहां पिछले आमचुनाव के दौरान 58.02 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 36.49 फीसदी वोट से ही संतोष करना पड़ा। खास बात यह रही कि बीजेपी यहां अकेले सरकार भी नहीं बना सकी, उसे दूसरी पार्टी का समर्थन लेना पड़ा।
उधर, झारखंड में भी बीजेपी का ग्राफ तेजी से गिरा। यहां पिछले आम चुनाव में 50.96 प्रतिशत वोट हासिल करने वाली बीजेपी को विधानसभा में सिर्फ 33.37 प्रतिशत वोट से ही संतोष करना पड़ा। कुल मिलाकर देखा जाए तो पिछले दो सालों में हुए चुनाव में केंद्र में सत्तारुढ़ बीजेपी को ग्राफ तेजी से गिरा है। यही वजह रही कि पार्टी को न सिर्फ राज्यों की सत्ता से बेदखल होना पड़ा, बल्कि जनता की नजर से भी दूर होती चली गई।