600 पद रिक्त होने पर हाशिए पर आई तकनीकी शिक्षा, OBC का 27% आरक्षण बना पेंच

600 पद रिक्त होने पर हाशिए पर आई तकनीकी शिक्षा, OBC का 27% आरक्षण बना पेंच

भोपाल
बकाया राशि की वसूली को लेकर बिजली कंपनी और नगर निगम अब आमने-सामने आ चुके हैं। बार-बार अपने दफ्तर और स्ट्रीट लाइट की बिजली कटने से खफा नगर निगम ने अब बिजली कंपनी पर प्रॉपर्टी टैक्स की बकाया राशि निकालना शुरू कर दी है। कंपनी पर बिजली के ट्रांसफार्मर रेंट समेत प्रॉपर्टी टैक्स के 40 लाख रुपए बकाया निकाला है। अन्य रिकॉर्ड भी खंगाला जा रहा है। यह राशि करोड़ों में पहुंचेगी। जल्द ही कंपनी को इसका नोटिस दिया जाएगा। प्रॉपर्टी टैक्स नहीं चुकाने पर सब स्टेशनों की कुर्की कर नीलामी भी की जा सकती है। उधर बिजली कंपनी ने निगम के पानी के पंप हाउस के कनेक्शन कटाने की तैयारी कर ली है।

प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज और पॉलीटेक्निक में फैकल्टी के अभाव में शैक्षणिक गतिविधियां चौपट बनी हुई हैं। भर्ती करने में डीटीई को दो प्रमुख नियमों से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई है। जीएडी और शासन की तरफ से स्पष्ट आदेश नहीं होने के कारण अधिकारी पशोपेश में बने हुए हैं। डीटीई को समस्त इंजीनियरिंग कॉलेज और पॉलीटेक्निक में करीब 600 लेक्चरर की भर्ती करना है। इसमें 500 पद पालीटेक्निक और करीब 100 पद इंजीनियरिंग कालेजों में रिक्त बने हुए हैं। वित्त विभाग ने तीन साल में 180-180 पदों पर भर्ती करने की स्वीकृति दे दी है।  बाद भी भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।

प्रदेश में पालीटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेज सोसायटी के रूप चल रहे हैं। इसमें प्राचार्य, एचओडी और लेक्चरर के एक-एक पद हैं। इसमें कॉलेज और पॉलीटेक्निक को एक-एक यूनिट बनाकर भर्ती करने से रोस्टर का पालन नहीं होगा। इसके चलते अधिकारियों को कोर्ट कचहरी करना होगी। जबकि यूजीसी ने विवि और कॉलेज को एक यूनिट मानकर भर्ती करने के आदेश जारी किए हैं।

ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने पर संविधान के 50 फीसदी से ज्यादा के आरक्षण देने की परिभाषा बदल जाएगी। इसलिए हाईकोर्ट ने ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने पर रोक लगा रखी है। वहीं, शासन और जीएडी 27 फीसदी आरक्षण को लेकर डीटीई को साफ आदेश जारी नहीं कर रहा है। जबकि डीटीई उनसे इस संबंध में पत्र व्यवहार कर चुका है।

शिक्षाविदें का कहना है कि कॉलेज और पॉलीटेक्निक सोसायटी चला रही हैं। इसलिए शासन ने सोसायटी को खत्म कर सभी पदों को शासन में लाना होगा। पदों की संख्या बढ़ने से रोस्टर का पालन सही तरीके से हो सकेगा और सहजता से भर्ती हो पाएंगी। हाईकोर्ट की रोक के बाद ओबीसी का 27 फीसदी आरक्षण की बाध्यता भी खत्म हो सकती है।