1947 के बाद कांग्रेस में 14 गैर गांधी राष्टीय अध्यक्ष बने

1947 के बाद कांग्रेस में 14 गैर गांधी राष्टीय अध्यक्ष बने

नई दिल्ली
कांग्रेस ने आजादी के बाद से कुल 19 नेताओं को अध्‍यक्ष पद पर बिठाया है। इनमें नेहरू-गांधी खानदान के पांच लोग हैं। 2017 में जब राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपी गई थी तो वे इस परिवार के पांचवें ऐसे शख्‍स बन गए। फिलहाल पार्टी की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के नाम सबसे लंबे समय तक अध्‍यक्ष रहने का रेकॉर्ड है, वह 19 साल तक अध्‍यक्ष पद संभाल चुकी हैं। राहुल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद पद छोड़ा तो फिर सोनिया को ही कमान सौंपी गई। कांग्रेस में गैर नेहरू-गांधी अध्‍यक्ष लंबे समय तक पद पर रह नहीं सका है। एक नजर अब तक कांग्रेस के अध्‍यक्ष पद पर रहे नेताओं पर।

आचार्य कृपलानी थे पहले अध्‍यक्ष
जिस समय भारत आजाद हुआ, उस वक्‍त आचार्य कृपलानी कांग्रेस के अध्‍यक्ष थे। प्रधानमंत्री पद के लिए वोटिंग में सरदार वल्‍लभ पटेल के बाद सबसे ज्‍यादा वोट कृपलानी के लिए ही पड़े थे लेकिन महात्‍मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया था।

सीतारमैया ने दूसरी बार में जीता चुनाव
पट्टाभि सीतारमैया पक्‍के गांधीवादी थे। 1939 में भी सीतारमैया कांग्रेस अध्‍यक्ष पद के चुनाव में खड़े हुए थे मगर सुभाषचंद्र बसु से हार गए। 1948 के अधिवेशन में पट्टाभि सीतारमैया को कांग्रेस अध्‍यक्ष चुना गया। वह 1950 तक पार्टी अध्‍यक्ष रहे।

महज सालभर अध्‍यक्ष रहे पुरुषोत्तम दास टंडन
पुरुषोत्तम दास टंडन ने 1950 में आचार्य कृपलानी को हराकर कांग्रेस अध्‍यक्ष का पद हासिल किया था। मगर 1951 में इस्‍तीफा दे दिया 1952 में इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव जीता। अगले साल उन्‍हें गवर्नर बना दिया गया।

नेहरू ने 5 साल तक संभाली पार्टी की कमान
जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री रहते समय पांच वर्ष तक कांग्रेस की कमान संभाली। वह आजादी के बाद नेहरू-गांधी परिवार के पहले कांग्रेस अध्‍यक्ष थे।

कांग्रेस के टॉप नेताओं को साथ लाए ढेबर
उच्छंगराय नवलशंकर ढेबर कांग्रेस के पांचवें अध्‍यक्ष थे। बतौर पार्टी प्रमुख, उनका पहला काम था बड़े नेताओं को देश सेवा के लिए साथ लाना। वह एसएसटी आयोग के चेयरमैन भी रहे। बाद में उन्‍होंने राजकोट लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्‍व भी किया।

पीएम रहते पार्टी चीफ थीं इंदिरा
पिता की तरह इंदिरा गांधी भी प्रधानमंत्री रहते हुए करीब पांच साल तक कांग्रेस अध्‍यक्ष रहीं। वह पहली बार 1959 में अध्‍यक्ष बनीं और दूसरी बार आपातकाल के बाद 1978 में।

इंदिरा के बाद नीलम संजीव रेड्डी बने अध्‍यक्ष
आगे चलकर देश के राष्‍ट्रपति बनने वाले नीलम संजीव रेड्डी 1960 से 1964 तक कांग्रेस अध्‍यक्ष रहे। इसके बाद उन्‍हें, लाल बहादुर शास्‍त्री की सरकार में मंत्री बनया गया। वह इंदिरा की कैबिनेट में भी शामिल थे।

'किंगमेकर' कहलाते थे कामराज
आजाद भारत में कांग्रेस के शायद प्रमुख गैर गांधी अध्‍यक्ष रहे के कामराज को 1960 के दशक में 'किंगमेकर' कहा जाता था। वह दो बार कांग्रेस के अध्‍यक्ष रहे। 1964 से 1967 के बीच अध्‍यक्ष रहते हुए उन्‍होंने नेहरू के निधन के बाद शास्‍त्री और फिर इंदिरा को प्रधानमंत्री बनते देखा।

अटूट कांग्रेस के आखिरी अध्‍यक्ष थे निजलिंगप्‍पा
एस निजलिंगप्‍पा कांग्रेस के नौंवे अध्‍यक्ष थे। साल 1968-69 के बीच जब कांग्रेस 1967 की हार से उबर रही थी, तब निजलिंगप्‍पा ने कमान संभाली। उनके नेतृत्‍व में पार्टी पहले एकजुट हुई लेकिन खेमेबाजी हो चुकी थी। 1969 में कांग्रेस टूट गई। इस तरह वह अभिवाजित भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के आखिरी अध्‍यक्ष रहे।

पी. मेहुल भी बने अध्‍यक्ष
पी. मेहुल 1969 से 1970 के बीच कांग्रेस पार्टी के अध्‍यक्ष रहे।

कांग्रेस के 11वें अध्‍यक्ष थे जगजीवन राम
'बाबू' जगजीवन राम 1970 के 1972 के बीच कांग्रेस के अध्‍यक्ष पद आसीन थे।

कांग्रेस अध्‍यक्ष से राष्‍ट्रपति भवन तक पहुंचे शंकर दयाल शर्मा
भारत का नौंवा राष्‍ट्रपति बनने से पहले शंकर दयाल शर्मा कांग्रेस के अध्‍यक्ष पद पर रह चुके थे। वह कई केंद्रीय मंत्रालयों का जिम्‍मा संभालते आए थे।

देवकांत बरुआ ने देखा आपातकाल
असम से आने वाले देवकांत बरुआ उस वक्‍त कांग्रेस के अध्‍यक्ष थे जब इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया।

नेहरू-गांधी परिवार से तीसरे अध्‍यक्ष थे राजीव
मां इंदिरा गांधी की हत्‍या के बाद, राजीव गांधी ने पार्टी की कमान संभाली। वह 1991 तक इस पद पर रहे।


यूपी से थे कमलापति त्रिपाठी

दो बार रेल मंत्री रहने के बाद कांग्रेस के 15वें अध्‍यक्ष बने थे कमलापति त्रिपाठी। वह 1992 तक पद पर रहे।

पीएम रहते ही पार्टी चीफ थे राव
पी वी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री रहते हुए कांग्रेस अध्‍यक्ष पद पर थे। वह बतौर प्रधानमंत्री देश की आर्थिक स्थिति बदलने के लिए जाने जाते हैं।

विवादों का दूसरा नाम 'सीताराम केसरी'
राव के इस्‍तीफा देने के बाद सीताराम केसरी को पार्टी का अध्‍यक्ष बनाया गया। 1997 में उन्‍होंने एचडी देवेगौड़ा की सरकार गिरा दी जो सबसे विवादित फैसला समझा जाता है। फिर आईके गुजराल की सरकार से भी कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया। केसरी को कांग्रेस से निकालना भी भारतीय राजनीति की सबसे विवादित घटनाओं में से एक है।

सबसे लंबे वक्‍त तक अध्‍यक्ष रहीं सोनिया
१९९८ में कांग्रेस को राजनीतिक संकट से उबारने के लिए कांग्रेसियों ने गांधी परिवार का रुख किया। सोनिया आगे आईं और पार्टी की कमान संभाली। वह अगले 17 साल तक पार्टी अध्‍यक्ष बनी रहीं।

राहुल गांधी के नेतृत्‍व में कांग्रेस की बुरी हार
राहुल गांधी 2017 में पार्टी के अध्‍यक्ष बने। उनके कांग्रेस अध्‍यक्ष रहते पार्टी 2019 का लोकसभा चुनाव बेहद बुरी तरह हारी। उत्‍तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से गठजोड़ काम नहीं आया। पार्टी में खेमेबाजी की खबरें आती रहीं। जब राहुल ने अध्‍यक्ष पद छोड़ने का ऐलान किया था तब कई कांग्रेसियों ने कहा कि कोई विकल्‍प नहीं है। आखिर में सोनिया को अंतरिम अध्‍यक्ष चुन लिया गया