सोनिया संग मीटिंग में दिखे बिल्कुल अलग तेवर, कांग्रेस से खत्म हुए ममता के शिकवे? 

सोनिया संग मीटिंग में दिखे बिल्कुल अलग तेवर, कांग्रेस से खत्म हुए ममता के शिकवे? 

 
नई दिल्ली 

 कभी कांग्रेस के साथ मंच शेयर करने से परहेज करने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तेवर आज नरम दिखाई दिए. जीएसटी, NEET और JEE को लेकर बैठक में ममता बनर्जी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को याद किया और कहा कि आज राजीव गांधी को सम्मान नहीं मिल पा रहा है. उनके नाम पर कोई स्कीम नहीं चलाई जा रही है.

दरअसल, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ सीएए-एनआरसी सहित तमाम मुद्दों पर कांग्रेस ने साझा रणनीति बनाने के लिए विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी. कांग्रेस की अगुवाई वाली उन बैठकों में विपक्ष के तमाम दल शामिल हुए थे, लेकिन हर बार ममता बनर्जी इससे दूरी बनाए रखती थीं. कांग्रेस की उन बैठकों में ममता शामिल नहीं होती थीं, लेकिन बुधवार को जीएसटी, NEET और JEE को लेकर हुई बैठक में ममता शामिल ही नहीं हुईं बल्कि राजीव गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक के लिए बड़ा दिल दिखाया है.

ममता बनर्जी ने राजीव गांधी को याद करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को बाकी पीएम की तरह श्रेय नहीं मिल रहा. राजीव गांधी के नाम पर न कोई स्कीम है और न ही कोई योजना है. राजीव गांधी के नाम पर सिर्फ खेल रत्न के अलावा कोई दूसरी स्कीम नहीं है. महात्मा गांधी के नाम पर सिर्फ मनरेगा है. हर स्कीम में आधा हिस्सा राज्य सरकार देती है, लेकिन स्कीम का नाम केंद्र सरकार तय करती है. 


विपक्षी दलों की बैठक
विपक्ष दलों की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और ममता बनर्जी के बीच पहले आप पहले आप होता रहा. दरअसल, सोनिया गांधी बैठक की शुरूआत करने के लिए ममता बनर्जी से गुजारिश कर रही थीं. सोनिया गांधी ने ममता बनर्जी से कहा कि आप बैठक क्यों नहीं कंडक्ट करती हैं. ऐसे में ममता बनर्जी ने जवाब दिया जब आप यहां मौजूद हैं तो मैं कैसे इसकी शुरुआत कर सकती हूं. इस तरह से सोनिया गांधी और ममता बनर्जी बैठक के दौरान एक-दूसरे को सम्मान देती दिखीं. 


दरअसल, पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में ममता बनर्जी अपने राजनीतिक समीकरण बनाने में जुटी हैं. NEET और JEE को लेकर छात्रों की एक बड़ी समस्या है. ऐसे में ममता बनर्जी खुद भी इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख चुकी हैं. वहीं अब विपक्षी दलों के साथ बैठक में शामिल होकर एक राजनीतिक संदेश भी देने की कोशिश की है ताकि बंगाल में युवा मतदाताओं को साध सकें.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी भी सीएए के खिलाफ पुरजोर तरीके से आवाज उठा रही थीं, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्षी दलों की बैठक से खुद को अलग कर लिया था. ममता बनर्जी ने नागरिकता कानून को न सिर्फ बंगाल में लागू करने से मना किया था, बल्कि वो खुद सड़कों पर उतरकर इसका विरोध कर रही थीं इसके बावजूद विपक्षी दलों की बैठक से दूर रही थीं. ऐसे ही धारा 370 के मामले पर भी सरकार के फैसला का ममता बनर्जी ने विरोध किया था.

दरअसल, ममता बनर्जी ने इससे पहले भी कांग्रेस के नेतृत्व में होने वाली बैठक से अपने आपको दूर रखा और लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्षी दल की गठबंधन से भी अलग खड़ी नजर आई थीं. उस वक्मत मता विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होकर यह राजनीतिक संदेश नहीं देना चाहती थीं कि उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई को कुबूल कर लिया है. हालांकि ममता कांग्रेस पार्टी के बजाय खुद नेतृत्व करना चाहती रहीं. वक्त और सियासत में अब लगता है कि ममता ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और कांग्रेस को लेकर नरमी दिखाई है. 

दरअसल, ममता बनर्जी को राजनीति में राजीव गांधी ही लेकर आए थे. राजीव गांधी के दौर में ही ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की यूथ कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष हुआ करती थीं. राजीव गांधी ने ममता को सियासत में आगे बढ़ाने का काम किया था, लेकिन राजीव गांधी ने निधन के बाद ममता ने कांग्रेस छोड़कर अपनी अलग पार्टी का गठन कर लिया था. इसके बावजूद ममता बनर्जी ने राजीव गांधी को लेकर कोई आलोचना नहीं की है.