लॉकडाउन में ये बने मजदूरों के मददगार, खाने का कर रहे इंतजाम

लॉकडाउन में ये बने मजदूरों के मददगार, खाने का कर रहे इंतजाम

महासमुंद
कोरोना वायरस (Corona Virus) से पूरा देश एक जुट होकर लड़ाई लड़ रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के देश में 21 दिन का लॉकडाउन (Lockdown) घोषित करने के बाद लोग इसे बखुबी पालन कर रहे है ताकि कोरोना को देश से भगाया जा सके. देश में लॉकडाउन घोषित होने की वजह से उन गरीबों की मुसीबतें बढ़ गई है जो रोजाना के दिनचर्या में मेहनत मजदूरी कर अपना घर चलाते थे. लेकिन देश के सामने इस विकट परिस्थिति में कई समाज सेवी संस्थाएं और समाज के लोग गरीबों के लिए मसीहा बनकर उतर आए है और कोरोना के इस युद्ध में योद्धा बनकर लड़ाई लड़ रहे है.

ऐसे ही कुछ लोग छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में भी है जो स्लम क्षेत्रों के सैकड़ों गरीब परिवारों के बीच रोजाना भोजन पहुंचा रहे है और एक दूसरे का साथ दे रहे है. इन्हीं में से एक है जीत फाउंडेशन की अध्यक्ष और महासमुंद में एसपी रह चूके जितेन्द्र शुक्ला की पत्नी संगीता शुक्ला. संगीता शुक्ला एसपी जितेन्द्र शुक्ला के हालही में हुए राजनांदगांव तबादले के बाद भी महासमुंद में ही है और कोरोना संकट के इस घड़ी में गरीब परिवारों की मदद करने में लगी हुई है.

संगीता शुक्ला रोजाना अपने घर में खुद अपने परिवार और फाउंडर मेंबर के साथ मिलकर 60 से 70 लोगों का लिए भोजन बनाती है और उसे शहर के स्लम क्षेत्र में जाकर गरीबों को खुद बांटती हैं. साथ ही लोगों को लॉकडाउन का पालन करने, सोशल डिस्टेसिंग बनाए रखने, हाथ धोने के साथ सफाई का ध्यान रखने और इस परिस्थिति से घबराने नहीं बल्कि डटकर मुकाबला करने के लिए प्रेरित करती हैं. 90 हजार की आबादी वाले महासमुंद में सैकड़ों परिवार ऐसे है जो रोजाना दैनिक मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं. लेकिन लॉक डाउन के समय उनके सामने भूखे रहने की नौबत आ पड़ी थी.

राजेश लूनिया ने बताया कि शहर के विभिन्न समुदाय, मंदिरों के ट्रस्ट, स्काउड एवं गाइड समाजसेवी लोग व संस्थाएं, जनप्रतिनिधि और कई समितियों के लोग भी सामने आए है और एक जुट होकर कोरोना की इस लड़ाई में योद्धा की भूमिका निभाते हुए रोजाना इन सेकड़ों गरीबों के लिए राशन और भोजना की ब्यवस्था करने में लगे हुए है.