राफेल सौदा: भारतीय कंपनी ने दिखाए सबूत, लेकिन कई सवालों के जवाब अधूरे

राफेल सौदा: भारतीय कंपनी ने दिखाए सबूत, लेकिन कई सवालों के जवाब अधूरे

नई दिल्ली
राफेल सौदे को लेकर एक बार फिर से भारत की राजनीति गर्म है। फ्रांस की एक वेबसाइट ने राफेल सौदे में कथित भ्रष्टाचार की रिपोर्ट छापकर राफेल जिन्न को एक बार फिर से बोतल से बाहर निकाल दिया। फ्रांस की वेबसाइट ने खुलासा किया है कि राफेल सौदे में एक भारतीय कंपनी डेफसिस सॉल्यूशन को 11 मिलियन यूरो यानि करीब साढ़े आठ करोड़ रुपये दलाली के तौर पर दिए गये। फ्रेंच वेबसाइट मीडियापार्ट ने कहा कि भारतीय कंपनी को बिचौलिए के तौर पर अवैध पेमेंट किए गये थे। लेकिन, अब भारतीय कंपनी डेफसिस सॉल्यूशन ने इस मामले में अपनी सफाई पेश करते हुए भ्रष्टाचार की बात से इनकार किया है और सफाई के तौर पर सबूत भी पेश किया है। डेफसिस सॉल्यूशन की सफाई कथित राफेल भ्रष्टाचार को लेकर डेफसिस सॉल्यूशन की तरफ से सफाई पेश की गई है और कंपनी की तरफ से सबूत पेश किए गये हैं। 

डेफसिस सॉल्यूशन ने अपनी सफाई जारी करते हुए कहा है कि फ्रेंच वेबसाइट द्वारा पब्लिश रिपोर्ट गुमराह करने वाली है। कंपनी की तरफ से जारी बयान में फ्रेंच मीडिया की रिपोर्ट को ‘पूरी तरह से निराधार' बताया गया है। डेफसिस सॉल्यूशन ने कहा कि उसे वास्तव में राफेल बनाने वाली कंपनी दसौ एविएशन की तरफ से राफेल जेट का 50 रेप्लिका बनाने का कॉन्ट्रेक्ट दिया गया था। और इसके बदले फ्रेंच की कंपनी के साथ उसका करार था। टीवी चैनल इंडिया टूडे से बात करते हुए डेफसिस सॉल्यूशन के प्रवक्ता ने कहा कि ‘डेफसिस सॉल्यूशन को दसौ एविएशन की तरफ से राफेल एयरक्राफ्ट की 50 रेप्लिका बनाने का ऑर्डर मिला था और हमने तय सौदे के मुताबिक 50 रेप्लिका दसौ एविएशन को डिलिवर किया।' कंपनी की तरफ से इसके बदले सबूत के तौर पर रेप्लिका डिलिवरी का चालान, ई-बिल, जीएसटी रिटर्न दिखाया गया। 

डेफसिस सॉल्यूशन के सबूत डेफसिस सॉल्यूशन की तरफ से सफाई पेश करते हुए कहा कि राफेल विमान की रेप्लिका उसने बेंगलुरू में बनाने के बाद दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में रेप्लिका सौंपी। कंपनी की तरफ से पेश की जीएसटी बिल में दिख रहा है कि राफेल विमान की रेप्लिका सितंबर 2017 ले जनवरी 2018 के बीच ट्रांसपोर्ट किया गया। 29 सितंबर 2017 की एक रेसिप्ट के मुताबिक 5 राफेल विमानों के रेप्लिका के बदले कंपनी की तरफ से 76 लाख 69 हजार 500 रुपये का टैक्स जमा किया गया। वहीं, सभी 50 रेप्लिका आस्था एंटरप्राइजेज कंपनी के जरिए डीटीडीसी कूरियर कंपनी के जरिए राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसौ एविएशन के दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में स्थिति दफ्तर में डिलिवर किया गया। भ्रष्टाचार के आरोप क्या हैं? फ्रेंच वेबसाइट मीडियापार्ट ने अपने खुलासे में कहा है कि फ्रांच की एंटी करप्शन एजेंसी एएफए की ऑडिट रिपोर्ट में राफेल बनाने वाली कंपनी दसौ एविएशन में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं। रिपोर्ट में खुलासा करते हुए कहा गया है कि ‘दसौ एविएशन ने राफेल विमान की 50 रेप्लिका बनाने के बदले भारतीय कंपनी डेफसिस कंपनी को पैसे दिए।