यूपी में राम के बाद अब लक्ष्मण पर संग्राम 

 लखनऊ 
लखनऊ में टीले वाली मस्जिद के पास भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण की मूर्ति लगाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. मान्यताओं के मुताबिक लखनऊ को लक्ष्मण की नगरी माना जाता है और यहां पुरातात्विक रूप से लक्ष्मण के टीले का एक जिक्र भी है.

27 जून को बीजेपी के 2 पार्षदों रजनीश गुप्ता और रामकृष्ण यादव ने लखनऊ नगर निगम को एक प्रस्ताव दिया, जिसमें टीले वाली मस्जिद के पास नगर निगम की जमीन पर लक्ष्मण की मूर्ति लगाने की मांग रखी गई. इस प्रस्ताव पर सहमति बन चुकी है लेकिन प्रस्ताव नगर निगम में अभी पास नहीं हुआ है और न ही इसपर कोई आखिरी मुहर लगी है.

प्रस्ताव पास होने से पहले विवाद

प्रस्ताव पास होने के पहले ही लक्ष्मण की मूर्ति पर विवाद हो गया है. टीले वाली मस्जिद के इमाम ने उस इलाके में लक्ष्मण की मूर्ति का यह कहकर विरोध किया कि यहां पर मूर्ति लगाने से इस इलाके में नमाज अदा करने वालों को एतराज होगा. इसलिए यहां लक्ष्मण की मूर्ति नहीं लगनी चाहिए.

हालांकि, टीले वाली मस्जिद के सामने नगर निगम की जमीन पर यह मूर्ति लगाने का प्रस्ताव किया गया है जिसका टीले वाली मस्जिद से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है.

टीले वाली मस्जिद को ऐतिहासिक तौर पर लक्ष्मण का टीला भी कहा जाता है. लखनऊ के पार्षद रामकृष्ण यादव जिन्होंने लक्ष्मण की मूर्ति के लिए प्रस्ताव दिया है, उन्होंने आजतक से बातचीत में कहा कि आज भी यही इलाका लक्ष्मण के टीले के नाम से जाना जाता है. उनके मुताबिक, जमीन के रिकॉर्ड में भी ये लक्ष्मण का टीला ही दर्ज है. ऐसे में इस इलाके में लक्ष्मण की मूर्ति लगाए जाने में ऐतराज क्यों है, जबकि सभी जानते हैं कि लखनऊ लक्ष्मण के नाम पर ही बसा था.

मेयर का भी समर्थन

इस मुद्दे पर लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया खुलकर अपने अपने पार्षदों के प्रस्ताव के साथ हैं. उन्होंने कहा, 'लखनऊ शहर लक्ष्मण जी के नाम से है, मेरा यह मानना है लक्ष्मण जी की भव्य मूर्ति हमारे शहर में होनी चाहिए. हमारे पास प्रस्ताव आया और उसे सब ने माना जिस में लक्ष्मण जी की भव्य मूर्ति बनाने का निर्णय लिया गया.'

संयुक्ता भाटिया ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है. उन्होंने विरोध के बावजूद स्पष्ट कहा कि भव्य मूर्ति जरूर बनाई जाएगी. हालांकि, फिलहाल इस मुद्दे पर अगले महीने होने वाली मीटिंग तक फैसले को टाला गया है.

विरोध में उतरे मौलाना

वहीं, दूसरी तरफ नगर निगम में आए इस प्रस्ताव के बाद शिया और सुन्नी दोनों मौलाना इससे खफा हैं. टीले वाली मस्जिद के शाही इमाम मौलाना फजले मन्नान ने इसका सबसे पहले विरोध किया और कहा कि मस्जिद के पास लक्ष्मण की मूर्ति लगाने पर नमाजियों को एतराज हो सकता है क्योंकि मूर्ति के आसपास नमाज जायज नहीं हो सकती. इसलिए यहां पर लक्ष्मण की कोई मूर्ति ना लगाई जाए.

इस मामले पर टीले वाली मस्जिद के इमाम के समर्थन में शिया और सुन्नी दोनों मौलाना खुलकर सामने आ गए हैं. सुन्नी मौलाना सूफियान निजामी ने कहा मूर्ति की वजह से इलाके में तनाव बन सकता है, इसलिए ऐसी किसी भी प्रस्ताव की इजाजत नहीं दी जा सकती. वहीं शिया मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि अगर लक्ष्मण की मूर्ति लगानी है तो टीले वाली मस्जिद के आसपास नहीं बल्कि किसी मंदिर के भीतर लगाई जानी चाहिए ताकि किसी को कोई ऐतराज ना हो.

बहरहाल लखनऊ में लक्ष्मण की मूर्ति विवाद अब तूल पकड़ता जा रहा है. इस मुद्दे पर लखनऊ नगर निगम जिसमें कि बीजेपी का बहुमत है और मुस्लिम मौलाना आमने सामने हैं. देखना यह है इस मुद्दे का कोई हल निकल पाता है या फिर यह टकराव की एक और वजह बनता है.