[caption id="attachment_460388" align="alignnone" width="648"]
राजधानी में नकली रेडमिसिविर इंजेक्शन बिक रहे हैं।[/caption]
भोपाल। मध्यप्रदेश सहित देशभर में कोरोना की दूसरी लहर के चलते लोगों की जान जा रही है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने से बेड तक उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। उधर कोरोना के कहर के बीच आक्सीजन और जीवनरक्षक दवा की मांग भी तेजी से बढ़ गई है। ऐसे में महामारी में भी लोग मरीजों की जान से खेल रहे हैं। ताजा मामला भोपाल का है, जहां नकली रेडमिसिविर इंजेक्शन बाजार में पहुंच गए हैं।
जानकारी के मुताबिक, राजधानी में रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने का मामला सामने आया है। यहां 11 मील चौराहे पर स्थित निर्मल प्रेम अस्पताल में रविवार को भर्ती हुए मरीज प्रकाश सिलावट के फेफड़ों में करीब 40 प्रतिशत संक्रमण होने के बाद उन्हें इस अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने मरीज के परिजनों को रेमडेसिविर इंजेक्शन का इंतजाम करने को कहा। मरीज की जान बचाने के लिए पूरे दिन भटकने के बाद भी उन्हें इंजेक्शन नहीं मिले। इसी बीच अस्पताल के बाहर घूम रहे युवकों ने परिजनों को 47 हजार में रेमडेसिविर इंजेक्शन के दो डोज दे दिए। घबराए परिजनों ने बिना ये देखे कि इंजेक्शन असली हैं या नकली, तत्काल 47 हजार रुपए देकर इंजेक्शन लिए और डॉक्टर के पास पहुंचे। डॉक्टर ने इंजेक्शन को देखने के बाद कहा कि ये नकली हैं। ठगे जाने के बाद जब परिजन इंजेक्शन बेचने वाले को ढूंढने बाहर गए, तब तक वह वहां से रफूचक्चकर हो गया।
मजबूरी का उठा रहे फायदा
मध्यप्रदेश में कोरोना से मचे हाहाकार के बीच लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है। पहले तो अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे। बिस्तर मिल भी गया तो आक्सीजन और रेडमिसिविर इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में अस्पताल प्रबंधकों द्वारा मरीजों परिजनों को पहले आक्सीजन एवं इंजेक्शन की व्यवस्था करने के लिए कह दिया जाता है। ऐसे में मरीजों के परिजन इंजेक्शन के लिए यहां —वहां भटकते हैं। इसके चलते उन्हें दवा माफिया आसानी से अपना शिकार बना रहे हैं। हालांकि, इंजेक्शन की कालाबाजारी को लेकर शासन ने सख्ती भी दिखाई है। यही वजह है कि मप्र में इंजेक्शन प्रशासन की निगरानी में अस्पतालों में पहुंचाए जा रहे हैं।