बॉलीवुड का सबसे बड़ा खान कौन, हो चुका है फैसला
भारत में फिल्मों को लेकर हद दर्जे की दीवानगी है. सभी का कोई न कोई फेवरेट सितारा है. और उन सितारों को लेकर हम इतने ज्यादा संजीदा हैं कि अगर कोई उनकी बुराई करे तो हम सुन नहीं पाते. पिछले दो दशकों से बॉलीवुड पर तीन खान राज कर रहे हैं. सलमान, शाहरुख और आमिर. भारत में इन तीनों के ही करोड़ों फैन हैं. और 'तीनों में से सबसे अच्छा कौन है?' इसे लेकर लोगों में गहमागहमी होती रहती है. कई बार नौबत को मारपीट की भी आ जाती है. लेकिन हमें लगता है कि इतनी सी बात के फैसले के लिये किसी मारपीट की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिये. यह बात तो एक सर्वमान्य सत्य के जैसी है कि बॉलीवुड के सबसे बड़ा खान 'अमजद खान' है. सलमान हों, शाहरुख हों या आमिर. किसी का कद 6 फीट के आसपास भी नहीं फटकता. जबकि अमजद खान यानि हमारे 'गब्बर' 6 फीट से भी कुछ ज्यादा ही थे. इसके अलावा वजन की भी बात करें तो ये तीनों ही 70 से 75 किलो के बीच हैं. जबकि अमजद खान का वजन करीब 120 किलो हुआ करता था. गुजरे जमाने के चरित्र अभिनेता जयंत के बेटे अमजद खान शरीर से नहीं दिल से भी बहुत बड़े थे. और इस बात की ताकीद उनसे जुड़े किस्से भी करते हैं. आइये उनकी पुण्यतिथि पर जानते हैं, उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से -
जब पृथ्वी थियेटर में लाकर बांध दी थी भैंस
अमजद खान को चाय पीने का बहुत शौक था. कहा जाता है कि वे दिन भर में 30-30 चाय पी जाया करते थे. एक बार वे पृथ्वी थियेटर में रिहर्सल कर रहे थे. उन्होंने चाय मांगी. उनसे कहा गया कि चाय नहीं बन सकती, दूध खत्म हो चुका है. जिसके बाद अमजद खान ने अगले दिन दो भैंसे ले जाकर पृथ्वी थियेटर में बांध दी और कहा आज से दूध की कमी नहीं होनी चाहिये और जब चाय मांगी जाये मिल जानी चाहिये.
गब्बर के लिये पहली पसंद नहीं थे अमज़द खान
वैसे यह भी बताते चलें कि गब्बर के रोल के लिये वे फिल्ममेकर्स की पहली पसंद नहीं थे. वे डैनी को इस रोल में लेना चाहते थे. डैनी को ही यह रोल ऑफर हुआ था और उन्होंने इसे स्वीकार भी कर लिया था. यहां तक कि 'स्क्रीन' मैग्जीन के कवर पर डैनी समेत शोले के स्टारकास्ट की फोटो भी छप चुकी थी. लेकिन तभी डैनी को 'धर्मात्मा' फिल्म की शूटिंग करने के लिये अफगानिस्तान जाना पड़ा और उन्हें शोले छोड़नी पड़ी. जिसके बाद सलीम-जावेद ने फिल्ममेकर्स को अमज़द खान का नाम याद दिलाया. सलीम-जावेद ने अमज़द को दिल्ली में एक नाटक में देखा था. अमजद को फिल्म में ले लिया गया पर फिर भी निर्माता मानते थे कि उनकी आवाज़ उतनी मोटी नहीं है.
बहरहाल निर्देशक जो भी मानते रहे हों, शोले का जो हश्र हुआ वह इतिहास में दर्ज है. और ये डॉयलॉग भी-
कितने आदमी थे...
ये हाथ हमको दे दे, ठाकुर...
और यहां से पचास कोस दूर भी जब कोई बच्चा रोता है तो मां उसको चुप कराते हुये कहती है कि बेटा चुप हो जा वरना गब्बर आ जायेगा...