बस्तर में 15 साल में निर्मित परिस्थितियों के लिए रमन सिंह प्रदेश से मांगे माफी
रायपुर
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि रमन सिंह 15 साल अपनी गलत नीतियों के कारण छत्तीसगढ़ में माओवाद को खाद पानी देने और फलने-फूलने के लिये जिम्मेदार रहे। बस्तर में जो अप्रिय स्थिति, आदिवासियों के लिये जो निरंतर खतरनाक स्थिति भाजपा सरकार ने निर्मित की उसके लिये सबसे पहले रमन सिंह को प्रदेश की जनता से क्षमा याचना करना चाहिये।
रमन सिंह द्वारा गहरी तंद्रा से जागकर राज्यपाल को पत्र लिखने पर प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि रमन सिंह के 15 साल के शासन काल में दक्षिण बस्तर 3 ब्लाक तक सीमित माओवाद ने बढ़ते-बढ़ते प्रदेश के 14 जिलों को अपने गिरफ्त में ले लिया। झीरम, पेद्दागेल्लूर, सारकेगुड़ा, चिंतागुफा और ताड़मेटला जैसी घटनायें हुयी। रमन सिंह सरकार में 15 वर्ष में (औसत 73 से अधिक प्रतिवर्ष) 1099 सुरक्षा बलों के जवान-अधिकारी शहीद हुये और 1442 नागरिक (औसत 96 से अधिक प्रतिवर्ष) मारे गये। जबकि कांग्रेस की सरकार में 2019 में 21 और 2020 में 32 सुरक्षा बलों के जवान-अधिकारी कुल 53 (औसत 27 से भी कम प्रतिवर्ष) और 2019 में 46 और 2020 में 39 कुल 85 नागरिक (औसत 43 से भी कम प्रतिवर्ष)। डॉ.रमन सिंह द्वारा झूठे आंकड़ों और दावों के साथ राज्यपाल को पत्र लिखना और माओवाद को लेकर आरोप सिर्फ झूठ फरेब और गलत आंकड़ेबाजी की साजिशों की राजनीति मात्र है।
रमन सिंह जैसे भाजपा नेताओं को इस बारे में सोचना चाहिये कि बस्तर में जो अप्रिय स्थिति, आदिवासियों के लिये जो निरंतर खतरनाक स्थिति भाजपा सरकार ने निर्मित की उसके लिये सबसे पहले भाजपा सरकार के 15 साल मुखिया रहे, रमन सिंह जी को प्रदेश की जनता से क्षमा याचना करना चाहिये। प्रदेश के लोगों से क्षमा याचना मांगने के पहले माओवाद के बारे में कुछ बोलने का रमन सिंह जी और भाजपा नेताओं को कोई नैतिक अधिकार नहीं है। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद आज बस्तर में जो स्थितियां बेहतर हुई हैं। आदिवासियों का जनजीवन सुरक्षित हुआ है लेकिन यह बात रमन सिंह को हजम नहीं हो रही है क्योंकि साफ दिख रहा है कि छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा में बढ़ोत्तरी के पीछे उनकी गलत नीतियां ही थीं।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष ने कहा है कि रमन सिंह की खुद की सरकार में तो लगातार माओवाद का विस्तार हुआ और माओवाद का विस्तार करने वाले कारणों को बढ़ावा दिया गया और उसके बाद कांग्रेस सरकार बनने के बाद भाजपा की केन्द्र सरकार ने सीआरपीएफ के बटालियनों को यहां से हटा लिया। अब वे बटालियन खाली हो गयी है, लेकिन डॉ. रमन सिंह जैसे छत्तीसगढ़ विरोधी नेताओं के कारण इन बटालियनों को यहां अभी तक नहीं भेजा गया है। त्रिवेदी ने कहा है कि डॉ. रमन सिंह जैसे कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराने के लिये चि_ी लिखने वाले नेता अपने गिरेबान में झांक कर देखें। रमन सिंह जिम्मेदार है छत्तीसगढ़ में माओवाद विस्तार के लिये, माओवाद के फलने-फूलने के लिये। छत्तीसगढ़ में माओवाद के बढ?े के लिये भाजपा सरकार की गलत नीतियां और भाजपा के नेताओं की माओवादियो से मिलीभगत जिम्मेदार रही है। कांग्रेस ने तो अपनी पूरी पीढ़ी को गंवाया है, माओवादियों के हाथों। रमन सिंह को ये पत्र लिखने के पहले अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिये। सारकेगुड़ा की जो रिपोर्ट सामने आई थी उससे छत्तीसगढ़ का हर संवेदनशील नागरिक शर्मिंदगी महसूस कर रहा है लेकिन भाजपा के माथे पर शिकन तक नहीं आई। यह घटना उनके कार्यकाल की है और आयोग का गठन भी उन्हीं की सरकार ने किया था।