फुटपाथ पर पढ़ 10वीं में 68%, नगर निगम ने गिफ्ट दिया फ्लैट
इंदौर
एमपी में 10वीं बोर्ड के नतीजे आ गए हैं। कई छात्रों ने मुसीबत के आगे अपने हौसलों को टूटने नहीं दिया है। उन्हीं में एक इंदौर की रहने वाली भारती खांडेकर है। भारती ने फुटपाथ पर अपने परिवार के साथ रह कर पढ़ाई की है। उसने 10वीं की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन से पास की है। भारती खांडेकर को 10वीं में 68 फीसदी नंबर आए हैं। अब इंदौर नगर निगम ने भारती को बड़ा तोहफा दिया है।
भारती अपने परिवार के साथ इंदौर के शिवाजी मार्केट स्थित फुटपाथ पर रहती थी। उसने वहां स्ट्रीट लाइट की रोशनी में पढ़ाई की है। पास के अहिल्याश्रम स्कूल में उसका दाखिला था। वहीं, पिता दशरथ खांडेकर मजदूरी करते हैं और मां दूसरे के घरों में झाड़ू-पोछे का काम करती है। परिवार की कमाई इतनी भी नहीं थी कि कहीं कमरा लेकर रह सके। फुटपाथ किनारे ही उसकी एक झोपड़ी थी, जिसमें भारती रहती थी।
प्रशासन ने दिया था उजाड़
भारती ने रिजल्ट आने के बाद कहा था कि झोपड़ी को भी प्रशासन ने उजाड़ दिया था। उसके बाद से हमारे परिवार का आशियाना फुटपाथ ही बन गया था। मैं अपने 2 छोटे भाइयों के साथ यहां पढ़ाई करती थी। पिछले 15 सालों से हमारे पिता हमें यहीं रख रहे हैं। प्रशासन ने झोपड़ी तोड़ने के बाद कुछ लोगों को रहने के लिए घर भी दिया था, लेकिन हमारे परिवार को नहीं मिला।
बाल आयोग ने लिया संज्ञान
वहीं, भारती खांडेकर ने जब 10वीं की परीक्षा में कमाल किया तो उसकी चर्चा शुरू हो गई। उसकी मजबूरी की कहानियां सुन कर बाल आयोग भी सख्त हो गया। उसके बाद इंदौर प्रशासन को निर्देश दिया था कि उसके परिवार के लिए समुचिक कदम उठाए जाए।
नगर निगम ने दिया फ्लैट
भारती खांडेकर की इस सफलता के बाद इंदौर नगर निगम ने उसे फ्लैट गिफ्ट किया है। पीएम आवास योजना के तहत भूरी टेकरी में बना फ्लैट नंबर 307 भारती के परिवार को मिला है। इसके साथ ही निगम के अधिकारियों ने भारती के परिवार को किताबें और ड्रेस भी दी हैं। भारती नगर निगम का यह गिफ्ट पाकर काफी खुश है।
बनना चाहती है IAS
नगम निगम की तरफ से यह सम्मान मिलने के बाद भारती खांडेकर ने कहा कि मैं अपने माता-पिता को हौसला बढ़ाने के लिए धन्यवाद करता हूं। हमारे पास रहने के लिए घर नहीं थे, हम फुटपाथ पर रहते थे। मैं आईएएस बनना चाहती हूं। साथ ही घर गिफ्ट और फ्री पढ़ाई के लिए मैं प्रशासन को धन्यवाद देना चाहती हूं।
रात दिन करती थी पढ़ाई
भारती खांडेकर ने बताया कि रात में मैं लिखती थी और सुबह जल्दी उठ कर पढ़ाई करती थी। मैंने संसाधनों के लिए कभी मम्मी-पापा को परेशान नहीं किया है। मैं घर पर ही पढ़ाई कर तैयार करती थी। परीक्षा के समय मुझे नींद नहीं आती थी।