दिल्ली: अंधड़ से बचाएगी 32 लाख पेड़ों की दीवार

नई दिल्ली 
दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के लिए दिल्ली के वन विभाग ने बॉर्डर पर पेड़ों की 'दीवार' बनाने की योजना बनाई है। यह दीवार पड़ोसी राज्यों से आने वाली धूल और प्रदूषण से दिल्ली को बचाने का काम करेगी। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मॉनसून के दौरान ऐसे पौधे लगाए जाने की योजना है जो अगले कुछ वर्षों में पेड़ में तब्दील हो जाएंगे और पड़ोसी राज्यों की धूल और प्रदूषक तत्वों से दिल्ली को बचाने का काम करेंगे। ये पेड़ एक तरह की प्राकृतिक दीवार का काम करेंगे।  


हाल में यूनियन ऐंड स्टेट डिवेलपमेंट एजेंसियों ने एलजी को बताया था कि दिल्ली में 28 लाख पेड़-पौधे लगाए जाएंगे, लेकिन अब इस संख्या को बढ़ाकर 32 लाख कर दिया गया है। दिल्ली के बॉर्डर इलाकों पर पौधे लगाकर राजस्थान से आने वाली धूल को रोका जा सकता है। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, 'इस बार हमारा फोकस असोला, तुगलकाबाद, आयानगर, नरेला और यमुना के आसपास के इलाकों पर है। हम पौधों के साथ-साथ झाडियां भी उगाएंगे, साथ ही रिज को और घना किया जाएगा।' 

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र और दिल्ली सरकार की कई एजेंसियां पहले ही इस योजना पर काम शुरू कर चुकी हैं। बकौल अधिकारी, 'प्राकृतिक दीवार हरियाणा, राजस्थान और यमुना फॉरेस्ट और अरावली से छूते बॉर्डर को कवर करेगी। इसके मुख्य मकसद पार्टिकुलेट मैटर्स और धूल के कणों को रोकना है।' 

इस स्कीम के लिए पिलखन, गूलर, आम, महुआ और अन्य पेड़-पौधों को चुना गया है। इनके अलावा, पीपल, नीम, आंवला, जामुन, बहेड़ा और पेड़ भी लगाए जाएंगे। अधिकारी ने बताया कि धूल के सूक्ष्म कण इन पेड़ों की पत्तियों पर चिपक जाते हैं और बारिश होने पर जमीन पर गिर जाते हैं। 

वन विभाग ने कहा कि बॉर्डर पर पेड़ लगाए जाने का काम एक साल में पूरा कर लिया जाएगा और जुलाई में इसकी शुरुआत की जा चुकी है। इस काम को डीडीए, सीपीडब्यूडी, डीएमआरसी, नॉर्दर्न रेलवे, दिल्ली सरकार का पीडब्ल्यूडी विभाग और कई नगर निगम मिलकर करेंगे। सबसे ज्यादा पेड़ डीडीए(10 लाख) लगाएगा जबकि दूसरे नंबर पर वन विभाग है जो 4.22 लाख पेड़ लगाने का काम करेगा। 2 साल के बाद इन पेड़पौधों का सर्वाइवल ऑडिट किया जाएगा और उसके हिसाब से आगे की दिशा तय होगी। सर्वाइवल ऑडिट का काम मार्च 2019 में देहरादून का फॉरेस्ट रीसर्च इंस्टीट्यूट करेगा और मार्च 2020 तक इसकी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।