गरीबों को सस्ता अनाज उनका कानूनी अधिकार, दया न समझें शिवराज - पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल
भोपाल
भाजपा सरकार का सबसे बडा झूठ आखिर जनता के सामने सामने आ ही गया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में जिन गरीब लोगों को अन्न मिलना उनका अधिकार है। उन्हें अन्न बांटकर प्रचार पाने का शर्मनाक काम शिशराज सरकार कर रही है।
पूर्व पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने आज यहां कहा कि अन्न मिलना गरीब परिवारों का कानूनी अधिकार है। जिन गरीबों को सरकार अन्न दे रही है उन्हें 2014 से ही मिलना चाहिये था ।लेकिन नहीं मिल, तब से सरकार क्या सो रही थी? जब कमलनाथ सरकार ने यह घपला पकड़ा और इन्हें अन्न का अधिकार दिलाने पर काम करना शुरू किया तो अनैतिक लोगों ने मिलकर सरकार गिरा दी। जनादेश को दरकिनार कर देश में सबसे बडा प्रजातांत्रिक हत्याकांड कर डाला।
पटेल ने कहा कि कोविड19 वायरस के कारण आये चुनौती भरे समय में गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाकर प्रचार प्रसार पाने की लालसा और गरीब जनता के पैसों से ही उत्सव मनाना मुख्यमंत्री को कितना शोभा देता है यह तो जनता देख रही है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री जनता को बताते हैं कि बजट की कमी है। देश की डूबती अर्थव्यवस्था का हाल सबको मालूम है । इसके बाद भी प्रचार पर जनता के पैसे मनमानी तरीके से उड़ाये जा रहे हैं।
अन्न मिलना गरीबों का अधिकार है न कि सरकारी दया
पूर्व मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय खादय सुरक्षा कानून का पालन करना सरकार का कर्तव्य है और इस कानून के अंतर्गत गरीबों को अन्न मिलना उनका अधिकार है। शिवराज सरकार ने गरीबों को उनका अधिकार भी दया के रूप में दे रही है। यदि हिम्मत हो तो साफ साफ कहें कि 37 लाख गरीबों को उनका अधिकार दिलाया। बजाय इसके सरकार कह रही है अन्न बांट रहे हैं।
पटेल ने कहा कि यही राष्ट्रीय खादय सुरक्षा कानून है जिसका विरोध भाजपा कर रही थी। यहां तक तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह ने प्रारंभिक रूप से खाद्य सुरक्षा कानून का विरोध किया था। बाद में कांग्रेस के कडे रूख के कारण बेमन से इसका समर्थन करना पड़ा। इसलिये भाजपा शासित प्रदेशों ने बेरूखी के साथ से इसे लागू किया । इसी का परिणाम यह रहा कि 37 लाख छूट गये परिवारों को छह सात साल बाद उनका अधिकार मिल रहा है।
पटेल ने कहा कि शिवराज सरकार को 37 लाख गरीबों से माफी मांगना चाहिए जो इनको खाद्य सुरक्षा के अधिकार से सात साल तक वंचित रखा। इसके बावजूद अन्न उत्सव के नामपर तारीफ बटोरने की राजनीति अपने आप में शर्मनाक है।
आपदा में अवसर ढूंढना है गिद्ध चरित्र
पूर्व मंत्री ने कहा कि दो करोड़ के करीब नये गरीब परिवारों को जोड़ने की बात सरकार कर रही है। इससे साफ जाहिर है कि बीते 15 सालों में सरकार ने गरीबी मिटाने के लिये कोई गंभीर प्रयास नहीं किये। गरीबों के नाम पर सिर्फ राजनीति की। यदि सरकार गरीबों के लिये पिछले 15 सालों में सच्चे मन से कुछ करती तो गरीब कल्याण सप्ताह जैसे दिखावटी प्रयास करने की जरूरत ही नहीं पडती। उन्होने कहा कि गरीब परिवार दो जून की रोटी के लिये संघर्ष करते रहते हैं इसलिये अपना अधिकार मांगने सरकार के सामने नहीं जायेंगे। इसी स्थिति का भाजपा फायदा उठा रही है। इसलिये नया जुमला गढा दिया आपदा में अवसर ढूंढने का। उन्होने कहा कि आपदा में अवसर ढूंढने का काम गिद्ध का चरित्र वाले करते हैं। उन्होने कहा कि जिनका विजन साफ होता है वे बिना आपदा आये चुनौतियों का समाधान तैयार रखते हैं ताकि लोगों पर आपदा का असर कम हो। उन्होने कहा कि गरीबों को राशन लेते हुए प्रचारित करना उनकी गरिमा को घटाने वाला काम है।
खाद्य सुरक्षा कानून को कमजोर करने में लगी रही भाजपा
पटेल ने कहा कि भाजपा तो कभी भी गरीबों को खाद्य सुरक्षा का अधिकार देने के पक्ष में नहीं रही और खाद्य सुरक्षा अधिनियम को कमजोर करने में लगी रही। भाजपा ने ही एक उच्च स्तरीय समिति बनाई थी और खाद्य सुरक्षा अधिनियम में कटौती की सिफ़ारिश की थी। इसमें यहां तक कहा था कि 67 प्रतिशत की जगह कुल 40 प्रतिशत आबादी को सस्ते दर पर खाद्य पदार्थ दिया जाय। चावल और गेहूं का प्रति किलो मूल्य बढ़ाया जाये। उन्होने कहा कि यदि 37 लाख गरीब अपने अधिकारों के लिये संघर्ष करते तो शिवराज सरकार मुंह नहीं दिखा पाती। उन्होने कहा कि कांग्रेस ने गरीबों के पक्ष में सख्त निर्णय लेकर यह कानून बनाया था।