कोरोना संक्रमितों के शवों के लिए अब तो कब्रिस्तान भी छोटे पड़ने लगे

कोरोना संक्रमितों के शवों के लिए अब तो कब्रिस्तान भी छोटे पड़ने लगे

भोपाल
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के विश्राम घाटों (श्‍माशान घाट) के बाद शवों के लिए अब कब्रिस्तान में भी जगह नहीं बची है. यहां पर शवों को दफनाने के लिए वेटिंग चल रही है. कब्र खोदने के लिए जिन लोगों को लगाया गया, उनके हाथों में छाले पड़ गए हैं. अब JCB मशीन से कब्र खोदी जा रही है. जगह के साथ मिट्टी की भी भारी कमी दिखाई दे रही है.

भोपाल का झदा कब्रिस्तान में जगह और मिट्टी की कमी है. यहां रोज कोरोना संक्रमितों के शव 7-10 की संख्या में पहुंच रहे हैं. पथरीली जगह होने की वजह से कब्रिस्तान के लिए 1500 से 2 हज़ार मिट्टी की ट्रॉली की ज़रूरत है. गौरतलब है कि कोरोना के लिए चिन्हित झदा कब्रिस्तान के अलावा शहर के अन्य कब्रिस्तानों बड़ा बाग, अशोका होटल वाला, छावनी, बाग फरहत अफजा में भी शवों को दफन करने का सिलसिला जारी है.


झदा कब्रिस्तान में रोज 15 कब्र एडवांस में खोदी जा रही हैं. यह इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि लाशों को दफनाने की वेटिंग चल रही है. हालांकि, कब्रिस्तान प्रबंधन की कोशिश है कि किसी को वापस न भेजा जाए. कब्रिस्तान में मिट्टी डलवाने के लिए कलेक्टर से मदद मांगी गई है.


बताया जा रहा है कि कब्रिस्तान में क्षमता से ज्यादा जनाजे आ रहे हैं. 15 अप्रैल को झदा कब्रिस्तान में सबसे ज्यादा 17 जनाजे पहुंचे. इनमें 10 अस्पतालों से आए कोरोना मृतक थे, जबकि 7 ऐसे थे, जिनकी मौत घर पर हुई थी. 1 अप्रैल से अब तक झदा कब्रिस्तान में 65 कोरोना जनाजे पहुंच चुके हैं. जबकि 52 ऐसे हैं, जिनकी मौत घरों पर अन्‍य बीमारियों के कारण हुई. मौत का सिलसिला पिछली बार की तुलना में दोगुना है.

झदा कमेटी प्रबंधक पूर्व पार्षद रेहान गोल्डन ने कहा कि सुबह से शाम तक लगातार पहुंच रहे जनाजों को दफन करने के लिए जगह कम पड़ रही है. पिछले एक साल से इसी कब्रिस्तान में कोरोना से मरने वालों के शवों को दफनाया जा रहा है. जनाजों की बड़ी तादाद को देखते हुए यहां एडवांस में भी कब्र खोदी जा रही हैं. रेहान ने बताया कि लगातार कब्र खोदने के चलते खुदाई करने वालों के हाथों में छाले पड़ गए हैं. इस स्थिति के चलते अब जेसीबी मशीनों से खुदाई काम करवाना पड़ रहा है.