कोरोना के बाद ब्लैक फंगस का खतरा, यूपी—एमपी में हुई मौतें

नई दिल्ली। देश में कोरोना के कहर के बाद अब ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ गया है। हाल ही में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश के शहरों में इसके मरीज सामने आए हैं। साथ आधा दर्जन के करीब मरीजों की इससे मौत भी हो चुकी है। दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में कोरोना संक्रमित 3 मरीज घातक ब्लैक फंगस (Black Fungus) यानी म्यूकरमाइकोसिस (Mucormycosis) की चपेट में आ गए हैं। लख्ननऊ के प्रतिष्ठित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में इन तीनों मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस होने की पुष्टि की गई है। केजीएमयू के मेडिसिन डिपार्टमेंट में इनका इलाज चल रहा है। कोरोना के मरीजों में ब्लैक फंगस के होने की शिकायत मिल रही थी। अब केजीएमयू ने आधिकारिक तौर से मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि की है। इससे पहले मेरठ में भी ब्लैक फंगस से पीड़ित दो कोविड मरीज़ मिले हैं। दोनों मरीज मुज़फ्फरनगर और बिजनौर के रहने वाले हैं। दोनों मरीजों का इलाज मेरठ के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। उधर, मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक दर्जन से अधिक मरीज सामने आए हैं, जिनका मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। बताया जाता है कि बुंदेलखंड में ही करीब तीन मरीजों की इससे मौत भी हो चुकी है। दरअसल, कोरोना संक्रमित मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले दिखने को मिल रहे हैं, जो जानलेवा है। चिकित्सकों के मुताबिक इससे संक्रमित मरीजों की मौत हो रही है। डॉक्टर्स की मानें तो कोरोना संक्रमण के बाद पहले नौ दिन बहुत अहम हैं। संक्रमण के साथ अगर मरीज में ब्लैक फंगस की शिकायत हुई तो उसकी जान पर खतरा बढ़ सकता है। यह फंगस त्वचा के साथ नाक, फेफड़ों और मस्तिष्क तक को नुकसान पहुंचा सकता है। ​चिकित्सकों का कहना है कि ब्लैक फंगस पहले से ही हवा और जमीन में मौजूद है। जैसे ही कोई कमजोर इम्युनिटी वाला व्यक्ति इसके संपर्क में आता है, तो उसके चपेट में आने की संभावना ज्यादा रहती है। साथ ही जो मरीज जितने लंबे समय तक अस्पताल में रहेगा, उसमें खतरा ज्यादा रहेगा। यह फंगस पहले नाक से शरीर में प्रवेश करता है और फिर फेफड़ों से रक्त के साथ मस्तिष्क में पहुंच जाता है।