कोरोना का पल्स पोलियो अभियान पर भी असर
पटना
कोविड-19 महामारी की वजह से देश भर में चलाए जाने वाले पल्स पोलियो अभियान पर भी इसका असर हुआ है. महामारी की वजह से बिहार में भी पल्स पोलियो अभियान फिलहाल प्रभावित हुआ है. 2009 में भारत, विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया था. इसके बावजूद हर साल एहतियातन दो बार कम से कम पोलियो अभियान चलाया जाता है.
सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय स्तर पर साल में कम से कम 2 बार पल्स पोलियो अभियान चलाया जाता है. हालांकि, महामारी की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर पल्स पोलियो अभियान के लिए नई तारीख 20 सितंबर का ऐलान हुआ है. ऐसे में बिहार में आंगनबाड़ी सेविका और आशा कार्यकर्ता जो आमतौर पर पल्स पोलियो अभियान चलाती हैं वह आजकल बिहार लौटने वाले प्रवासी मजदूरों के घर-घर जाकर उनकी कोविड-19 की जांच कर रही है.
बेगूसराय में एक आंगनबाड़ी सेविका ने कहा कि पहले हमलोग पल्स पोलियो अभियान का काम करते थे, लेकिन अभी प्रवासी मजदूरों के घर-घर जाकर उनकी कोविड-19 की जांच कर रहे हैं और उन्हें जागरूक कर रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रवासी मजदूरों के बिहार वापस लौटने के साथ ही कार्यों को निर्देश दिया था कि पल्स पोलियो अभियान की ही तर्ज पर प्रवासी मजदूरों की भी घर-घर जाकर जांच की जानी चाहिए.
बेगूसराय में 1300 पोलियो के सुपरवाइजर है जो पोलियो अभियान का काम करते थे वह फिलहाल कोविड-19 का काम कर रहे हैं. 1 महीने से कोविड-19 के कारण पल्स पोलियो अभियान को बंद कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, पिछले 2 महीने में तकरीबन 10 करोड़ से भी ज्यादा लोगों के घर-घर जाकर कोविड-19 की जांच पूरी कर ली गई है और कुछ जगह पर यह काम अभी भी चल रहा है.