कोरोना काल में देवदूत बन गए यह सांसद, अब हर तरफ हो रही है चर्चा

कोरोना काल में देवदूत बन गए यह सांसद, अब हर तरफ हो रही है चर्चा

कंधमाल 
ओडिशा के कंधमाल लोकसभा क्षेत्र के सांसद डॉ सामंत को लोग इक्कीसवीं सदी का महामना कह कर बुलाते हैं। जिस कोरोना काल में क्या नेता और क्या अभिनेता कोई अपनी घर की दहलीज से बाहर निकलना नहीं चाहता था, उस लॉकडाउन में महामारी से बेखौफ होकर डॉ सामंत अपने संस्थान के बच्चों, अपने क्षेत्र की जनता और आम जनता से लेकर प्रशासन तक की हर संभव मदद करने निकल पड़ते थे। कोई भूखा न सोए इसके लिए आज भी वह आठों पहर तन-मन और धन से लोगों की जरूरतें पूरा करने में लगे हुए हैं।

कोरोना काल में पेश की सेवा की बड़ी मिसाल
आम लोगों को कोरोना जैसी महामारी का इलाज उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने बीते छह महीनों में अपनी ओर से ओडिशा सरकार का समर्थन प्राप्त करते हुए चार-चार कोविड-19 अस्पताल खोले हैं। ताकि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के लिए भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके।

पढ़ाई संग कर रहे पेट पूजा का भी इंतजाम
एक कोरोना योद्धा की तरह डॉ सामंत के नेक प्रयासों की कहानी यहीं खत्म नहीं हो जाती, बल्कि ये तो महज ट्रेलर है। कोरोना के चलते जब देश-दुनिया में जिंदगी एकदम से ठप्प पड़ने लगी तो उस दौर से लेकर अब तक डॉ सामंत की तरफ से कीस के तकरीबन 30 हजार आदिवासी बच्चों को उनके होमटाउन में न सिर्फ प्रत्येक महीने पाठ्य-पुस्तकें बल्कि सूखा राशन आदि निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है।

कोरोना पीड़ितों को कीस का अनमोल उपहार
सेवा और सादगी की मिसाल माने जाने वाले डॉ सामंत का जब गरीबों की सेवा को लेकर इतने में भी मन नहीं भरा तो उन्होंने कोरोना बीमारी के शिकार व्यक्ति के परिवार के लिए एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने इस महामारी से मरने वाले व्यक्ति के बेटे या बेटी को कीट विश्वविद्यालय में फ्री में तकनीकी उच्च शिक्षा मुहैया कराने का वादा किया। दुनिया में किसी व्यक्ति विशेष द्वारा शायद ही किसी कोने में ऐसी नेक पहल करने की खबर सुनने-देखने को मिली हो।

सामंत संवार रहे हैं गरीब बच्चों का भाग्य
इसकी शुरुआत उस गरीब बच्चे से हुई जो ओडिशा के केंदुझार जिले के आनंतपुर में गुपचुप बेंचने का काम करता है। राहुल महत नाम के बच्चे के पिता की मृत्यु हाल ही में कोविड के चलते हुई थी। फिर एक दिन डॉ सामंत की नजर इस गरीब होनहार बच्चे पर पड़ी। इसके बाद उसकी मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई का जिम्मा कीस फाउंडेशन ने उठाते हुए उसे कीट जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में तकनकी शिक्षा मुहैया कराने का ऐलान कर दिया। राहुल महत के लिए यह सब कुछ एक सपने जैसा है जो अब साकार होने जा रहा है। डॉ सामंत द्वारा समय-समय पर गरीब बच्चों की ऐसी ही मदद और आत्मीय पारदर्शी स्वभाव के कारण दुनिया भर के लाखों युवा उन्हें अपना आदर्श मानते हैं।

आखिर कौन हैं अच्युत सामंत
ओडिशा में मौन शैक्षिक क्रांति लाने वाले डॉ सामंत विश्व विख्यात शैक्षिक संस्थान के-आईआईटी (कीट) कलिंग इंस्टिट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी और केआईएसएस (कीस) कलिंग इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के संस्थापक हैं। जिसे उन्होंने 1992-93 में अपनी कुल जमा पूंजी 5000 रुपए से शुरू किया था। आज कीट जहां भारत के 30 तकनीकी कालेजों में से एक है, वहीं कीस दुनिया का इकलौता सबसे बड़ा आदिवासी आवासीय विद्यालय है, जहां पर एक ही छत के नीचे 30,000 से ज्यादा गरीब आदिवासी बच्चों के लिए केजी से पीजी तक की मुफ्त पढ़ाई, मुफ्त आवास और मुफ्त में स्वास्थ्य संबंधी सभी सेवाएं मिलती हैं।

इस तरह राजनीति में किया प्रवेश
डॉ सामंत ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की स्वच्छ छवि और कार्यशैली को देखते हुए बीजद में शामिल होना स्वीकार किया। इसके बाद वे राज्यसभा सांसद बने और फिर ओडिशा की कंधमाल सीट से लोकसभा का चुनाव लड़कर भारी बहुमत से जीत हासिल की। एक सांसद के रूप में उन्हें संसद में आम जनता से जुड़े मुद्दे उठाना ही भाता है। डॉ सामंत के सामाजिक कार्यों को देखते हुए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।