किराये पर घर नहीं मिला तो सामान लेकर पैतृक गांव लौटे बाला बच्चन
भोपाल
मध्यप्रदेश में बगले को सियासत तेज हो गई है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के साथ ही कांग्रेस शासन में मंत्री रहे नेताओं के बंगले खाली कराए जा रहे हैं। हालांकि नियम के अनुसार सत्ता जाने के छह महीने के अंदर बंगला खाली करना होता है। प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ने भी अपना बंगला खाली कर दिया है। गृहमंत्री बाला बच्चन अपना सामान अपने पैतृक गांव ले गए हैं, क्योंकि उन्हें राजधानी भोपाल में किराये का मकान नहीं मिला। पूर्व मंत्री ने कहा कि 4 दिनों तक किराये का मकान खोजा लेकिन मकान नहीं मिला।
पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन ने मंगलवार को सरकारी बंगले से सामान समेटकर ट्रक में भरा और राजपुर, बड़वानी रवाना हो गए। बाला बच्चन का कहना है कि राजधानी में चार दिन से किराए का मकान तलाश रहा था। मकान नहीं मिला तो सामान भरकर गांव (पैतृक गांव) ले जा रहा हूं। संपदा संचालनालय की टीम सोमवार को बाला बच्चन के बंगले पर पहुंची थी और मंगलवार तक हर हाल में मकान खाली करने को कहा था। बच्चन का कहना था कि नोटिस की समयसीमा के तहत बंगला खाली कर रहा हूं।
पूर्व मंत्री ने नहीं किया आवेदन
भोपाल में घर नहीं दिए जाने पर संपदा संचालनालय के अधिकारियों ने कहा कि वैकल्पिक आवास के आवंटन को लेकर पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन का कोई आवेदन हमें नहीं मिला है। उन्होंने मुख्यमंत्री को कोई आवेदन दिया हो तो इस बारे में हमारे पास कोई जानकारी नहीं है।
चुन-चुनकर दिए जा रहे बंगला खाली करने के नोटिस
पूर्व मंध्री और कांग्रेस विधायक डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार पूर्व मंत्रियों और विधायकों को चुन-चुनकर सरकारी बंगला खाली करने के नोटिस जारी कर रही है। कांग्रेस की 15 महीने चली सरकार के कार्यकाल में भाजपा के कई नेता मंत्री पद पर नहीं रहें, लेकिन उन्हें बंगला खाली करने के नोटिस नहीं दिया गया था।